Sunday 5 March 2017

चालीसा काल 2017 के लिए संत पिता फ्रांसिस का संदेश




पटना। चालीसे एक नई शुरूआत है,यह एक रास्ता है। जिसका निश्चित लक्ष्य है पास्का, अर्थात मृत्यु पर ख्रीस्त की विजय।इस अवधि की अत्यावश्यक मांग है परिवर्तन। ख्रीस्तीयों से मांगा जाता है कि ये अयोग्यता के साथ ईश्वर के पास लौट आएं एवं प्रभु की घनिष्टता में आगे बढ़े। ( योब 2:12)प्रभु येसु वह विश्वास मित्र हैं जो कभी भी हमें नहीं छोड़ते हैं। जब हम पाप करते हैं, वे धैर्यता से हमारे वापस आने की प्रतिज्ञा करते हैं।इस तरह वे हमें बताते हैं कि वे क्षमा देने के लिए सदैव तैयार हैं।

चालीसा एक उपयुक्त अवधि है जिससे कलीसिया से प्रस्तावित पवित्रीकरण के उपायों जैसे कि -प्रार्थना,उपवास तथा भिक्षाटन द्वारा हम अपने आध्यात्मिक जीवन को उन्नत कर सकते हैं। सब कुछ बा आधार ईश्वर का वचन है। इस अवधि में हमें ईशवचन पढ़ना , उसे सुनना और उसपर मनन चिंतन करना चाहिए। अब मैं अमीर और लाजरूस के दृष्टांत पर ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं। ( लूकस 16:19-31) हम इस अर्थपूर्ण कहानी से प्रेरणा पाएं क्योंकि वह बताती है कि सच्चा आनंद और अनन्त जीवन प्राप्त करने के लिए हमें क्या करना है। यह हमें सच्चे परिवर्तन के लिए प्रोत्साहित करती है।

1.         प्रत्येक व्यक्ति ईश्वर का दान हैः
दृष्टांत के आरंभ में मुख्य दो व्यक्तियों का परिचय दिया गया है। कंगाल की स्थिति विस्तार से दी जाती है। वह शक्तिहीन होने के कारण अमीर व्यक्ति के फाटक के सामने लेट रमेज से गिरे टुकड़े खाता है। उसका शरीर फोड़ों से भरा हुआ है और कुत्ते आकर उसके घावों को चाटा करते है। वह दृश्य बहुत ही दुःखदायी है। इसमें हम कंगाल व्यक्ति को देखते है जो अपमानित और दयनीय स्थिति में है।

यदि हम कंगाल के नाम पर ध्यान देंगे तो दृश्य अधिक प्रभावशाली है। उसका नाम लाजरूस है, जिसका अर्थ है ईश्वर सहायता करते हैं। इस व्यक्ति का परिचय अज्ञात नहीं है। इसकी रूपरेखा स्पष्ट है। यह एक व्यक्ति है जिसकी अपनी कहानी है। पर अमीर के लिए उसका कोई अस्तित्व नहीं है, पर हम उसको जानते एवं पहचानते हैं। वह एक ईश्वर का दान, एक अमूल्य निधि,एक मनुष्य जिसे ईश्वर प्यार करते हैं और उस का दयनीय स्थिति पर भी ध्यान देते हैं।

लजरूस हमको सिखाता है कि प्रत्येक व्यक्ति ईश्वर का दान है। जब हम दूसरे लोगों का महत्व समझते है तब उनसे सही संबंध स्थापित होता है। अमीर के द्वार पर पड़ा हुआ वह गरीब व्यक्ति तंग करने वाला नहीं, पर मन परिवर्तन एवं बदलाव का संदेश है। वह दृष्टांत सबसे पहले हम से मांगता है कि हम अपने हृदय का द्वार दूसरों के लिए खोल दें क्योंकि हर व्यक्ति दान है चाहे वह हमारा पड़ोसी हो या कंगाल। चालीसा उपयुक्त समय है कि हम सब जरूरतमंद लोगों के लिए अपना द्वार खोलें और उनमें ख्रीस्त का चेहरा पहचानें। रोज-रोज इस प्रकार के लोगों से हमारी भेंट होती है। हर जीवन, जो हमारे रास्ते में आता है, एक दान है जिसे हम आदर तथा प्यार से स्वीकार करें। ईश्वर का वचन हमारी सहायता करता है कि हम अपनी आंखें खोलें और जीवन को स्वीकारें और प्यार करें, विशेषकर जब यह जीवन कमजोर और असुरक्षित है। इसको करने के लिए हमें अमीर के विषय में सुसमाचार का कथन गंभीरता से समझना चाहिए।

