इंकार तुड़वाने
के लिए चिकित्सक
दल के साथ
पत्रकार भी
‘कोई मां रूठे नहीं और कोई बच्चा छूटे नहीं’यह सिर्फ नारा नहीं है। मगर यह सच है। जो मां अपने बच्चे को पोलियों की खुराक पिलवाने में ना-ना करती हैं। उसके ना-ना करने से मासूम बच्चे को पोलियों की खुराक नहीं पिलायी जा सकती है। इस तरह की हरकत को स्वास्थ्यकर्मी इंकार कर देना कहते हैं। इस इंकार को तोड़वाने के लिए चिकित्सक के नेतृत्व में दल इंकार तोड़वाने के लिए इंकार कर देने वाले व्यक्ति के घर पहुंचते हैं। वहां पर पहुंचकर उनको समझा-बुझाकर बच्चे को पोलियों की खुराक पिलाने के लिए राजी किया जाता हैं। कुछ इसी तरह आज किया गया।
सर्वप्रथम यह नारा ‘कोई मां रूठे नहीं और कोई बच्चा छूटे नहीं’ को पश्चिम चम्पारण जिले के रामनगर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के अन्तर्गत डेनमरवा गांव की दीवारों पर लिखा गया था। जो एकदम प्रांसगिक साबित हो रहा है। आज 24 से 28 फरवरी को पोलियों अभियान समाप्त हो गया। यह दानापुर प्रखंडान्तर्गत रामजयपाल नगर में एक महिला ने अपनी 3 साल के बच्चे को पोलियों की खुराक पिलाने से 27 फरवरी को इंकार कर दिया। इसकी बाबत सूचना ए.एन.एम.के द्वारा अपने उच्चतम अधिकारियों को दे दी। आज पांच दिवसीय पोलियों अभियान के अंतिम दिन प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र,दानापुर के चिकित्सक डा. शिवनारायण साह के नेतृत्व में दल रामजयपाल नगर पहुंचा। इस दल में एस.एम.सी.युनिसेफ रेशमी वर्मा,बी.बी.सी. किरण कुमारी और ए.एन.एम. मनीषा कुमारी थीं।
यहां के आलिशान मकानों में एक से एक मां निकलती है, जो 27 फरवरी को पोलियों की खुराक पिलाने में ना-ना कर चुकी थीं। इतने में बच्चे की नानी पहुंच जाती है। वह कहने लगती है कि बच्चे को डी.पी.टी. और पोलियों की नियमित डॉज दिया जा रहा है। सो अपने चिकित्सक से पूछने के बाद ही पोलियों की खुराक पिला देंगे। ए.एन.एम. के द्वारा समझाने के बाद मां जिद्द पर अड़ गयी। आज दल को देखने के बाद 28 फरवरी को सूर बदल गया। पोलियों अभियान में लगे लोगों की तारीफ करने लगी। अंत में कहा कि बच्चा स्कूल गया है। साढ़े बारह बजे स्कूल से आने के बाद पोलियों की खुराक पिलायी जा सकती है।
इंकार तुड़वाने के लिए चिकित्सक दल के साथ पत्रकार आलोक कुमार भी साथ थे। यह सच में महान कार्य है। एक भी बच्चा नहीं उसके छूटे लिए स्वास्थ्यकर्मी सचेत हैं। हां,यह जरूर है कि जिस प्रकार पोलियों अभियान में स्वास्थ्य विभागकर्मी हो उठते हैं। अगर
संवेदनशील इसी तरह हर विभाग संवेदनशील होकर कार्य करना शुरू कर दे तो निश्चित तौर पर बिहार काफी आगे निकल जाएगा।
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