Sunday, 29 May 2022

गर्भवती के स्वास्थ्य की पूरी सूचना इस ऐप के माध्यम से अपडेट किया जाएगा

  

गया. जिले के  ’जिला पदाधिकारी, गया डॉ० त्यागराजन एसएम द्वारा वंडर प्रोजेक्ट ट्रेनिंग तथा श्रवण श्रुति प्रोजेक्ट के संबंध में समीक्षा बैठक समाहरणालय सभाकक्ष में की गई.’ जिला में वंडर  ऐप   की मदद से मातृ एवं शिशु मृत्यु की रोकथाम की जाएगी. बोधगया प्रखंड से पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसकी शुरुआत की गयी है. प्रखंड में गर्भवती के स्वास्थ्य की पूरी सूचना इस  ऐप   के माध्यम से अपडेट किया जाएगा ताकि प्रसव या​ किसी जरूरत के समय उसे पूरा इलाज किया जा सके.  वंडर  ऐप को बड़े पैमाने पर क्रियान्वित किया जाना है और सभी स्वास्थ्यकर्मियों तथा सहयोगी संस्थाओं के सभी कर्मी से सहयोग अपेक्षित है. विशेष रूप से वंडर ऐप  की मदद से शत प्रतिशत गर्भवती महिलाओं का कवरेज किया जा सके और जटिलता को रोकने या जटिलता को समय रेफर कर आवश्यक उपचार मुहैया कराने में मदद मिलेगी.

 जिलाधिकारी ने कहा कि इस ऐप के तीन कंपोनेंट हैं जिसमें एंटी नेटल पीरियड यानी गर्भवती के पूरे नौ माह के दौरान जो जटिलता उत्पन्न होती है उसका निदान किया जा सके.इसे लेकर स्वास्थ्य अधिकारियों को कहा कि एप पर गर्भवती की सभी प्रकार की जानकारी दिया जा सकता है और सिविल सर्जन तथा जिला स्तर के स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा इसका अनुश्रवण किया जा सकता है.उन्होंने कहा कि एप के लिए पंचायत स्तर पर कैंप  लगा कर गर्भवतियों की सभी प्रकार की जांच करनी है.जांच स्थल पर ही पैथोलॉजिकल टेस्ट पूरा करना है. इसके लिए यूनिक आईडी भी दिया जायेगा.यूनिक आईडी की मदद से महिला की सभी प्रकार की जांच की जानकारी चिकित्सक को मिल सकेगी.

वंडर प्रोजेक्ट को सफल क्रियान्वयन के लिए विभिन्न विभागों को ट्रेनिंग के समीक्षा के दौरान बताया गया कि विभिन्न विभागों में लगभग 4200 लोगों को ट्रेनिंग दिया गया है, जिनमें 55 चिकित्सक, 638 एएनएम एवं 3056 आशा शामिल हैं.इसके साथ ही बोधगया प्रखण्ड के जीविका के 39 कर्मियों को पूरी तरह ट्रेनिंग दिया जा चुका है. जिला पदाधिकारी ने जीविका के समूह, मगध मेडिकल तथा अन्य स्वास्थ्य विभाग के विभिन्न कार्यालयों के कर्मियों एवं चिकित्सकों को पर्याप्त ट्रेनिंग करवाने का निर्देश दिए ताकि वंडर प्रोजेक्ट को पूरी तरह सफल क्रियान्वयन कराया जा सके.

उन्होंने कहा कि मगध मेडिकल, जयप्रकाश नारायण अस्पताल तथा प्रभावती अस्पताल के डायग्नोलॉजिस्ट चिकित्सकों को प्राथमिकता देकर भौतिक रूप से वर्कशॉप आयोजित करते हुए ट्रेनिंग करवाएं ताकि भविष्य में किसी भी गंभीर अवस्था वाले मरीजों को प्रॉपर तरीके से कंट्रोल किया जा सके.उन्होंने बताया कि वंडर ऐप रेफरल मामलों में काफी मददगार साबित होगा.उन्होंने कहा कि यदि अगर कोई गर्भवती महिला अस्पताल में है लेकिन उसकी स्थिति काफी दयनीय है, तत्पश्चात उसे किसी बड़े अस्पताल में रेफर करने की आवश्यकता है तो वंडर मोबाइल ऐप में महिला की बीमारी का जिक्र करते हुए रेफर का विकल्प डालें.यह अलर्ट संबंधित बड़े अस्पताल के चिकित्सकों तथा अन्य पदाधिकारियों के मोबाइल पर तुरंत पहुंच जाएगा, जिससे उनके इलाज बिना समय गवाएं और अधिक प्रभावी रूप से किया जा सकेगा.

