बिहार
में स्थिर जमीन
पर भारी जनसंख्या
से परेशान होती
सरकार
बिहार विधान सभा
के अध्यक्ष उदय
नारायण चौधरी ने दलितों
को अंधविश्वास से
कोसों दूर रहने
की सलाह दी।
वहीं लगे हाथ
संविधान निर्माता डा.भीमराव
अम्बेडकर जी के
जन्मोत्सव 14 अप्रैल को बिहार
दिवस की तर्ज
पर त्योहार मनाने
का आह्वान किया।
ऐसा लगे कि
हम लोग होली,दशहरा और दीपावली
मना रहे हैं।
आवासीय
भूमि एवं जोत
भूमि में दलित
समुदायों की कानूनी
हक पर एक
दिवसीय विचार गोष्ठी के
अवसर पर शनिवार
को ठाकुर प्रसाद,सामुदायिक भवन में
आगे बिहार विधान
सभाध्यक्ष उदय नारायण
चौधरी ने कहा
कि सच में
जमीन ही लोगों
की पहचान है।
सबसे बुरा हाल
द्युमंतू समुदाय को हो
रहा है। आखिर
किस तरह से
इस समुदाय को
पहचान दी जा
सके। सरकार परेशान
है। इनके पास
जमीन नहीं है।
इसके कारण पहचान
पत्र, आधार कार्ड,
वोटर कार्ड आदि
से महरूम हो
रहे हैं। इस
ओर ठोस कार्रवाई
करने की जरूरत
है। हर इंसान
को भूमि पर
अधिकार मिलना ही चाहिए।
जल,जंगल,जमीन,हवा,प्रकाश
ये सभी प्राकृतिक
प्रदत वस्तु हैं।
ताकदवर लोगों ने जमीन,जंगल और
जल पर अधिकार
रूपी कब्जा जमा
रखा है। इनका
अधिकार हवा और
भगवान दिवाकर के
रोशनी पर नहीं
हो पाया। इसी
कारण जो हवा
और धूप धीरूभाई
अम्बानी और मंगला
मुसहर को समान
रूप से मिल
पा रहा है।
मगर जल,जमीन,जंगल पर
दबंगों का कब्जा
होने से आम
लोगों को दिक्कत
हो रही है।
आज
भी सुदूर गांव
के लोग गड्ढा
का पानी पीने
को बाध्य हैं।
दूसरी ओर लोग
मिनिरल वाटर को
गड़क रहे हैं।
जमीन के अभाव
में दलित आहर,पईन,नहर,सड़क आदि
के किनारे रहने
को बाध्य हो
रहे हैं। आदिवासियों
को जंगल की
चीजों से महरूम
कर दिया जा
रहा है।
इस
अवसर पर खाद्य
एवं उपभोक्ता संरक्षण
विभाग के मंत्री
श्याम रजक ने
आगे कहा कि
देश में ऐसा
माहौल बना दिया
गया कि सृष्टिकर्ता
ने सिर्फ दलित
समुदाय को सेवाकार्य
करने के लिए
बनाया प्रहै। दूसरे
समुदाय के लोग
शासक और प्रशासक
बनने के लिए
बनाये गये हैं।
इसे संविधान निर्माता
भीमराव अम्बेडकर जी ने
स्वीकार नहीं किये
और भारतीय संविधान
में सभी को
समान अधिकार प्रदान
कर दिये। इस
तरह के समान
अधिकार दिलवाने में सूबे
के मुख्यमंत्री नीतीश
कुमार भी शामिल
हो गये। मुख्यमंत्री
समावेशी विकास की बात
करते हैं।
मंत्री
श्याम रजक ने
आगे कहा कि
बिहार में स्थिर
जमीन पर बढ़ती
जनसंख्या से सरकार
परेशान है। आजादी
के 65 साल में
29 प्रतिशत जनसंख्या में बढ़ोतरी
हो गयी है।
यहां आरंभ में
1 लाख 90 हजार आवासहीन
थे। अब उसमें
नये 82 हजार आवासहीन
जुड़ गये है।
सरकार आवासहीनों को
3 डिसमिल जमीन देने
के लिए कृतसंकल्प
है।
बिहार
में महादलित आयोग
बनाकर समाज के
किनारे रह गये
आवासहीनों को 3 डिसमिल
जमीन देने की
योजना बनाएं हैं।
इससे महादलितों के
सिर पर छत
मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि
बिहार में आंदोलन
चलाने वालों को
आंदोलन नहीं करना
चाहिए बल्कि रचनात्मक
कार्य करके सरकार को
सहयोग देना चाहिए।
राष्ट्रीय दलित भूमि
अधिकार आंदोलन के महासचिव
आर.कुमार रवि
ने कहा कि
जमीन की जंग
में लिखना,पढ़ना,
बंद कमरों में
बैठक कर लेने
से दलितों का
काम बनने वालों
नहीं है। सूबे
के 28 जिलों से
आये अध्यक्ष प्रतिनिधियों
से कहा कि
पंचायतघर में सार्वजनिक
भूमि है उसे
कब्जा करके सामूहिक
खेती करना आरंभ
कर दें। तब
जाकर दलितों को
भूमि पर अधिकार
मिलेगा। उन्होंने सत्ता में
बैठी सरकार से
आग्रह किया कि
आवासीय भूमिहीनों को 10 डिसमिल
जमीन और खेतीहर
मजदूरों को 5 एकड़
जमीन दें ताकि
दलितों का विकास
सुनिश्चत ढंग से
हो सके। इस
अवसर पर दलित
अधिकार मंच के
प्रदेश अध्यक्ष कपिलेश्वर राम,
महासचिव दीपचन्द्र दास, रिंकु
कुमारी, सुमित्रा देवी, विरेन्द्र
राम,शिवधारी रविदास
आदि ने भी
विचार व्यक्त किये। दलित
अधिकार मंच के
प्रदेश अध्यक्ष कपिलेश्वर राम
ने गोष्ठी का
संचालन किये।
No comments:
Post a Comment