2.         पाम हमें अंधा बनाता हैः
यह दृष्टांत अमीर व्यक्ति के जीवन में विरोधाभाष स्पष्ट रूप से प्रकट करता है। कंगाल का नाम लाजरूस है पर अमीर व्यक्ति का नाम नहीं है। वह केवल एक व्यक्ति के रूप में दिखाया जा रहा है। उसका पहनावा बताता है कि धनी व्यक्ति है और उसका बैंगनी कपड़ा सोना -चांदी से भी मूल्यवान है। उसके सफेद मलमल का कपड़ा शुद्धता दिखाता है। इस तरह वह अपनी पहचान देवता या राजा के रूप में प्रकट करता है। वह अपने धन का प्रदर्शन करते हुए रोज-रोज मौत मस्ती करता है और इस तरह से उसमें पाप की भ्रष्टता स्पष्ट रूप से झलकने लगती है। यह भ्रष्टता तीन कदमों में आगे बढ़ती हैः धन का प्रेम, मिथ्याभिमान और घमंड।

संत पौलुस हम बताते हैं कि पैसे का मोह सभी बुराइयों की जड़ है। ( 1 तिमथीः10) यह भ्रष्टाचार का मूल कारण है और ईष्या-झगड़े तथा शक का स्त्रोत है। पैसा जब हमारा मालिक बनता है तो वह हमें निरंकुश बना देता है। पैसा का प्रलोभन हमारे अच्छे कार्यों को करने में बाधा पहुंचाती है। वह हमें स्वार्थी एवं लोभी बना देता है जिससे हमारे जीवन में प्यार एवं शांति का स्थान खत्म हो जाता है। दृष्टांत तब हमें बताता है कि अमीर का लालच उसमें मिथ्याभिमान पैदा करता है और उसका स्वभाव दिखावा प्रकट करता है। वह दूसरों को बताता है कि वह क्या कर सकता है। लेकिन बाहरी प्रकटीकरण भीतरी खालीपन छिपाता हैं। उसका जीवन बाहरी प्रकटीकरण से उसके जीवन के खालीपन और क्षणभंगुर पहलुओं को जकड़े हुए है।

घमंड मान- सम्मान प्रवृति को समाप्त करता है। अमीर व्यक्ति राजा के समान कपड़ा पहनता है और देवता के समान व्यवहार करता है। वह भूल जाता है कि वह मरणशील है। जो धन के प्रेम से भ्रष्ट हो गये है उनके लिए अहम को छोड़ और कोई दिखाई नहीं देता है। पैसे की आशक्ति का नतीजा एक प्रकार का अंधापन है। वह कंगाल जो भूखा, पीड़ित और असहाय उसके द्वार पर पड़ा हुआ है अमीर उसे नहीं देख पाता है।


अमीर व्यक्ति के चरित्र को देखकर हम समझ सकते हैं कि क्यों सुसमाचार इतना स्पष्ट शब्दों में पैसे का प्रेम दोषपूर्ण बताता है।कोई भी दो स्वामियों की सेवा नहींकर सकता है। वह या तो एक से बैर और दूसरे प्रेम करेगा या एक का आदर और दूसरे का तिरस्कार करेगा। तुम ईश्वर और धन-दोनों की सेवा नहीं कर सकते। (मत्तिः6:24)
3.         ईश-वचन दान हैः

अमीर लाजरूस का सुसमाचार पास्का पर्व के लिए अच्छी तैयारी है। राख बुध की पूजन पद्धति हमे एक मौका देती है कि हम वही अनुभव करें जिसे अमीर ने यंत्राणाएं सहते हुए किया। हम हमारे सिर पर राख लगाते समय पुरोहित कहता है कियाद रखो कि तुम मिट्टी हो और मिट्टी में मिल जाओंगे।अमीर और कंगाल दोनों मर जाते हैं। दृष्टांत का मुख्य भाग मृत्यु के बाद के पहलुओं पर प्रकाश डालता है। दोनो ने समझा कि हम इस संसार में कुछ भी नहीं लाये हैं और ना ही हम इस संसार से कुछ लेकर जाएंगे। (1 तिमथि 6:7)