उन्होंने सभी संबंधित पदाधिकारियों को निर्देश दिया कि हर स्तर पर बेहतर तरीके से ट्रेनिंग कर ले ताकि आने वाले दिनों में ऐसे मामलों पर अपना बेहतरीन परफॉर्मेंस दे सके.बैठक में बताया गया कि वंडर ऐप के तहत अब तक कुल 934 महिलाओं को स्क्रीनिंग किया गया है, जिनमें सबसे अधिक बोधगया के 689 महिला, प्रभावती 216, बांके बाजार 14, गुरुआ 14, नीमचक बथानी में 6, मोहनपुर 2, मगध मेडिकल अस्पताल एक तथा खिजरसराय में एक महिला का स्क्रीनिंग किया गया है.

जिला पदाधिकारी ने सिविल सर्जन तथा डीपीएम स्वास्थ्य को निर्देश दिया कि हर सप्ताह सेविका एएनएम आशा को एक जगह बैठा करके लाइन लिस्टिंग तयार करावे साथ ही संबंधित पंचायत के मुखिया को भी उक्त बैठक में सम्मिलित करें ताकि संबंधित पंचायत के लोगों को जागरूक आसानी से किया जा सके.उन्होंने कहा कि बोधगया प्रखंड को मॉडल के रूप में रखते हुए कार्य करे. जिससे और भी अन्य सभी प्रखंड प्रेरित हो सके। वहां की एक एक महिलाओं का अच्छे से सर्वे करते हुए वंडर ऐप में बेसिक डिटेल एंट्री करावे. एक भी महिला ना छूटे या ध्यान रखें. अभियान स्तर पर कैंप लगाएं तथा कैंप में बेसिक व्यवस्थाएं हैं, उसे सुसज्जित तरीके से रखें.

’श्रवण श्रुति प्रोजेक्ट’ के संबंध में बताया गया कि जिला स्तरीय विभिन्न पदाधिकारियों के साथ कोआर्डिनेशन बैठक का काफी अच्छा परिणाम सामने आया है.खास करके विभिन्न स्टेकहोल्डर, स्वास्थ्य, शिक्षा, आईसीडीएस तथा सामाजिक सुरक्षा कार्यालय द्वारा काफी सहयोग किया जा रहा हैं.उन्होंने बताया कि छोटे बच्चों को स्क्रीनिंग के लिए विभिन्न स्तरों पर उन्हें मोबिलाइज किया जा रहा है। हर स्तर पर माइक्रो प्लान तैयार करते हुए उन्हें लगातार मॉनिटरिंग भी किया जा रहा है.श्रवण श्रुति प्रोजेक्ट के तहत स्क्रीनिंग किए हुए बच्चों को बेहतर इलाज के लिए बेरा टेस्ट BERA TEST की व्यवस्था कराया जा रहा है.

बैठक में बताया गया कि 2 मार्च से अब तक 326 आंगनबाड़ी सेंटरों में 9066 बच्चों को स्क्रीनिंग किया जा चुका है, जिनमें 40 बच्चों को बेरा टेस्ट BERA TEST के लिए रेफर किया गया है तथा उनमें 29 बच्चों का बेरा टेस्ट BERA TEST पूर्ण करते हुए 2 बच्चे बेरा टेस्ट BERA TEST पॉजिटिव पाए गए हैं.

जिला पदाधिकारी ने स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारियों को बताया कि नवजात बच्चों को भी श्रवण श्रुति प्रोजेक्ट के तहत शत प्रतिशत स्क्रीनिंग कराने के लिए कार्य योजना तैयार करें.उन्होंने कहा कि नवजात बच्चों को कौन से उपकरण से जांच किया जाएगा इसके लिए भी विस्तार से गाइडलाइन को पढ़ते हुए उसी अनुरूप तैयारी करें.उन्होंने कहा कि वर्तमान में बच्चों को किए जा रहे स्क्रीनिंग के उपरांत उन बच्चों को और बेहतर इलाज के लिए संबंधित चिकित्सक सप्ताह में एक दिन द्वारा उन बच्चों को जांच कर वेरीफाई करते हुए उन्हें बेरा टेस्ट BERA TEST कराएं. बच्चों को और बेहतर इलाज के लिए पटना एम्स से समन्वय स्थापित करते हुए उन्हें एंबुलेंस के माध्यम से रेफर करें तथा उनके परिजनों को लगातार फीडबैक दिया करें. इसके उपरांत उन्होंने श्रवण श्रुति प्रोजेक्ट को और अच्छी तरह धरातल पर लाने के लिए विभिन्न बिंदुओं पर विचार विमर्श किया.

बैठक में सिविल सर्जन द्वारा बताया गया कि श्रवण श्रुति के तहत काफी अच्छे परिणाम मिल रहे हैं. बच्चों के स्क्रीनिंग के दौरान उन्हें इलाज किया गया.इलाज के दौरान लगभग 20 से 30 बच्चे हियरिंग लॉस की समस्या से निजात मिला है. जो काफी अच्छे संकेत हैं. जिला पदाधिकारी ने सिविल सर्जन तथा तमाम पदाधिकारी जो श्रवण श्रुति में लगे हुए हैं उन सभी को पूरे लगन और जोश के साथ बच्चों का स्क्रीनिंग एवं उनका समुचित इलाज करवाने का निर्देश दिए.

आलोक कुमार

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