Saturday 25 February 2017

18 सूत्री मांगपत्र तैयार करने की प्रक्रिया जारी



पटना। भारत के लगभग 94 प्रतिशत तथा बिहार के 96 प्रतिशत श्रम-शक्ति का हिस्सा असंगठित क्षेत्र के कामगार हैं। वर्तमान वैश्विक बाजारवाद की प्रतिस्पर्घा से बाहर है और वे सामाजिक आर्थिक दायरे पर मौन रूप से खड़े हैं। जिन्हें केन्द्र में रखकर असंगठित क्षेत्र कामगार संगठन राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने हेतु संगठन के द्वारा जनहित में नागरिक मांगपत्र देश राज्य के सभी राजनीतिक,न्यायापालिका के समक्ष प्रस्तावित करता है।
1.            असंगठित कामगारों को केन्द्रित कर संविधान में वर्णित मौलिक अधिकारों के अन्तर्गत अनुच्छेद 21 के तहत सम्मानपूर्ण जीवन जीने का अधिकार के दायरे मेंसमग्र सामाजिक सुरक्षा अधिकार को मान्यता मिले।
समग्र सामाजिक सुरक्षा अधिकार के तहत दो प्रकार के प्रावधान होना चाहिएः
पहला- ‘बुनियादी सामाजिक सुरक्षा जिसका तात्पर्य है कि भूमि एवं आवास, पोषण युक्त भोजन, समुचित स्वास्थ्य व्यवस्था, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की व्यवस्था, शुद्ध पेयजल, प्रदुषणमुक्त वातावरण,बाजार सृजनात्मक रोजगार के अवसर पर्याप्त मजदूरी तथा कार्यस्थल पर वांछित सुविधा, मनोरंजन-आराम,शारीरिक एवं मानसिक सुरक्षा खास तौर से महिला श्रमिकों के हित में
दूसरा- आकस्मिक सुरक्षा के प्रावधान जिसके तहत मुख्य रूप से वैसे असंगठित कामगार या व्यक्ति जिनकी स्थिति आर्थिक क्रिया करने हेतु सक्षम हो जैसे विकलांग, वृद्ध,बीमारी से ग्रसित व्यक्ति,गर्भवती,महिला,विधवा,एकल महिला एवं घरेलू महिलाएं आदि तथा कार्यरत वैसे कामगार जो किसी दुर्घटना के शिकार हो जाए तो उस अवस्था में उनको तथा उनके आश्रितों को सहायतार्थ क्षतिपूर्ति का प्रावधान हो जिसके द्वारा लाभुक सामान्य रूप से अपना जीवन बसर कर सके। साथ ही भारतीय सभ्यता संस्कृति के अनुरूप परम्परागत रीति-रिवाजों के निभाने हेतु बेवश कामगारों के हित में आर्थिक सामाजिक सहयोग का प्रावधान हो जो जन्म से लेकर मृत्यु तक संबंधित हो।

