Friday 26 February 2016

और गीता कुमारी नहीं रहीं

पटना। और गीता कुमारी मर गयीं। इस तरह आरक्षण और सरकारी योजनाओं से लाभ उठाने वालों की गिनती में गीता कुमारी के परिवार भी शामिल हो गया। पटना जिले के नौबतपुर लख पर रहती हैं गीता कुमारी(18 साल)। वह 6 माह से बुखार से पीड़ित हैं। दोपहर में बुखार हो जाता है। बलगम में खून नहीं आता है। एक्स-रे नहीं किया गया है। इधर घुटने में सूजन हो जाने के बाद ‘एम्स’ में गीता कुमारी को दिखाने के लिए कागज बनाया गया। पंजीयन करने वालों ने गीता कुमारी को गीता देवी लिख दिया। पहले सर्जिकल क्लिनिक में जाकर दिखाना था। इसके बाद मेडिकल क्लिनिक में दिखाना था। मगर गीता कुमारी के परिजन सर्जिकल और मेडिकल क्लिनिक में दिखाया नहीं और घर चले आये।
इतना करने के बाद नौबतपुर लख पर से गीता कुमारी को लेकर परिजन पटना आ गये। उत्तरी मैनपुरा ग्राम पंचायत के एल0सी0टी0घाट मुसहरी में आ गयी। यहां पर महिला भक्तिनी से मिली। महिला भक्तिनी कहने लगी कि अब झारफूक करने वाली शक्ति नहीं है। उसके कहने पर गीता कुमारी को नेहरू नगर लिया गया। वहां पर भगत से दिखाया गया। इसके बाद गीता कुमारी नौबतपुर घर चली गयी। उसके बाद घर पर ही दम तोड़ दी।

आलोक कुमार
मखदुमपुर बगीचा,दीघा घाट,पटना।

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