पटना। आज से भोजन का अधिकार अभियान(बिहार) का राज्य सम्मेलन शुरू हुआ। इसमें भारी संख्या में संस्थाओं के प्रतिनिधि और ग्रामीणों ने हिस्सा लिया। बाल्यावस्था में घर से निकलकर खुद के और अपने परिवार के सदस्यों का उदरपूत्र्ति करने वाली मासूम बच्चे भी शामिल थे। राज्य सम्मेलन की अध्यक्षता एमएन कर्ण ने की।
इस अवसर पर भोजन का अधिकार को लेकर पेश संगीत दिमाग को झकझोर दिया। श्वेत प्रीत और निशा यादव के साथ कोरस पेश किये पीयूष,राजीव,चूनचून और मदन मोहन ने। जबतक रोटी के प्रश्नो पर पड़ेगा भारी पत्थर, कोई ख्याब न सजाना तुम,मेरे गली में खुशी खोजते अगर कभी जो आ जान तुम....। अरे हे! नैया पार लगा,नैया पार लगा, अब मचल उठा है दरिया अब सिर पर घिरी बदरीया.....। हारमोनियम वादक मारकण्डे पाण्डे, तबला पर संगत आजाद किये।
सुप्रीम कोर्ट के आयुक्त के सलाहकार रूपेश कुमार ने कहा कि राज्य में विभिन्न प्रकार के कार्य किया जाता है। सूचना के अधिकार को लेकर, जमीन को लेकर लड़ाई, साम्प्रदायिकता के खिलाफ जनमत तैयार करने के साथ ही रोजी-रोटी अभियान चलाया जाता है। विगत दस वर्षों में नये तरीके से कार्य हो रहे हैं। कई संभावनाओं को जोड़कर कार्य को विस्तारीकरण स्वरूप प्रदान किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रायः हमलोग दो तरह से कार्य करते हैं। संघर्ष और संवैधानिक अधिकारों को प्रयोगों से। इसमें पीयूसीएल का भी योगदान महत्वपूर्ण है।
एकता परिषद के राष्ट्रीय समन्वयक प्रदीप प्रियदर्शी ने कहा कि आजादी के 66 साल के बाद भी नागरिकों को रोटी की मांग को लेकर संघर्ष की जा रही है। नागरिकों को सरकार 10 डिसमिल जमीन रहने के लिए और 5 एकड़ जमीन आजीविका के लिए दे। इतने से लोग जीवन निर्वाह कर लेंगे। इस अवसर पर प्रवीन्द कुमार प्रवीण,डा.शकील अहमद,विराट ,कपिलेश्वर राम आदि ने विचार व्यक्त किये।
आलोक कुमार