2.            असंगठित क्षेत्र कामगार सामाजिक सुरक्षा अधिनियम 2008 को लागू करने हेत मांगे-
() असंगठित क्षेत्र कामगार सामाजिक सुरक्षा अधिकार अधिनियम 2008 के आलोक में सभी प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए बिहरा राज्य नियमावली को संशोधित कर अभिलम्ब लागू की जाए।
() अधिनियम 2008 के आलोक में राज्य सामाजिक सुरक्षा बोर्ड को पुर्नगठित किया जाये तथा मजदूर संगठन एवं सामाजिक संस्थाओं के अलावा वैसे व्यक्तियों (महिला/पुरूष) को सदस्य के रूप में चयनित किया जाय जिनका श्रमिक मुद्दों,श्रमिक विधानों आदि से जीवन्त सरोकार हो।
() असंगठित कामगारों का निबंधन एवं स्मार्ट कार्ड
अधिनियम 2008 के प्रावधान के तहत असंगठित कामगार की परिभाषा के अनुरूप जितने कामगार है उन सभी का निबंधन तथा निबंधित कामगारों को विशेष पहचान संख्या युक्त स्मार्ट कार्ड मुहैया की जाय,जिसका वितरण जिला प्रशासन के स्तर से हो।
() जिला स्तर पर श्रमिक संसाधन केन्द्रों की स्थापना
राज्य में जिला स्तर पर असंगठित कामगारों के लिए सहायता संसाधन केन्द्र की स्थापना अविलम्ब की जाय। उक्त गठित केन्द्रों के माध्यम से निबंधन प्रक्रिया, स्मार्ट कार्ड निर्गत करने की व्यवस्था,राष्ट्रीय एवं राज्य सरकार द्वारा चलाये जा रहे सभी प्रकार के सामाजिक सुरक्षा से संबंधित योजना,योग्य लाभुकों का जुड़ाव आदि की प्रक्रिया सक्रियता के साथ संचालित हो।
() जिला स्तर पर कौशल विकास केन्द्रों की स्थापना
सभी निबंधित कामगारों (कुशल,अर्द्धकुशल एवं अकुशल) के क्षमता संबर्धन हेतु सभी जिलों के स्तर पर एक विशेष असंगठित कामगार व्यवसायिक प्रशिक्षण एवं क्षमता संर्वद्धन केन्द्र की स्थापना हो।
3.            सभी असंगठित कामगारों के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना का प्रावधान
असंगठित क्षेत्र के दायरे में अनौपचारिक आर्थिक क्रिया में संलग्न सभी कामगारों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के अन्तर्गत .पी.एल. और बी.पी.एल. के शर्तों को हटाते हुए जोड़ा जाय तथा स्वास्थ्य स्मार्ट कार्ड सभी कामगारों को जारी की जाय ताकि वे सभी आकस्मिक स्वास्थ्य सुविधाओं एवं सेवाओं का सहज ढंग से उपयोग कर सके।
4.राज्य स्तरीय असंगठित क्षेत्र कामगार आयोग का गठन -बिहार में राज्य स्तर पर असंगठित कामगारों के हित एवं समृद्धि के लिए राज्य असंगठित क्षेत्र कामगार आयोग का गठन हो।
5. वृद्धा, विकलांग एवं विधवा हेतु पेंशन योजना राशि को बढ़ाकर कम से कम प्रति माह 5000( पांच हजार) रूपए या न्यूनतम मजदूरी की आधी राशि सुनिश्चित किया जाय।
6. वृद्धा पेंशन के पात्रता हेतु पुरूषों के लिए 55 वर्ष एवं महिलाओं के लिए 50 वर्ष उम्र सीमा तय की जाय।
7. राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के अन्तर्गत सभी असंगठित क्षेत्र के कामगारों के बीमारियों के इलाज हेतु 100.000 (एक लाख रूपए) तक का प्रावधान किया जाय।
8. अनौपचारिक क्षेत्र के कामगारों हेतु कर्मचारी राज्य बीमा योजना (ईएसआई)सुविधा का विस्तार किया जाए।
9. श्रमिक रोजगार केन्द्रों की स्थापना निर्माण मजदूरों/अन्य दैनिक कामगारों के लिए स्थानीय स्तर पर बुनियादी सुविधायुक्त श्रमिक रोजगार केन्द्रों की स्थापना की जाए।
10. एकल महिलाओं के स्वावलंबन एवं विकास के लिए विशेष नीति एवं योजना बनायी जाए।
