ए. एन.
सिन्हा
समाज
अघ्ययन
संस्थान, पटना
में
पटना। प्रगति
ग्रामीण
विकास
समिति, पटना
के
सचिव
हैं
प्रदीप
प्रियदर्शी।
सूबे
की
किसान
दीदीयों
की
समस्याओं
को
लेकर
गंभीर
हैं।
इसके
आलोक
में
भूमिहीन
महिला
किसानों
के
लिए
आवासीय
भूमि
और
कृषि
भूमि
की
नीतियों
से
जुड़े
मुश्किलें
और
चुनौतियों
पर
राज्य
स्तरीय
परिचर्चा
27 जून 2016 को
10 बजे से ए. एन.
सिन्हा
समाज
अघ्ययन
संस्थान, पटना
में
की
गयी
है।
कहा गया
है
कि
बिहार
की
अर्थव्यवस्था
मुख्यतः
कृषि
आधारित
है
अतः
कृषि
भूमि
जीविकोपार्जन
का
मुख्य
स्रोत
हैं।
कृषि
में
महिलाओं
की
सक्रिय
भागीदारी
एवं
घरेलू
खाद्य
सुरक्षा
में
उनका
अहम
योगदान
होता
है
फिर
भी
वे
भूमि
नियंत्रण
एवं
स्वामित्व
के
अधिकारों
से
वंचित
हैं।
जैसा
कि
अधिकांश
संख्या
में
पुरूष
कृषि
कार्य
को
छोड़कर
अन्य
कार्याे
के
लिए
पलायन
कर
रहे
हैं।
ऐसी
स्थिति
में
कृषि
कार्य
की
सारी
जिम्मेवारियाँ
महिलाओं
के
कंघों
पर
है।
आज 53 प्रतिशत पुरूषों की
तुलना
में
75 प्रतिशत महिलाएं कृषि
कार्य
से
जुड़ी
हैं।
भूमि
के
दस्तावेजों
में
महिलाओं
का
नाम
न होने
से
वे
संस्थागत
ऋण
एवं
अन्य
लाभों
से
वंचित
रहती
हैं।
सरकारी
कार्यक्रमों
एवं
योजनाओं
का
लाभ
भी
उनको
बराबर
नहीं
मिलता
है।
महिला
किसानों
को
किसान
का
दर्जा
नहीं
है।
कृषि
आधारित
नीतियाँ
एवं
कार्यक्रमों
में
वे
भेदभाव
की
शिकार
हो
जाती
है।
गृह भूमि
के
स्वामित्व
से
वंचित
होने
के
कारण
महिलाओं
को
दर
दर
की
ठोकरे
खानी
पड़ती
है।
आज
मात्रः
आधा
प्रतिशत
महिलाओं
के
पास
अपनी
गृह
भूमि
है।
वह
भी
भूमि
अपनी
मर्जी
से
नहीं
बेच
सकती
है्रं।
99.5 प्रतिशत महिलाओ के
पास
गृह
की
स्वामित्व
है
ही
नहीं।
गृह
भूमि
की
स्वामित्व
नहीं
होने
की
वजह
से
गृह
ऋण
और
इन्दिरा
आवास
जैसी
परियोजनाओं
से
महरूम
रह
जाती
हैं।
अतः
कृषि
भूमि
और
गृह
भूमि
में
महिलाओं
के
अधिकार
को
बल
देना
नितांत
जरूरी
है।
प्रदीप प्रियदर्शी
ने
निवेदन
है
कि
भूमिहीन
महिला
किसान
के
लिए
आवासीय
भूमि
और
कृषि
भूमि
से
जुड़े
मुश्किले
और
वर्तमान
चुनौतियों
पर
राज्य
स्तरीय
परिचर्चा
में
अपनी
महत्वपूर्ण
विचार
व्यक्त
कर
कार्यक्रम
को
सफल
करें। सर्वश्री प्रविन्द
प्रवीण, प्रेम
कुमार
आनंद,विवेक
प्रसाद,विनय
कुमार
ओहदार,सौरव
कुमार,सतीश
कुमार
सिंह,अजय
कुमार
सिंह,अभिजीत
मुखर्जी,दीपशिखा, रफी
हुसैन,शर्मिला
सिंहा,बैंकू
बिहारी
सरकार
आदि
भाग
लेंगे।
आलोक कुमार
मखदुमपुर बगीचा,दीघा घाट
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