Thursday 23 February 2017

असामाजिक तत्वों द्वारा कुर्जी कब्रिस्तान में प्रवेशकर क्रूस को तोड़ा







विधायक कोष से चहारदीवारी को ऊंची करवाने का प्रयास जारी

पटना। क्रिश्चियन समुदाय के लोग मर जाते हैं तो उनको निकटतम पल्ली में स्थित कब्रिस्तान में ही दफन कर दिया जाता है। उनके कब्र के सिरहाने में क्रूस लगाया जाता है। उस क्रूस पर मृतक का नाम, जन्मतिथि और मरनदिवस लिखा जाता है। क्रूस के ऊपरी हिस्से में लिखा जाता हैरेस्ट ऑफ पीस यहां उनकोपीसमिलता ही नहीं है। कब कब्र खोदकर दूसरे मृत परिजन को दफन कर दिया जाएगा। अगर ऐसा नहीं होता है तो असामाजिक तत्वों शांति में बाधक बन गये हैं। अब पहचान बचाना मुश्किल हो गया है। कब्र में लगे क्रूस को तोड़फोड़ दे रहे हैं। यह हाल प्रेरितों की रानी ईश मंदिर के बगल में स्थित कब्रिस्तान का है।

वैसे तो राजधानी पटना में दो कब्रिस्तान है। प्रथम पीरमुहानी और द्वितीय कुर्जी में। बॉबी के मरने के बाद पीरमुहानी कब्रिस्तान चर्चा में आयी। तो दूसरी ओर जनसंख्या की बढ़ोतरी से उत्पन्न कुर्जी कब्र्रिस्तान में जगह नहीं रहने का रोना। कुर्जी क्षेत्र में विख्यात संत माइकल हाई स्कूल संचालित है। इस स्कूल के आसपास ही कार्यरत कर्मी रहा करते थे। सभी पश्चिम चम्पारण जिले से आये थे। बेतिया क्रिश्चियन क्वाटर से पास्काल मास्टर आये थे। प्रचारक का कार्य करते थे। पास्काल मास्टर के अनेक रिश्तेदार रहते हैं। कुर्जी कब्रिस्तान का इतिहास 1885 ईस्वी का है। 280 गुणा 150 फीट का कब्रिस्तान है। 8 फीट गुणा 10 फीट का 600 कब्र है। कयामत दिनों की इंतजारी में है। जिस प्रकार ईसा मसीह मृतकों में से जी उठे थे। यह ईसाई समुदाय का लोकआस्था है।

पटना महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष स्व0 बेनेडिक्ट जौन ओस्ता, येसु समाजी ने अपने कार्यकाल में कुर्जी कब्रिस्तान की दीवारों मेंपिंजन हॉलयानी कबूतर के घोंसले के अनुसार खंड्डा बनाने का प्रस्ताव लाया था। इसी में मृतकों की कब्र की मिट्टी रखकर पुर्नरूथान का इंतजार करना था। वहीं ईसाई समुदाय के बीच में चर्चा किया गया कि कब्रिस्तान में जगह नहीं है। क्यों मृत शरीर को जलाकर राख को पिंजन हॉल में रखा जाये। यह भी प्रस्ताव आया कि एक कुआं निर्माण कर कब्र की हड्डियों को रखा जाये। जमीन के नीचे गड्डा खोंदकर कब्र बनाकर शव को गाढ़ा जाये और उसपर ढक्कन लगाकर अन्य लोगों को दफनाया जाये। जो नहीं हो सका। केवल मिशनरी सिस्टर और फादर निर्माण करवाने लगे। प्रेरितों की रानी ईश मंदिर के पीछे में सिस्टरों का कब्रिस्तान है। वहां पर भूतल कब्र निर्माण किया गया है।

असामाजिक तत्वों द्वारा कुर्जी कब्रिस्तान में व्यापक तोड़फोड़ः कुर्जी कब्रिस्तान की चहारदीवारी नीची है। इसके कारण असामाजिक तत्वों कब्रिस्तान में हेल जाते हैं। शराबबंदी के बाद से गांजा और स्मैक का सेवन करने वाले अधिक हो गये हैं। शांत जगह की तलाश में कब्रिस्तान में जाते हैं। इसके बाद यहां पर मनमौजी हरकत करने लगते हैं। एक लाइन से ही कब्रों में लगे क्रूस को तोड़ दिये। इसके कारण मृतकों की पहचान असंभव हो गयी। इससे परिजनों की परेशानी बढ़ गयी है।

अल्पसंख्यक मोर्चा बीजेपी बिहार के प्रदेश क्षेत्रीय प्रभारी राजन साह की पहलः कुर्जी कब्रिस्तान में व्यापक तोड़फोड़ करने पर चिंता प्रदेश क्षेत्रीय प्रभारी राजन साह ने व्यक्त की है। उनके ही प्रयास से भाजपाई विधायक डॉ0 सजीव चौरसिया बैठक में शिरकत किये। बैठक में शामिल होने वालों में कुर्जी पल्ली के प्रधान पुरोहित फादर जोनसन प्रमुख थे। बैठक में निर्णय लिया गया कि विधायक डॉ0 सजीव चौरसिया द्वारा कंटिला तार लगाया जाएगा। दीघा पुलिस द्वारा रात्रि गश्ती की जाएगी। नवयुवक संघ और राजन साह द्वारा चंदा संग्रह करके सीसीटीवी लगाया जाएगा।

और मरने के बाद भी आलिशान कब्र नसीबः फादर और सिस्टर जीवनभर उपदेश देते हैं कि येसु के नाम पर ईसाई कलीसिया एक हैं। समतामूलक समाज निर्माण करने तथा उसे कायम रखने की वकालत करते हैं। येसु ख्रीस्त के नाम पर संयासी ग्रहण करने वाले पुरोहित एवं सिस्टर को याजकवर्ग कहा जाता है। अन्य को अयाजकवर्ग कहा जाता है। इन दोनों के बीच में एकरूपता लाने का प्रयास किया जाता है। वहीं जीवनभर विलासिता की जिदंगी जीने वाले याजकवर्ग को मरने के बाद भी आलिशान कब्र नसीब होता है। प्रेरितों की रानी ईश मंदिर के पीछे सिस्टरों के लिए आलिशान कब्र निर्माण किया गया है। भूतल कब्र में 8 खंड है। जो समयानुसार इस्तेमाल किया जाता है। एक्स0टी0टी0आई0 में पुरोहितों के लिए भूखंड कब्र निमार्ण किया गया है। यहां पर एक कब्र में 13 लोगों को दफन करने के लिए खंड तैयार किया गया है। एक को दफन करने के बाद दूसरे का आसानी से दफन कर दिया जाता है। ढक्कन लगाया जाता है।राज्य सभा सांसद आर 0 के0 सिन्हा भी हर संभव सहायता करने का आश्वासन दिया है।

आलोक कुमार
मखदुपपुर बगीचा,दीघा घाट,पटना।





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