संगोष्ठी में अपना विचार रखते हुए श्रीमती भूषण ने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं की उपलब्धि, उनके संघर्ष और अधिकारों के प्रति सजगता का प्रतीक दिवस है। जहाँ आजादी के पुर्व कांग्रेस से जुडी महिलाओं ने स्वतंत्रता के संघर्ष में अविस्मरणीय भुमिका निभाई वहीं आजादी के बाद महिलाओं ने राजनैतिक और सामाजिक क्षेत्र में अपनी भागीदारी को व्यापक बनाते हुए हर स्तर पर अपना परचम लहरा दिया। श्रीमती इन्दिरा गांधी जी इसका अप्रतिम उदाहरण बनी। बाबजूद इसके आज भी राजनैतिक भागीदारी के स्तर पर महिलाओ के लिये बहुत कुछ किये जाने की आवश्यकता है। महिलाओं के लिये संसद में 33 प्रतिशत आरक्षण की मांग उसी भागीदारी को व्यापक बनाये जाने की कड़ी है जिसकी लडाई महिला कांग्रेस आदरणीय श्रीमती सोनिया गांधी जी, श्री राहुल गान्धी जी, सुश्री नेत्ता डिसूजा जी और श्रीमती प्रियंका गांधी जी के नेतृत्व में लड़ रही है। उत्तरप्रदेश के चुनाव में लड्की हूं लड़ सकती हूं महज एक नारा नही रहकर एक आन्दोलन बन गया और कांग्रेस ने दो कदम आगे बढकर 40 प्रतिशत सीटें महिलाओं को दी।
कार्यक्रम की अगली कड़ी में प्रदेश पदाधिकारियो और महिला जिलाध्यक्षों की बैठक हुई। जिसमें संगठन की समीक्षा के साथ साथ लड्की हूं लड़ सकती हूं के थीम पर एक वीडियो रीलिज कार्यक्रम हुआ। लड्की हूं लड़ सकती हूं के नारे को एक देशव्यापी आन्दोलन का रूप देने के मकसद से महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष की ओर से एक देशव्यापी वीडियो प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है जिसमें बिभिन्न आयुवर्ग की महिलाएँ वीडियो संदेश के माद्यम से अपने संघर्ष और सफलता की कहानी साझा करेंगी। विजेता महिलाओं के लिये पुरस्कार के रूप में स्कूटी, लैपटॉप और स्मार्ट फोन दिये जाने की घोषणा की गई। श्रीमती भूषण ने इस पूरी कवायद को महिलाओं के प्रति कुछ जड़ धारणाओं को समाप्त करने, उन्हें अपने अधिकारों के प्रति सजग करते हुए बराबरी का दर्जा पाने का माध्यम बताया।कार्यक्रम में प्रदेश अध्यक्ष के साथ विधायिका प्रतिमा कुमारी दस, पूर्व विधायक भावना झा, डॉ. किरण, शरवत जहाँ फातमा, जया मिश्रा, अनोखा देवी, डॉ. अनीता, सुनीता साक्षी, मोनी पासवान, उर्मिला सिंह नीलू, संजू पाण्डेय, सुधा मिश्रा, अनामिका शर्मा, महिला जिला अध्यक्ष ईशा, निधि पाण्डेय, रुमा सिंह आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
आलोक कुमार/स्वीटी माइकल
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