Sunday 10 March 2013

वनाधिकार 2006 के अन्तर्गत लाभान्वित करवाने में दिलचस्पी नहीं



वनाधिकार 2006 के अन्तर्गत लाभान्वित करवाने में दिलचस्पी नहीं

वन विभाग के द्वारा महादलितों को तबाह करने का पूरा प्रबंध कर लिया है। गांव की पूरब दिशा की ओर करीब 500 गज की दूरी तक करंच खोदवा दिया है। इससे संतुष्ट नहीं हुआ तो उनके खेत में गड्ढा खोदवा दिया है। महादलित इस तरह की परेशानी से हैरान हैं।
      जी हां,गया जिले के अतरी प्रखंड में वन विभाग के वनभूमि पर महादलित मुसहर समुदाय निवास करते हैं। इस प्रखंड में रहने वाले मुसहर पहाड़ पुरूष दशरथ मांझी को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी की कुर्सी पर बैठने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। लगता है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहाड़ पुरूष और उनके बिरादरी के लोगों को भूल गये हैं। इसी के कारण नरावट ग्राम पंचायत के नरावट टोला वनवासी ग्राम के निवासियों की सूधि नहीं ले रहे हैं। उनको वनाधिकार 2006 के अन्तर्गत लाभान्वित करवाने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं।
      खैर, यह कटू सत्य है कि सूबे में वनाधिकार 2006 कानून को बेहतर ढंग से क्रियान्वित नहीं किया जा रहा है। केन्द्रीय सरकार ने वनाधिकार 2006 बना दी है मगर किसी प्रदेश के द्वारा संवेदनशील होकर मुस्तैदी से लागू नहीं किया जा रहा है। सुशासन सरकार के द्वारा सही ढंग से क्रियान्वयन नहीं करने के नतीजा सामने है। 6 साल से अधिक का समय निकल गया है। इसके बावजूद भी अभी तक सिर्फ 27 लोगों को वनाधिकार 2006 के तहत वनभूमि का पट्टा देकर लाभान्वित किया गया है। इससे स्पष्ट हो जाता है कि सरकार वनभूमि पर रहने वाले अनुसूचित जाति और गैर अनुसूचित जाति के लोगों को वनाधिकार कानून के तहत फायदा दिलवाने के मूड में नहीं है।
   बिहार राज्य के गया जिले के अन्तर्गत अतरी प्रखंड है। अतरी प्रखंड के नरावट टोला वनवासी ग्राम बसे हैं। जिनके पास आज भी रहने के लिए जमीन नहीं है। ये गांव के वनभूमि के जमीन पर बसे हैं। 40 वर्षों से जिसपर 110 है। आबादी 580 है। जो लोग बसे हैं। उसका रकवा 285 एकड़ है। वनभूमि 110 एकड़ पर अवस्थित है। वन विभाग के द्वारा चारों तरफ से घेराबंदी किया जा रहा है। गांव के लोग विरोध कर रहे हैं वहीं रेंजर के द्वारा हमेशा भाग जाने का अलाप लगा रहा है। ऐसा करने से गरीब महादलित कहां जाएंगे? नरावट ग्राम पंचायत के मुखिया धर्मेन्द्र कुमार निराला ने नरावट टोला वनवासी गा्रम में रहने वाले 110 महादलितों पर रहम खा कर के सभी महादलितों का आवेदन को ग्राम सभा से पारित करवाकर वर्ष 2012 के जनवरी माह में अंचलाधिकारी अशोक कुमार को सौंप दिया।
   अबतब 14 माह के बाद भी अंचलाधिकारी महोदय के द्वारा वनभूमि दिलवाने के लिए किसी तरह की कार्रवाई नहीं किया है। ऐसा होते देख वन विभाग के अधिकारियों के हौसल्ला बुलंद हो गया है। विभाग के अधिकारियों ने वनभूमि पर रहने वालों को खदेड़ने के लिए गड्ढा खोदना शुरू कर दिया है ताकि उब के महादलित भाग जाए। ऐसे होते नहीं देख अब रेंजर ने अपना रेंज बढ़ाकर खदेड़ने के प्रयास में जूट गये हैं। जो उसका विरोध करते हैं रेंजर के निशाने पर लोग जाते हैं और रेंजर   उत्पात मचाने लगते हैं।
 

1 comment:

Unknown said...

jungle mein base logon ko ujadna to bilkul bhi uchit nahi. Aisi kya vyawastha ho, kya upai ki jungle bhi bana rahe, aur log na ujadein? forest department dwara, jungle ki sampatti ko lootne ki baat ek alag kahani hai