Tuesday 22 February 2022

आज कस्तूरबा की 78 वी पुण्यतिथि

 

दिल्ली. आज 22 फरवरी का दिन ही पुणे के आगाखान पैलेस में महात्मा गाँधी जी की जीवन संगीनी कस्तूरबा गाँधी जी के मृत्यु होने की 78 वी पुण्यतिथि है. उम्र के तेरवे साल की कस्तूरबा गाँधी की शादी मोहन से हुई थी. और वह महात्मा गाँधी से छह महीने बडी थी. आज से डेढ सौ साल पहले. इस तरह कि शादी सचमुच ही बहुत बडी बात है.उस जमाने में लडकी के शिक्षा का चलन नहीं होने के कारण. कस्तूरबा शादी करने के पहले अनपढ़ थी . और शादी के समय मोहन खुद हायस्कूल मे पढाई कर रहे थे.

कस्तूरबा शादी करने के बाद मोहन पढ़ने के उम्र के अठारह साल के थे तब विदेश गए थे और बैरिस्टर होकर वापस आने के बाद, पोरबंदर से लेकर,राजकोट, मुंबई तक काफी मशक्कत करने के बाद भी, युवा वकील मोहन की वकालत नहीं चली. तो दक्षिण अफ्रीका मे काठियावाड़ के मेमन व्यापारी दादा अब्दुल्ला नाम के व्यापारी को . अपने फर्म के लिए, गुजराती और अंग्रेजी जानने वाले किसी क्लर्क की आवश्यकता थी . तो मोहन को उस काम के लिए दक्षिण अफ्रीका एक साल के लिए, 105 पौंड की तनख्वाह पर बुलाया गया था.  तब भी कस्तूरबा पोरबंदर में अपने सास-ससुरके साथ ही रही .लेकिन जब बैरिस्टर साहब की प्रैक्टिस और भारत से अफ्रीका में काम करने वाले लोगों के जिन्हें गिरमिटीया या कूली बोला जाता था.

गांधीजी और कस्तूरबा ने गृहस्थ.जीवन का सुंदर आदर्श प्रस्तुत किया. बा के बारे में गांधीजी ने कहा है- मैं तो जितना प्रेमी उतना ही क्रूर पति था। मैं अपने को उसका शिक्षक भी मानता थाए इस कारण अपने अंधे प्रेम के वश होकर उसे खूब सताता था.

यह वह समय था जब मुझे इसका स्पष्ट भान न था कि पत्नी केवल सहधर्मिणी, सहचारिणी और सुख.दुःख की साथिन है.

बल्कि मैं यह मानकर चलता था कि पत्नी विषय.भोग का भाजन है और पति की कैसी भी आज्ञा क्यों न होए उसका पालन करने के लिए वह सिरजी गई है.

लेकिन आज मैं मोहांध पति नहीं हूँ. शिक्षक नहीं हूं कस्तूरबाई चाहे तो आज मुझे धमका सकती है. आज हम परखे हुए मित्र हैं. एक.दूसरे के प्रति निर्विकार बनकर रहते हैं

जैसे.जैसे मैं निर्विकार बनता गयाए वैसे.वैसे मेरी गृहस्थी शांत ,िनर्मल और सुखी होती गई है और आज भी होती जा रही है.
आलोक कुमार

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