Tuesday 16 April 2013

अल्लाह जाने क्या होगा,मौला जाने क्या होगा?

अल्लाह  जाने क्या होगा,मौला जाने क्या होगा?


सत्ता पर काबिज होते ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद महादलित आयोग और बाद में भूमि सुधार आयोग गठित किये थे। इस तरह के आयोग गठित करने पर समाज के हाशिये पर रहने वाले महादलितों को उम्मीद बंधी थी। तब जाकर गठित दोनों आयोगों के तत्कालीक अध्यक्षों ने सुशासन सरकार के समक्ष भूमि सुधार संबंधी अनुशंसाओं का बंडल पेश किये। राजनीतिक इच्छा शक्ति के अभाव में असंवेदनहीन सरकार ने प्रेषित  अनुशंसाओं की हवा ही निकालकर रख दी।  ऐसे में अब केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने सरकार को भूमि सुधारों पर एडवाजइजरी भेजी है। इस एडवाइजरी हा हश्र क्या होगाअल्लाह जाने क्या होगा,मौला जाने क्या होगा? केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने दिनांक 20 मार्च 2013 को कृषि भवन,नई दिल्ली से नीतीश कुमार जी को भूमि सुधारों पर एडवाजइजरी प्रेषित किया है। जो 1 अप्रैल 2013 को इश्यु किया गया है।
इसमें उल्लेख किया गया है कि आपको स्मरण होगा कि ग्रामीण विकास मंत्रालय और एकता परिषद द्वारा संचालित अनेक सिविल सोसाइटी संगठनों ने 11 अक्तूबर,2012 को आगरा में एक करार पर हस्ताक्षर किए थे। मैंने करार की एक प्रति आपको पहले ही भेज दी थी।
आगरा करार के मुख्य घटक यह था कि ग्रामीण विकास मंत्रालय भूमि सुधारों के विषय पर एकडवाजरी जारी करेगा। मैं अब आपको निम्मलिखित दो एडवाइजरी भेज रहा हूंः-
प्रथम एडवाइजरी में समुदाय आधारित पराविधिक कार्यक्रम तैयार करके गरीबी को निःशुल्क कानूनी सहायता उपलब्ध कराने के उपायों की सूची दी गई है।
दूसरी
 एडवाइजरी गरीबों के लिए भूमि मुहैया कराने संबंधी विशिष्ट मुद्दे से संबंधित है जिसके लिए आपके राज्य में संकल्प की आवश्यकता होगी।
इन एडवाइजरी का उद्ेश्य शुरू किए जा रहे भूमि सुधारों के लिए मौजूदा उपायों-प्रशासनिक एवं विधायी दोनों को शीघ्र निष्पादित और सुदृढ़ करना है। मैं आपसे अनुरोध करना चाहूंगा कि आप कृपया अपने सहयोगियों को निर्देश दें कि इन एडवाजरियों पर कार्यवाही करें। ग्रामीण विकास मंत्रालय इस बारे में पूरा-पूरा सहयोग करेगा।
 उन्होंने बिहार राज्य हेतु विशेष परामर्श दिया है कि बिहार राज्य में मौजूदा भूमि सुधार उपायों में सुधार करने तथा इन्हें आगे बढ़ाने के लिए कार्यवाही उपयुक्त होगीः-
5.84 
लाख गैर-कृषि ग्रामीण आवासहीन भूमि परिवारों में प्रत्येक परिवार को महिला के नाम पर कम से कम 10 डिसमिल भूमि आवंटित करने की व्यवस्था करना।
भूमि
 हदबंदी कानूनों में संशोधन करना तथा विभिन्न श्रेणियों हेतु हदबंदी सीमाओं को कम करना जिनमें धार्मिक स्थापनायें एवं चीनी मिलें भी शामिल की जावें।
थ्बहार
 काश्तकारी जोत (अभिलेख के रखरखावअधिनियम 1973 के अनुरूप नामांतरण मैन्युअल तैयार करना तथा एक समयबद्ध सीमा में सभी भूअधिकार अभिलेखों (आरओआरमें नामांतरण करना।
खासमहल
 भूमि उपयोग की शर्तों के अनुसार इनकी मौजूदा स्थिति पर पुनः विचार करना तथा महादलित विकास कार्यक्रम के तहत इसे भूमिहीन परिवारों में वास स्थल आवंटन हेतु उपलब्ध करवाना।
राज्य
 सरकार द्वारा गैर मजरूआ खास भूमि पर कब्जा हटाने के लिए प्रभावी कार्रवाई की जावें तथा भूमिहीन ग्रामीण लोगों को कृषि योग्य भूमि का वितरण किया जावें।
लगभग
 6.4 लाख एकड़ ऐसी भूमि पर भूमिहीनों की पहुंच बनाने के लिए समयबद्ध रूप से कार्रवाई करना जिसे सभी पात्र भूमिहीन गरीबों में वितरित किया जाना शेष है।
ऐसे
 लोगों को भूमि का कब्जा सुनिश्चित करना जिन्हें भूदान समिति द्वारा प्रमाणपत्र प्राप्त हो गए हैं। यह सुनिश्चित करना कि भूमि का स्वामित्व परिवार की वयस्क महिला सदस्य के नाम हो।
11000 एकड़ भूमि के भूप्रयोग का आकलन किया जावें जो कालान्तर में विभिन्न् संस्थाओं को आवंटित की गई है। यदि इस भूमि का उपयोग ‘ सार्वजनिक प्रयोजन’ हेतु नहीं किया जा रहा होइसे वापस लेकर भूमिहीन गरीबोंको वंटित कर दिया जाए तथा निर्धन महिलाओं को इसमें प्राथमिकता दी जाए।