Saturday, 1 June 2013

बिहार में जुगाड़ तकनीकी से चलता है टेम्पों



सामान्यतः पेट्रोल और डीजल का ही होता है उपयोग

गया। बिहार में जुगाड़ तकनीकी से चलता है टेम्पों। हां,हां चौंकिये नहीं। धीरज रखें। हम अब आपको बता रहे हैं। सामान्यतः पेट्रोल और डीजल से टेम्पू चलाया जाता है। उसके बाद पेट्रोल में किरासन तेल को मिलाकर टेम्पू चलाया गया। इससे भी संतुष्ट नहीं हुए तो रसोई घर से रसोई गैस सिलिंडर को निकालकर टेम्पू चलाने में इस्तेमाल करने लगे। यह छुपने और छुपाने की वाली बात थी।
 अब नवीनतम स्थिति यह है कि बैट्री से चलने वाले टेम्पू को रोड में उतारा गया है। दिनभर रोड में चार्ज बैट्री से टेम्पू चलाओं और रात में   डिस्चार्ज बैट्री को चार्ज करों। यह सिलसिला जारी रखों। आप यहां पर यह गाना गुनगुना सकते हैं बोम्बे से आया मेरा दोस्त, दोस्त को सलाम करों दिनभर काम करो और रात को आराम करों। इसी तरह यह टेम्पू चीनी-हिन्दी भाई-भाई के पास से आयात किया गया है। चीन में धड़ल्ले से निर्माण किया जा रहा है। अबतक बिहार को छोड़कर देश के अन्य प्रदेशों में बैट्री चालित टेम्पों चलायमान है।
 सर्वविदित है कि सूबे में कई तरह के टेम्पू चलाया जाता है। इसे आराम से देखा जा सकता है।  शुरूआती दौड़ में रोड किंग के रूप में बजाज नामक ही टेम्पू था। जो विशुद्ध पेट्रोल से चलता था। पेट्रोल की कीमत आसमान चढ़ने लगी तो बाजार में विक्रम, महेन्द्रा, पीजो नामक टेम्पू को उतारा गया। यह डीजल से चलाया जाता है। आम से खास नागरिक बजाज टेम्पू को ही महत्व देते हैं। इसी लिए कई क्षेत्रों में विक्रम टेम्पू को गतिशील करने पर रोक लगा दिया गया है।
  अन्य प्रदेशों को छोड़ दें तो सबसे अधिक बिहार में टेम्पू जुगाड़ तकनीति से चलाया जाता है। इस तरह के जुगाड़ तकनीकी के बल पर बजाज टेम्पू में खाओं बिटानियां फिफ्ट्री-फिफ्ट्री की तरह  पेट्रोल और किरासन तेल को फिफ्ट्री- फिफ्ट्री मिलाकर और टेम्पू में डालकर सड़क पर दौड़ाया जाता है। टेम्पू से निकलने वाला धुंआ से पर्यावरण के लिए हानिकारक है। इसका पर्यावरणविद् और पर्यावरण प्रेमी विरोध भी किया करते हैं। जिनके कंधे पर पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने का जवाबदेही है। ऐसे लोग चंद पैसों के लिए अपने कर्त्तव्य से विमुख हो जाते हैं। ऐसा होने से प्रदूषण प्रसार करने वाले लोगों का हौसल्ला बुलंदी के पहाड़ पर चढ़ जाता है।
 खाकी और सफेद वर्दीधारियों की मिलीभगत से मजे से रसोईघर के रसोई गैस सिलिंडर को बजाज टेम्पों में लगाकर सड़क पर टेम्पू दौड़ाने लगे। काफी मशक्कत करने पर नियंत्रण किया जा सका। अब चीनी-हिन्दी भाई-भाई का नारा लगाने वाले चीन ने बैट्री चालित टेम्पू बाजार में उतार दिया है। जो अभी-अभी बिहार में धमका है। इसे बहुत जल्द ही सूबे के 38 जिलों में उतारा जाएगा।
कृष्णा क्लेक्सन के ऑनर कृष्णा जी बताते हैं कि बैट्री से चलने वाला ऑटो रिक्शा बिहार में पहली बार सड़क पर दौड़ रही है। इसमें तीन से चार सवारी मजे से बैठ सकते हैं। लगातार 60-80 किलोमीटर सफर कर सकते हैं। दिनभर चलाने के बाद बैट्री को 6 से 9 घंटे तक चार्ज किया जाता है। इसकी कीमत 80 से 95 हजार रूपए तक है। इसे नकद भुगतान करके लिया जा सकता है। इस ऑटो रिक्शा की खूबी यह है कि यह इको फैंडली है। कोई धुंआ नहीं निकलता है। इसको चलाने के लिए किसी तरह का लाइसेंस की जरूरत नहीं है।
Alok Kumar