Saturday 27 February 2016

आपके आ जाने से और आपके जाने से लोगों में आक्रोश

इसी सेंन्टर की प्रभारी हैं सिस्टर
पटना। परोपकारी संस्था है कुर्जी होली फैमिली हॉस्पीटल। 1939 से 1958 तक पटना सिटी में हॉस्पीटल संचालित था। मदर अन्ना डेंगल द्वारा संगठित संस्था कैथोलिक मेडिकल मिशन सिस्टर्स सोसायटी है। इनके द्वारा संचालित जेनरल नर्सिग ट्रेनिंग सेंटर में कुछ महीने के बाद ‘संत’घोषित होने वाली धन्य मदर टेरेसा ट्रेनिंग ली थीं। 

इस हॉस्पीटल का स्थानान्तरण 1958 में कुर्जी क्षेत्र में किया गया। यहां पर आने के बाद कार्य विस्तार किया गया। जेनरल नर्सिग के बाद ए0एन0एम0 ट्रेनिंग सेंटर खोला गया। जेनरल नर्सिग में दक्षिण भारत की युवतियों को और ए0एन0एम0 में दक्षिण बिहार की युवतियों को प्रमुखता दी ट्रेनिंग में दिया जाता था। यदाकदा पश्चिम चम्पारण की युवतियां ए0एन0एम0 ट्रेनिंग कर पाते थे।बिहार परिचारिका निबंधक परिषद द्वारा परीक्षा ली जाती थी। अब मिड इंडिया द्वारा संचालित है। इसके लाबोरेट्री और एक्स-रे का ट्रेनिंग सेंटर खोला गया। लाबोरेट्री में पश्चिम चम्पारण के नौजवानों को प्रमुखता दिया जाता रहा। एक्स-रे में मिलीजुली नौजवानों को ट्रेनिंग दिया गया। अब यहां पर बीएससी नर्सिंग भी शुरू हो गया है।

तृतीय और चतुर्थवर्गीय कर्मियों में लोकल को रखा जाता था। अब तो संविदा में बहाल किया जा रहा है। अपने चहेते कर्मियों को अवकाश ग्रहण करने के बाद भी नौकरी में बहाल कर लिया जाता है। अपने नहीं चाहने वालों को जबरन नौकरी से बाहर कर दिया जाता है। इसके कारण आंदोलन भी हुआ। प्रेरितों की रानी ईश मंदिर में विरोध स्वरूप नौजवानों ने ताला जकड़ दिया। 

कुर्जी होली फैमिली हॉस्पीटल की प्रशासिका के इशारे पर कर्मियों को बाहर निकालने की साजिश शुरू हो जाती है। अनेक कर्मियों को बाहर का रास्ता दिखाया गया। मजे की बात है कि शुरूआती समय में शादी करने के पूर्व ही युवतियों को नौकरी से बाहर कर दी जाती थी। इसका विरोध हुआ तो अभी थम गया है। इसके बाद पुरूष कर्मियों पर वज्रपात किया गया। जिनकी बीबी नौकरी करती हैं। मनगढ़ंत आरोप लगाकर हटाया गया। कथित घरेलू जांच के नाम पर अपने कर्मियों को प्रशासिका गवाह बनाकर आरोपित कर्मी को पराजित करने में लग जाती हैं। कथित गबन का आरोप लगाकर जेवियर लुइस और अशोक कुमार को घरेलू जांच के घेरे में लिया गया। तबतक त्याग -पत्र नहीं दिये तबतक कहा जाता रहा कि आप त्याग-पत्र देकर चले जा सकते हो। एक माह का वेतन देंगे। जैसे ही त्याग-पत्र कर्मी देते हैं वैसे ही कथित गबन का आरोप स्वाहा हो जाता है। 

दो बार सामुदायिक स्वास्थ्य एवं ग्रामीण विकास केन्द्र में प्रभारी बनकर आने वाली सिस्टर ने प्रशासिका के इशारे पर दो कर्मियों को हटाने में सफल हो गयी। प्रथम आगमन पर आलोक कुमार को मजबूर करके केन्द्र से अन्य विभागों में स्थानान्तरण करने में सफल हो गयी। इसके बाद कथित आरोप लगाकर घरेलू जांच के उपरांत जबरन इस्तीफा देने को बाध्य कर दिया। निलम्बित होने की तलवार लटकने के पहले ही आलोक कुमार इस्तीफा दे दिए। जब दूसरी बार आने पर विजय शर्मा को मजबूर करके इस्तीफा दिलवा दी। प्रभारी और कर्मी में तू-तू-मैं-मैं हो गयी थी। 
आखिर जबरन इस्तीफा देने को बाध्य करने वाले श्रम न्यायालय में क्यों नहीं जाते हैं? श्रम न्यायालय में मामले की बहुतायता है। इसमें काफी समय लग जाता है। अगर कर्मी श्रम न्यायालय में जीत फतह करता है। तो प्रशासिका मामले को हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ले जाने तक का माद्दा रखती है। इनके पास नोट है तो हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ताओं को मोटी फीस देंकर रख सकते हैं। किसी तरह से कर्मी को पराजित करने के सिलसिले में अधिकारियों के बच्चों को मिशनरी स्कूलों में दाखिला और हॉस्पीटल में आने से वीआईपी ट्रीटमेंट दी जाती है। 

क्यों नहीं पटना महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष हस्तक्षेप नहीं करते हैं? पवित्र बाइबिल को मानने वाले लोग बाइबिल के अनुसार चलते ही नहीं है। ऐसे लोग बाइबिल को सिर्फ कर्मी और ईसाई समुदाय को मानने को विवश कर दिया जाता है। खुद पालन नहीं करते हैं। इस दिशा में महाधर्माध्यक्ष मौनधारण कर लेते हैं। जब मिशनरी पर आक्रमण होता है तब जाकर महाधर्माध्यक्ष शेर बन जाते हैं। ईसायत के नाम पर मिशनरी संस्था संगठित हो जाते हैं। इसी के आलोक में नाजरेथ हॉस्पीटल चलाने वाली सिस्टर और कुर्जी हॉस्पीटल चलाने वाली सिस्टरों के बीच सांठगांठ हो गया है। दोनों मिलकर कुर्जी हॉस्पीटल को चला रहे हैं। मजे की बात है कि नाजरेथ हॉस्पीटल चलाने वाली सिस्टरों ने नाजरेथ हॉस्पीटल को बंद कर सैकड़ों कर्मियों को समुंद्र में ढकेल दी है। उनका भविष्य चौपट हो गयी है। बाल-बच्चा दरदर की ठोकर खाने को बाध्य है। वहां की नर्सिग ट्रेनिंग को कुर्जी हॉस्पीटल में चलाया जा रहा है। कर्मी और ईसाई जनता पर आक्रमण होने पर धृतराष्ट्र बन जाते हैं। 

आलोक कुमार
मखदुमपुर बगीचा,दीघा घाट,पटना। 

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