11. केन्द्रीय बजट के 10 प्रतिशत राष्ट्रीय कोष का निर्माण हो तथा राज्य बजट के अनुपात में उचित हिस्सा असंगठित कामगारों के विकास हेतु आवंटित किया जाए।
12. वार्ड एवं पंचायत स्तर पर असंगठित कामगारों हेतु विशेष हाट-बाजार का निर्माण-
असंगठित  क्षेत्र कामगार हेतु ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत एवं प्रखंड स्तर पर सुचारू रूप से व्यवसाय एवं व्यापार संचालित करने के लिए विशेष बाजार या हाट का निर्माण हो उसी प्रकार शहरी क्षेत्रों में वार्ड स्तर पर सुव्यवस्थित हाट या बाजार की व्यवस्था की जाय।
13. न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के तहत, सामान्य जीवन जीने के मानकों तथा मंहगाई के अनुपात में न्यूनतम मजदूरी दर तय की जाय।
14. महिला कामगारों,शारीरिक एवं मानसिक उत्पीड़न एवं अन्य समस्याओं के निवारण हेतु विशाखा गाइड-लाइन एवं सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के आलोक में सभी पंचायतों में विशेष महिला शिकायत केन्द्र की स्थापना की जाय।
15. कामगारों के लिए आवासीय भूमि एवं आवास का प्रावधान
() ग्रामीण क्षेत्रों के कामगारों हेतु विशेषकर अनुसूचित जाति, जनजाति,पसमांदा मुस्लिम समाज, अत्यंत पिछड़ी जातियों के आवासीय भूमिहीन परिवारों को 10 डिसमिल भूमि आवंटित करने की नीति। (ज्ञात हो कि अनुसूचित जाति/जनजाति के सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण हेतु उपयोजना या विशेष अंगीभूत योजना के बजट का प्रयोग भूमिहीनों को आवासीय भूमि सुनिश्चित कराने हेतु प्रयोग किया जा सकता है)
() शहरी क्षेत्रों के आवासीय भूमिहीन कामगार- परिवारों को स्थायित्व प्रदान करने हेतु भूमियुक्त आवास की नीति तथा उक्त आवास में रसोईघर, शौचालय,स्वच्छ पेयजल तथा पर्याप्त बिजली की व्यवस्था सुनिश्चित हो।
16. श्रमिक कानूनों को लागू करने हेतु संवेदनशील सक्षम पदाधिकारियों का पदस्थापन एवं राज्य-स्तर से प्रखंड स्तर तक विशेष प्रशासनिक ढांचा का गठन हो।
बंधुआ मजदूरी उन्मूलन एवं पुनर्वास अधिनियम, बाल मजदूरी उन्मूलन एवं पुनर्वास अधिनियम, प्रवासी मजदूर अधिनियम, न्यूनतम मजदूरी अधिनियम,बीड़ी कामगार, पुनर्वास अधिनियम, फुटपाथ दुकानदार विक्रेता अधिनियम,घरेलू कामगार अधिनियम आदि प्रावधानों को लागू करने हेतु राज्य से प्रखंड स्तर पर संवेदनशील पदाधिकारी एवं प्रशासनिक ढांचा का गठन हो, साथ ही राज्य के अंदर सभी जिलों में कामगारों के मुद्दे पर कार्य करने वाले स्वयं सेवी संस्थाओं को चिन्हित कर हरेक स्तर पर सरकार के प्रशासनिक ढांचों के साथ गठजोड़ किया जाय।
17. महिला कामगारों को पुरूषों के समान मजदूरी दी जाए।
18. असंगठित क्षेत्र कामगारों के दायरे में अनुसूचित जाति, पसमांदा मुस्लिम,पिछड़ी एवं अत्यंत पिछड़े जाति तथा महिलाओं को हर स्तर पर लाभ देने के दृष्टिकोण से प्राथमिकता दी जाय।
असंगठित क्षेत्र कामगार संगठन,बिहार को नागरिक मांगपत्र के प्रस्ताव बनाने  में  दलित अधिकार मोर्चा, दलित अधिकार मंच, मुसहर विकास मंच, बिहार विकलांग अधिकार मंच,महिला अधिकार मोर्चा, महिला कामगार संगठन, झुग्गी-झोपड़ी संघर्ष मोर्चा, राष्ट्रीय दलित मानवाधिकार अभियान,भोजन अधिकार अभियान एवं अन्य का योगदान रहा है।

आलोक कुमार



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