जन वितरण प्रणाली की दुकानदारों के द्वारा महादलितों के साथ ठगी

महादलित प्रभु मांझी बताते हैं कि उनकी शादी सुनीता देवी के साथ हुई है। दोनों से एक बच्ची हुई है। खुद नौकरी की तलाश में पलायन करने को बाध्य हैं। यहां के 350 महादलित परिवार बी.पी.एल.सूची में नामदर्ज है। 100 लोगों को पीला और 150 को लाल कार्ड निर्गत किया गया है। जन वितरण प्रणाली की दुकानदारों के द्वारा पीला कार्डधारियों से 100 रू. लेकर 25 किलोग्राम अनाज देते हैं। वहीं लाल कार्डधारियों से 140 रू. लेकर 20 किलोग्राम अनाज देते हैं।
इन्हें भूदान से भूमि और पर्चा प्राप्त हुआ है। कुछेक लोगों के पास रैयती जमीन भी है। राम जानकी मंदिर के परिसर में भी रहते हैं। बिहार सरकार की जमीन पर रहने वालों को वासगीत पर्चा प्राप्त नहीं हुआ है। फिर भी इसी तरह की जमीन पर 50 से अधिक ही इंदिरा आवास योजना से मकान बनाया गया है। इस योजना में काम के बदले दाम दिया गया,परन्तु खुलासा करने में असमर्थता व्यक्त किये।
महादलित आयोग बनाने के बाद सरकारी घोषणा की गयी थी कि चिकित्सक महादलितों के घर में जाकर जांचोपरांत दवा-दारू देंगे। पर ऐसा नहीं हुआ। इसका नतीजा होता है कि लोग जानलेवा बीमारी टी.बी.बीमारी के शिकार हो जान गंवाने को बाध्य हो रहे हैं। अभी शिराजू मांझी बीमार हैं परन्तु यक्ष्मा निरोधक दवा नहीं मिल पा रही है। ‘डॉट’ के बारे में अनजान हैं।
महात्मा गांधी नरेगा से काम नहीं मिलने के कारण महादलित पलायन करने को बाध्य हैं। दिल्ली,हरियाणा,पंजाब, चैनई आदि प्रदेशों में नौकरी तलाशने चले जाते हैं।
अन्य मुसहरी के मुसहरों की तरह ही मौत के बाद महादलितों को बागमती नदी के किनारे दफना दिया जाता है। पूर्व मुखिया राजेन्द्र सहनी और वर्तमान मुखिया सोनमत देवी के द्वारा महादलितों की मौत हो जाने के कबीर अत्येष्ठि योजना से लाभान्वित नहीं करवाते हैं।
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