Monday 18 February 2013

Danapur


                                                  सरकार और गैर सरकारी संस्थाओं पर सवाल

                                       ईमानदारी से नहीं करते काम
आजादी के 66 साल के बाद भी महादलित मुसहर समुदाय की दशा-दिशा में सुधार नहीं सकी है। इसको लेकर सामाजिक कार्यकर्ता नरेश मांझी काफी आक्रोशित हैं। अभी महादलित बस्तियों में जा रहे हैं। सरकार के द्वारा आवासीय भूमिहीन महादलितों को 4 डिसमिल जमीन दिलवाने, सरकार के द्वारा निर्गत भूमि का पर्चा मिलने के बाद दाखिल खारिज नहीं होने, अभी जिस जगह में आवासहीन मुसहर रहते हैं उक्त भूमि का वासगीत पर्चा देने आदि की मांग को लेकर संघन अभियान चला रहे हैं। साथ ही एक दिवसीय आवासीय भूमिहीनों की समस्या को लेकर दानापुर अंचल कार्यालय पर 25 फरवरी 2013 को होने वाले महाधरना में शामिल होने का न्यौता भी देते जा रहे हैं।
  सामाजिक कार्यकर्ता नरेश मांझी ने कहा कि अभी दानापुर प्रखंड के विभिन्न मुसहरी में अभियान चला रहे हैं। अभी तक दानापुर अनुमंडल में पड़ने वाले शिवचक मुसहरी, नरगदा, जमसौत, सिकन्दरपुर, भगवतीपुर, शिवालापर, नवरंत्नपुर, मुर्गियाचक, पोजी, गौरवां बड़ी मुसहरी, गौरवां छोटी मुसहरी, कौथवा, अभिमन्यु नगर, जलालपुर, आदमपुर, बोम्बे बगीचा, आशोपुर,नासरीगंज बिस्कुट फैक्ट्री, गाबतल और झखड़ी महादेव मुसहरी में दौरा कर चुके हैं। महादलित मुसहर गांव के किनारे बसे हैं। इनके टोलों में सरकार के द्वारा बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं करायी गयी है। बस किसी तरह से जिन्दगी काट रहे हैं। सुदूर गांवों में रहने वाले महादलितों को नौकरशाहों के द्वारा एक ही झटके में नक्सली करार दिया जाता है। बल्कि अज्ञानता के दलदल में फंसे रहने वाले महादलित मुंह नहीं खोल पाते हैं। हमेंशा हीनभावना के चादर ओढ़े रहते हैं। जो देहातों शहरों में समान रूप से हैं। संपति के नाम पर एक गिलास, एक लोठा, दो थाली, दो तसला, एक कढ़ाई, एक कलछुल और एक लकड़ी का बक्सा रहता है। बाल-बच्चों के साथ जमीन पर ही सो जाते हैं। वहीं पहनना, वहीं ओढ़ना और वहीं बिछावन भी बन जाता है। बक्सा में बी.पी.एल.कार्ड, स्मार्ट कार्ड,सामाजिक सुरक्षा पेंशन कार्ड आदि रखते हैं। इन 20 मुसहरियों का हाल कमोवेश समान ही है।
  श्री मांझी ने कहा कि इन सुशासन सरकार के नौकरशाहों के द्वारा विभिन्न मुसहरियों में जाकर आवासीय भूमिहीनों का चयन करके सूची बनाये थे। अब पांच साल हो गया मगर सरकारी घोषणा के अनुसार आवासहीन महादलितों को चार डिसमिल जमीन देने की प्रक्रिया शुरू नहीं की जा सकी है। नतीजन मानवीय मानक के विपरित नहर,सड़क,नदी आदि के किनारे रहने को बाध्य हो रहे हैं। सरकार के पास पर्याप्त धनराशि है। मगर सरकारी इच्छा शक्ति के अभाव में महादलितों का कार्य नहीं किया जा रहा है। सूचना है कि राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को चालू वित्तीय वर्ष में 136 करोड़ रूपये में से सिर्फ 40 करोड़ रूपये खर्च किया गया है। इसका मतलब डेढ़ माह से कम समय में 96 करोड़ खर्च करना है। अभी सिर्फ 41 दिन शेष है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के माथे पर तक 96 करोड़ खर्च करना है। यह सवाल है कि क्या इस राशि का प्रवेश में मुसरियों में होगा़?
   आगे कहते हैं कि अगर सरकार और गैर सरकारी संस्थाओं के द्वारा मुसहरियों पर विशेष ध्यान दिया जाता है तो उनकी तस्वीर और तकदीर बदल सकती हैं। लगातार 10 वर्षों तक स्कूली शिक्षा की व्यवस्था कर दी जाए तो एक पीढ़ी के बच्चे कम से कम मैट्रिक पास कर जाएंगे।


2 comments:

chingari Prime News said...


आपका प्रोत्साहन मिलते रहे। धन्यवाद सहित
आलोक कुमार

chingari Prime News said...


alok.1258@rediffmail.com