Tuesday 22 February 2022

अब तक लालू यादव को 5 मामले में 32.5 साल की सजा


पटना. बहुचर्चित चारा घोटाले के पांच मामलों में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को अब तक साढ़े 32 साल की सजा सुनाई जा चुकी है. रांची स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने सोमवार को जिस मामले में उन्हें 5 साल की सजा सुनाई है और 60 लाख रुपए का जुर्माना भरने का आदेश दिया है, वह रांची के डोरंडा ट्रेजरी से 139. 5 करोड़ रुपये की अवैध निकासी से संबंधित है. ऐसे में अब तक लालू यादव को 5 मामले में 32.5 साल की सजा और करीब 1.60 करोड़ जुर्माना लगाया गया है.चाईबासा ट्रेजरी केसः चारा घोटाले में लालू प्रसाद यादव के खिलाफ कुल 6 मामले दर्ज हुए थे, जिनमें पांच मामले झारखंड के और एक मामला बिहार का है.                 

* चारा घोटाले का पहला मामला चाईबासा कोषागार से 37.7 करोड़ की अवैध निकासी का था, जिसमें लालू यादव को 5 साल की सजा सुनाई गई थी.

*देवघर ट्रेजरी केसः दूसरा मामला देवघर कोषागार से 84.53 लाख रुपए की अवैध निकासी का था. इसमें लालू यादव समेत 38 लोगों को आरोपी बनाया गया था. इस मामले में लालू प्रसाद को साढ़े तीन साल की सजा और 5 लाख का जुर्माना लगाया गया था.                                            ’ 

*चाईबासा ट्रेजरी केसः तीसरा मामला भी चाईबासा कोषागार से जुड़ा था. इस मामले में लालू प्रसाद को पांच साल की सजा दी गई थी और 10 लाख का जुमार्ना लगाया गया था. यह मामला 33.67 करोड़ रुपए की अवैध निकासी का था.                          ’ 

*दुमका ट्रेजरी केसः लालू से जुड़ा चैथा मामला दुमका कोषागार का था. इस मामले में 3.13 करोड़ रुपए की अवैध निकासी का आरोप था. इसमें लालू प्रसाद यादव को दोषी करार देते हुए दो अलग-अलग धाराओं में 7-7 साल की सजा सुनाई गई थी, साथ ही 60 लाख रूपए का जुर्माना भी लगाया गया था.                            

 *डोरंडा ट्रेजरी केसः ये मामला 139 करोड़ 50 लाख रुपये की अवैध निकासी का है. 15 फरवरी को कोर्ट ने लालू यादव को इसमें दोषी करार दिया था. इस मामले में अदालत ने लालू यादव को 5 साल कैद की सजा सुनाई है. साथ ही 60 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.                         

बता दें कि बहुचर्चित चारा घोटाले के इस पांचवें मामले में रांची के डोरंडा थाने में वर्ष 1996 में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. बाद में सीबीआई ने यह केस टेकओवर कर लिया. मुकदमा संख्या आरसी-47 एध्96 में शुरूआत में कुल 170 लोग आरोपी थे. इनमें से 55 आरोपियों की मौत हो चुकी है, जबकि सात आरोपियों को सीबीआई ने सरकारी गवाह बना लिया. दो आरोपियों ने अदालत का फैसला आने के पहले ही अपना दोष स्वीकार कर लिया. छह आरोपी आज तक फरार हैं.                      

 इस मुकदमे की सुनवाई के दौरान सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में अभियोजन की ओर से कुल 575 लोगों की गवाही कराई गई, जबकि बचाव पक्ष की तरफ से 25 गवाह पेश किये गये. इस मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कुल 15 ट्रंक दस्तावेज अदालत में पेश किये थे. पशुपालन विभाग में हुए इस घोटाले में सांढ़, भैस, गाय, बछिया, बकरी और भेड़ आदि पशुओं और उनके लिए चारे की फर्जी तरीके से ट्रांसपोर्टिंग के नाम पर करोड़ों रुपये की अवैध रूप से निकासी की गयी. जिन गाड़ियों से पशुओं और उनके चारे की ट्रांसपोर्टिंग का ब्योरा सरकारी दस्तावेज में दर्ज किया था, जांच के दौरान उन्हें फर्जी पाया गया. जिन गाड़ियों से पशुओं को ढोने की बात कही गयी थी, उन गाड़ियों के नंबर स्कूटर, मोपेड, मोटरसाइकिल के निकले.                     

चारा घोटाले के ये मामले 1990 से 1996 के बीच के हैं. बिहार के सीएजी (मुख्य लेखा परीक्षक) ने इसकी जानकारी राज्य सरकार को समय-समय पर भेजी थी लेकिन सरकार ने ध्यान नहीं दिया. सीबीआई ने अदालत में इस आरोप के पक्ष में दस्तावेज पेश किये कि मुख्यमंत्री पर रहे लालू यादव ने पूरे मामले की जानकारी रहते हुए भी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की. कई साल तक वह खुद ही राज्य के वित्त मंत्री भी थे, और उनकी मंजूरी पर ही फर्जी बिलों के आधार राशि की निकासी की गयी. चारा घोटाले के चार मामलों में सजा होने के चलते राजद सुप्रीमो को सात बार जेल जाना पड़ा. पूर्व में जिन चार मामलों में उन्हें सजा सुनाई गई थी, उन सभी मामलों में उन्हें हाईकोर्ट से जमानत मिली है.

आलोक कुमार

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