इस दृष्टांत में हम यह भी देखते हैं कि इस जीवन के बाद क्या होता है। वहां अमीर इब्राहीम से, जिसे वह पिता कहता है, बातें करता है मानो जैसे वह ईश्वर की प्रजा है। यह बात उसके जीवन के चरित्र से बिलकुल विपरित ह। वास्तव में उसके जीवन में ईश्वर का कोई स्थान नहीं था। वह अपने जीवन का एकमात्र ईश्वर स्वयं था। इस संसार के जीवन के बाद यातनाओं में वह लाजरूस को पहचानता है। वह चाहता है कि कंगाल एक बुंद पानी से उसका कष्ट कम करे। जो वह लाजरूस से मांग रहा है वही उसे करना था पर वह कभी नहीं किया। इब्राहीम उसको बताते हैयाद करो कि तुम्हे यंत्रणा।इस जीवन के बाद एक प्रकार की न्यायसंगति आती है जो जीवन की विपत्तियों को अच्छाई से संतुलित की आती है।

यह दृष्टांत सब ईसाइयों के लिए एक संदेश देता है अमीर इब्राहीम से निवेदन करता है कि वह लाजरूस को उसके भाइयों के पास भेजें कि वह उनको चेतावनी दें। इब्राहीम उत्तर देता हैःउनके पास मूसार और नबियों की पुस्तकें हैं, वे उनकी सुनें।अमीर कहता है कि वे नहीं सुनते। तब इब्राहीम कहता है, ‘ जब वे मूसरा और नबियों की नहीं सुनते, तब कोई मृतकों में से जी उठें, तब भी वे नहीं सुनेंगे।अमीर की वास्तविक समसया अब स्पष्ट होती है। उसकी सब कठिनाइयों का जड़ था कि वह ईश्वर का वचन नहीं सुनता था। इसका नतीजा हुआ कि वह ईश्वर को प्यार करना भूल गया है ओर अपने पड़ोसी का तिरस्कार करने लगा। ईश्वर का वचन जीवित और शक्तिशाली ह। वह हृदय को बदल सकता है और उनको ईश्वर के पास वापस ला सकता है। जब हम ईश वचन के लिए अपने हृदय बंद करते हैं तो उसका नतीजा यह होता है कि हम अपने भाई-बहनों के लिए जो हमारे लिए दान है, बंद कर देते हैं।

चलीसा एक उपयुक्त अवधि है जब हम पुनः ख्रीस्त से मिलते हैं जो अपने वचन में , संस्कारों में और हमारे पड़ोसियों में जीते हैं। प्रभु जिसने मरूभूमि में चालीस दिनों तक शैतान के छल-कपट पर विजय पायी, हम को रास्ता दिखाते हैं। परिवर्तन की सच्ची यात्रा में,पवित्र आत्मा हमारा मार्गदर्शक हो ताकि हम ईश्वर के वचन का दान फिर पहचानें, अंधा बनानेवाले पाप से शुद्ध हो जाएं और आवश्यकता में पड़े हुए अपने भाई-बहनों की सेवा कर सके।

दुनिया के विभिन्न स्थानों पर कलीसिया के संस्थाओं द्वारा नवीनीकरण का आयोजना होता है। सब विश्वासियों को प्रोत्साहित करता हूं कि उन अभियानों में भाग लेकर अपनी आध्यात्मिक नवीनीकरण करें और मानव परिवार में मेल-मिलाप की संस्कृति का समर्थन करें।

हम एक दूसरे के लिए प्रार्थना करें ताकि ख्रीस्त के विजय में सहभागी होकर हम अपने दरवाजों को कमजोरों और गरीबों के लिए खोलें। तब हम पूरी तरह पास्का पर्व के आनंद का अनुभव कर सकेंगे और उसमें भाग ले सकेंगे।

आपका सेवक, फ्रांसिस
(वाटिकन 18 अक्तूबर 2016)







            

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