गौरख मांझी खगौल से दवा खरीदकर खाते हैं |
अब भी महादलित मुसहर समुदाय के लिए यक्ष्मा घातक बीमारी
कुर्जी अस्पताल,कुर्जी पुल के पीछे और दवाखानों में मिलती है दवा
पटना।
डॉट्स कार्यक्रम के तहत यक्ष्मा मरीजों को निःशुल्क दवा दी जाती है। मरीजों को दवा
दी नहीं जाती है वरण प्रेम से बैठाकर दवा खिलायी जाती है। इसमें ए0 एन0 एम0 दीदी,आशा बहन,आंगनबाड़ी केन्द्र की सेविकाओं से सहयोग लिया जाता है। अव्वल
मरीजों को खाली पेट और घंटे भर बाद खाना खिलाकर दवा खिलायी जाती है। मजे की बात है
कि स्वैच्छिक संस्था कुर्जी होली फैमिली हॉस्पीटल के सामुदायिक स्वास्थ्य एवं
ग्रामीण विकास केन्द्र में यक्ष्मा मरीजों को दवा खिलाने के पश्चात अंडा खाने को
दिया जाता है। जो उल्लेखनीय कार्य है।
अब तो
स्वास्थ्य विभाग ने व्यवस्था कर रखी है कि आपको 15 दिनों से खांसी हो रही है। फोन से कॉल करें। आपके घर आकर बलगम ले जाकर
जांचकर के इलाज शुरू कर देंगे। उसी तरह अगर आप प्राथमिक उपचार केन्द्र, उप स्वास्थ्य केन्द्र, अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्र,चेस्ट क्लिनिक,निजी और स्वैच्छिक संस्थाओं के पास जाकर दवा खाना नहीं चाहते
हैं,तब किसी दवाखाना में चले जाये। जहां पर
स्वास्थ्य विभाग का बोर्ड लगा है। वहां से दवा खरीद सकते हैं। दवा खरीदने वाले
रशीद से स्वास्थ्य विभाग से राशि प्राप्त कर सकते हैं।
स्वास्थ्य
विभाग द्वारा सुविधा उपलब्ध करवाने के बाद भी महादलित मुसहर समुदाय के लोग लाभ
नहीं उठा पाते हैं। लाभ उठाते भी है तो कुछ दिन दवा खाने के बाद दवा छोड़ देते है।
इसके कारण डॉट्स केन्द्र से दवा देने वाले गुस्सा हो उठते हैं। दवा छोड़-छोड़कर खाने
से मुसहर समुदाय के लोगों की मौत हो जा रही है।
उत्तरी
मैनपुरा ग्राम पंचायत के एल0 सी0 टी0 घाट में स्थित
मुसहरी में गौरख मांझी नामक महादलित यक्ष्मा रोग से पीड़ित हैं। एल0सी0टी0घाट में रहने के कारण आसानी से सामुदायिक स्वास्थ्य एवं ग्रामीण विकास
केन्द्र में जाने से दवा मिल जाती। अगर केन्द्र से दवा नहीं खाने का विचार उचित
है। तब कुर्जी पुल के पीछे चेस्ट क्लिनिक में जाकर दवा ले सकते हैं। निकट को छोड़कर
गौरख मांझी खगौल से दवा खरीदकर खाते हैं। कभी निःशुल्क भी मिल जाती है। आप समझ गये
होंगे कि अज्ञानता के कारण लोग परेशान हैं। स्वास्थ्य विभाग में हेल्थ एडुकेटर
रहते हैं ऐसे लोग हेल्थ टॉक देते ही नहीं हैं। इसी तरह ए0एन0एम0 दीदी का नियमित अभ्यागमन मुसहरी में होता ही नहीं है। इसके कारण लोगों को
उचित राय नहीं मिल पाता है। अपने पैमाने से उचित जगह भूलकर अन्यंत्र चले जाते हैं।
आलोक
कुमार
मखदुमपुर
बगीचा,दीघा घाट,पटना।
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