Sunday 17 February 2013

एक तो महादलित की पत्नी की मौत हो गयी,


एक तो महादलित की पत्नी की मौत हो गयी

दूजे अत्येष्टि योजना से ही कर दिये गये महरूम

 एक तो महादलित की पत्नी की मौत हो गयी, दूजे अत्येष्टि योजना से ही महरूम कर दिये गये। जी हां, कुछ इसी तरह से हुआ है। राजधानी में सरकार और नौकरशाहों का आशियाना और कार्यालय है। कुछ ही दूरी पर पटना सदर प्रखंडान्तर्गत उत्तरी मैनपुरा ग्राम पंचायत में गंगा किनारे एल.सी.टी.घाट में महादलित मुसहर समुदाय के गरीब लोग रहते हैं। इनके साथ जन प्रतिनिधि के द्वारा पक्षपात किया जा रहा है। इस ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। प्रभावित महादलित का एक पैर घर और दूसरे पैर मुखिया जी के दलान में रहता है। वह परेशान और हलकान हैं। वह हर आनेजाने वालों को पटना नगर निमग में दाहसंस्कार करने का प्रमाण-पत्र और पत्नी की तस्वीर दिखाकर न्याय की भीख मांगते हैं।
  गंगा टावर के सामने गंग स्थली एल.सी.टी.घाट में महादलित मुसहर समुदाय रहते हैं। यहां पर कोई बीस घर है। घर इन्दिरा आवास योजना से निर्माण करवाया गया है। आपबीती बयान के संदर्भ में विस्तार से महादलित रामजी मांझी कहते हैं। आजादी दिवस 15 अगस्त 2012 को मेरी पत्नी सुमंती देवी की मौत हो गयी। कुछ दिनों से बुखार से पीड़ित थीं। यही मौत का फंसाना बन गयी। उसे 16 अगस्त को बांसघाट स्थित पटना नगर निगम के शवदाह गृह में अग्नि को समर्पित कर दी गयी। पड़ोसी से उधार लेकर दाहसंस्कार किया  गया। यह सोचा गया कि मुखिया जी कबीर अत्येष्ठि योजना से 15 सौ रूपये मिलने के बाद वापस कर देंगे। 6 माह गुजरने के बाद भी कबीर अत्येष्ठि से राशि नहीं मिल पायी है। रामजी मांझी कहते हैं कि उनके सात बच्चे हुए हैं। 4 लड़का और 3 लड़की। इनमें गरीबता के कारण 4 बच्चों की मौत हो गयी। अभी 2 लड़की और 1 लड़का है। दोनों लड़कियां खुशबू कुमारी और सोनी कुमारी  अध्ययनरत हैं। 1 लड़का  10 साल कचरा संग्रह करने वाले के पास कार्यरत हैं।
  आगे कहते हैं कि हम दोनों दम्पति के अलावे यहां के महादलित मुसहर पटना शहर के महानगरों के कूड़ों के ढेर पर जा-जाकर कचरा आदि चुनते हैं। कूड़ों के ढेर से इकट्टा किये गये रद्दी कागज,शीशा,प्लास्टिक, पॉलिथिन आदि चुनकर और बेचकर किस्मत चमकाते हैं। जिस दिन रद्दी कागज चुनते और बेचते हैं, तो उसी दिन चूल्हा जल पाता है। अगर किसी कारणवश ऐसा नहीं कर पाते हैं तो चूल्हा पर बर्तन नहीं चढ़ता है। 
 समाज के किनारे महादलित मुसहर समुदाय ठहर गया है। सरकार और गैर सरकारी संस्थाओं के द्वारा काफी प्रयास करने के बाद भी महादलित मुसहर समुदाय का विकास और कल्याण नहीं हो पा रहा है। सरकार के द्वारा ऐसे  लोगों के लिए कई तरह की योजना बनायी गयी है। योजनाओं की राह महादलितों के द्वार तक नहीं पहुंच पा रहा है। इसका मुक्तभोगी रामजी मांझी हैं। इनकी पत्नी सुमंती देवी की मौत हो गयी है। कायदे से रामजी मांझी को कबीर अत्येष्ठि योजना से लाभान्वित करा देना चाहिए। मगर मुखिया जी की मनमर्जी के कारण रामजी को योजना से लाभ नहीं मिल पा रहा है।  
      

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