Friday 22 March 2013

किशोरी प्रशिक्षण शिविर संपन्न



हम लोग समाज में व्याप्त बुराईयों को बहुत ही जल्द हटा नहीं सकते है। परन्तु इन बुराईयों को मिटाने की कोशिश कर सकते हैं। इसके साथ ही गैर सरकारी संस्था प्रगति ग्रामीण विकास समिति के तत्वावधान में प्रगति भवन में आयोजित दो दिवसीय किशोरी प्रशिक्षण शिविर खत्म हो गया।
 पटना जिले के विक्रम,पालीगंज और दानापुर प्रखंड से आयी किशोर वय की प्रतिभागियों का आपबीती में कहना है कि घर के द्वार को पार करते ही मनचलों के छेड़छाड़ से परेशान हो जाना पड़ता है। कोई किशोर कुमार बन जाता है। तो मोहम्मद रफी कर अलाप लगाने लगता है। तो कोई कुमार शानू की तर्ज पर गान पेश करने लगता है। सामान्य गान, पहनावे के अनुसार गान, तू चीज बड़ी है मस्त-मस्त ... गीत गाने लगता है। बीच बाजार में मनचलों की खुराफात, मनचलों के मनचलने वाली खेल से बेहाल बेचारी लड़की के प्रति आम आदमी ख्याल ही नहीं करते हैं। कहीं भी खाकीवर्दीधारियों का दर्शन भी नहीं होता है।
  इस शिविर में प्रथम दिन लड़का-लड़की में फर्क,मानव सभ्यता का विकास, परिवार किस प्रकार से बनता है, परिवार बनने के बाद ही जेंडर के आधार पर महिलाओं का बदस्तूर शोषण, बाल विवाह, घरेलू हिंसा, दहेज प्रथा, हत्या दहेज, भ्रूण हत्या,डायन प्रथा आदि के बारे में विस्तार से बताया गया। साथ ही साथ कानून संबंधी भी जानकारी दी गयी। 
 इसके दूसरे दिन व्यापक तौर पर रणनीति पर चर्चा की गयी। इसे गांवघर में किस तरह से क्रियान्वित करें चर्चा की गयी और प्रतिभागियों ने लिखित सुझाव दिये। किशोरियों ने सबसे पहले खुद को जागरूक होने पर बल दिया। किसी तरह की आफत में आने के समय में समझदारी से काम लेना चाहिए। एक करोड़ का जवाब रहा कि अपने आप पर भरोसा रखना चाहिए। किसी तरह के कार्यो में कदापि घबड़ाना नहीं चाहिए। अगर अवसर मिलता है तो अपनी शिक्षा पर जोरदार ढंग से ध्यान देना चाहिए। घर के अंदर और बाहर में जाकर जागरूकता पैदा करना चाहिए। अपने-अपने अभिभावकों को समझाना चाहिए, कि कम से कम बेटियों को 10 वीं कक्षा तक जरूर ही पढ़ाएं।
  समाज में व्याप्त सामाजिक बुराईयों को लेकर अभिभावकों को समझाना चाहिए। खास कर बाल विवाह के दुष्परिणाम के बारे में विस्तार से अभिभावकों को समझाना अनिवार्य है। इसको व्यापकता देने के ख्याल से धरना, रैली, प्रदर्शन आदि का सहारा लेना चाहिए।
  सर्वसम्मत से यह निर्णय लिया गया कि अपने-गांवघर  में किशोरी बाल एकता मंच गठन करने सक्रिय रूप प्रदान करें। मंच की साप्ताहिक बैठक की जाए। मंच की मासिक बैठक हो और उसमें एक माह में मां को दूसरे माह पिता जी को बैठक में शामिल होने के बुलाये। अपने पास के आजीविका सहायता केन्द्र का उपयोग बैठक के लिए किया जाए। वहां पर में कुछ पुस्तके उपलब्ध है जो समझारी के लिए हितकर है।
 शिविर में पूजा कुमारी, सुभ्रांति कुमारी, रिंकी कुमारी, रीना कुमारी, सपना कुमारी आदि ने सक्रिय भूमिका अदा किये। सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किये। इसका संचालन डा.षरद कुमारी,स्वाति कश्यप और मालाश्री ने किया।

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