सुपौल. आज 8 मार्च है. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस. इस अवसर पर आज यहां के व्यापार संघ सभागार में महिला दिवस मनाया गया. आज के विमर्श का विषय था‘ आजादी के 75 वर्ष में कोशी की महिलाओं के समक्ष चुनौतियां व कार्यभार‘. इस विमर्श को सहजता से लेकर गाँव से लेकर शहर तक तटबन्ध के भीतर रहने वाली महिलाएं, बाढ़ पीड़ित से लेकर प्राचार्य तक, पढ़ने वाली बच्चियों से लेकर बुजुर्ग महिलाओं तक, सभी बड़े उत्साह के साथ अपनी-अपनी बातों को सार्वजनिक की. महिला एकता जिन्दाबाद, नारी के सहभाग बिना हर बदलाव अधूरा है आदि गगनचुम्बी नारा लगा रहे थे.
आजादी के 75 वर्ष बाद भी कोशी तटबन्ध के बीच की आधी आबादी के बुनियादी सुविधाएं की अभाव की पीड़ा छलकी. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर कोशी महिला मंच व कोशी नव निर्माण मंच के संयुक्त तत्वावधान में व्यापार संघ के सभागार में ‘आजादी के 75 वर्ष, कोशी की महिलाओं के समक्ष चुनौतियां व कार्यभार‘ विषय पर विमर्श का आयोजन किया गया.
विमर्श में वक्ताओं ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं की आजादी, बराबरी, व सम्मान का दिन है. इसलिए आज हम सभी इकठ्ठा हो कर महिला दिवस को मना रहे हैं. देश के आजादी की लड़ाई में महिलाओं के योगदान और उनके द्वारा सही गई अनेक प्रकार के यातनाओं का 75 वर्ष बाद भी ठीक से मूल्यांकन नही हुआ है. आजादी की लड़ाई में भागीदारी के साथ, रचनात्मक संघर्षों में तो वे रही ही, घर के पुरुषों के बलिदान व जेल जाने, फरार होने के बाद उनके द्वारा सही गई यातना के वर्णन के लिए शब्द कम पड़ जाएंगे. वहीं कोशी तटबंध के भीतर की आईं महिलाओं ने जब अपनी बाढ़, कटाव, विस्थापन, बुनियादी सुविधाओं की अभाव की पीड़ा बताना शुरू किया तो सभागार उनके दर्द से गमगीन हो गया. उन महिलाओं ने बताया कि हमलोग हर साल बाढ़, कटाव में अमानवीय जीवन बिताती है, प्रसव हो या अन्य बीमाती सही समय मे इलाज के अभाव में जान गवां देतें हैं, समुचित टीकाकरण आज तक नही होता है, एक भी उप-स्वास्थ्य केंद्र तटबंध के भीतर नही है, शिक्षा के अभाव में बच्चे अनपढ़ है, पुनर्वास के अभाव में हर साल बाढ़ में डूबने पर विवश है. अभी भी कटाव पीड़ितों के घर की क्षति की राशि तक नही मिली है ऐसा लगता है कि हमलोग देश की नागरिक ही नही हैं हमलोगों को वर्षों से किस जुर्म की सजा दी जा रही है ?उपस्थित सैकड़ों महिलाओं ने आपस मे एकजुटता करते हुए कोशी के तटबंध की बीच की महिलाओं के संघर्ष में साथ रहने का संकल्प लिया, साथ ही बेटा - बेटी में पढाई दवाई खान पान में भेद नही करने का संकल्प भी दुहराया.
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि मोद नारायण कॉलेज की भीमनागर की प्राचार्या डॉ. लीला कुमारी थीं. वहीं अध्यक्षता अर्चना सिंह मनीषा खातून दुल्लो देवी, संजू देवी, राजकुमारी देवी ने संयुक्त रूप से किया. संचालन ज्ञानी कुमारी और प्रियंका ने किया. कार्यक्रम में प्रमुख्य रूप से अधिवक्ता अमृता, शालिनी कुमारी, अन्नू कुमारी, समतोलिया देवी, बलिशा खातून, शेमुन खातून, हीरा देवी, त्रिमुन देवी, सबीना खातून , रीना देवी, ऋतं कुमारी, रोजो कुमारी, संजो देवी, गीता देवी, त्रिफुल देवी, पूनम देवी, छेदनी देवी आदि ने अपनी बातें रखीं.वहीं राहुल यादुका ने विमर्श का विषय प्रवेश कराया. कोशी नव निर्माण के जिला अध्यक्ष इन्द्रनारायण सिंह, संरक्षक भुनेश्वरी प्रसाद, परिषदीय अध्य्क्ष संदीप यादव व संस्थापक महेंद्र यादव व प्रभाष ने भी अपनी बात रखी. व्यवस्था में अरविंद, धर्मेन्द्र, सन्तोष मुखिया, भीम सदा, मनीष, इंद्रजीत, संदीप मो सदरुल, निशा कुमारी, गुलेसा, इत्यादि रहे.
आलोक कुमार
No comments:
Post a Comment