Thursday, 27 June 2013

वामदलों के द्वारा संयुक्त रूप से बुलाया गया बिहार बंद आंशिक रूप से सफल



सरकार मृतकों को 10 लाख रूपए और सरकारी नौकरी दे

नहीं तो पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी पटना में 24 घंटे का अनशन करेंगे

पटना। अब बिहार में जदयू-भाजपा की गठबंधन सरकार नहीं है। उनके अनुसार जंगल राजा की ओर बिहार बढ़ने लगी है। ऐसे में तब तो सूबे में सुशासन सरकार भी नहीं है। हां, गठबंधन सरकार के समय ही दर्दनाक पुलिसिया दमन फारबिसगंज में देखने को मिला था। उस समय पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी अल्पसंख्यकों के पक्ष में मुंह नहीं खोले। सब कुछ पर्दे के पीछे रहस्य रह गया। गठबंधन टूटने के बाद पुलिस फूल फॉम में गये हैं। इसके पीछे किसका सहयोग और हाथ है, जो आक्रमक हो गये हैं।
 पश्चिम चम्पारण जिले के बगहा 2 प्रखंड में एक पखवारा पहले वाल्मिकीनगर थाने के दरदरी गांव के निवासी रामायण काजी ने अपने पुत्र चंदेश्वर काजी के गुमशुदगी की प्राथमिकी थाने में दर्ज करायी थी। बाद में रामायण काजी ने इस मामले में पुलिस को अपने बेटे की हत्या किये जाने की आशंका जतायी और इस मामले में बालेश्वर महतो, रविकेश कुमार और कृष्णदेव काजी के खिलाफ़ प्राथमिकी दर्ज करायी।
 स्थानीय सूत्रों के अनुसार पुलिस ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए रविवार की रात एक आरोपी को गिरफ़्तार कर लिया। कल सोमवार को ग्रामीण थाने पहुंचे और पुलिस से गिरफ़्तार आरोपी को अपने हवाले करने को कहा। काफ़ी समझाने बुझाने के बाद ग्रामीण शांत हो लौट गए। कुछ घंटों के बाद चंदेश्वर काजी की लाश अमवा कटहरवा गांव में मिलने की सूचना मिली। किसी ने थाना में टेलिफोन करके सूचना दे दी। लेकिन दो घंटे बाद ही लाश को कब्जे में लेने गयी पुलिस को जनता के विरोध का सामना करना पड़ा। बहरहाल स्थानीय सूत्रों के अनुसार गांव वाले इसलिए आक्रोशित थे कि पुलिस ने चंदेश्वर काजी को बचाने की कोई पहल नहीं की। जब स्थानीय पुलिस गांव में शव को अपने कब्जे में लेने पहुंची तब गांव वालों के विरोध के कारण उलटे पांव वापस लौट गयी।
 पुलिस का कहना है कि गांव के 7 सौ लोग उग्र हो गये। बगहा के एसडीपीओ शैलेश कुमार सिन्हा की अगुआई में पांच थानों की पुलिस गांव पहुंची। पुलिस को देखते ही गांव वाले अपने तेवर को उग्र कर लिया और मौके पर आयी पुलिस को खदेड़ दिये। कोई एक मीटर की दूरी तक खदेड़ दिये गये। ग्रामीण लगातार पुलिस के ऊपर जानलेवा हमला करते रहे। तब जाकर मजबूरी में पुलिस को आत्मरक्षार्थ गोलियां चलानी पड़ी। ग्रामीणों को हड़काने के लिए लाठी चार्ज, पानी का बौंछार, हवा में हवाई फायर करने के बदले सीधे पुलिस ने ग्रामीणों को निशाना लगाकर मौत के घाट उतार दी। पुलिस फायरिंग से 10 वर्ष का छात्र शिव मोहन कुमार, 12 वर्षीय 7 वाँ वर्ग का छात्र अनिल कुमार, 16 वर्षीय 10वाँ वर्ग का छात्र अनुप कुमार सहित 7 लोगों की हत्या हो गयी।  है। सवाल यह उठता है कि 10 वर्ष, 12 वर्ष एवं 16 वर्ष के छात्र से पुलिस को क्या खतरा हुआ कि पुलिस ने उनकी हत्या कर दी?
गांव वालों के अनुसार अगर पुलिस ने समझदारी से काम लिया होता तब यह घटना नहीं घटती। पुलिस को जो समय रहते कार्रवाई करनी चाहिए वह तो पुलिस करती नहीं है जब जनता उग्र होती है तो पुलिस अंग्रेजी हुकुमत का रूप अपना कर निर्दोष बच्चों, महिलाओं, छात्रों एवं आम लोगों पर गोलियां बरसाने लगती है। पुलिस का यही रूप फारबिसगंज, मधुबनी आदि स्थानों पर देखने को मिला था। बगहा की घटना फिर उन्ही कृत्यों की याद ताजा करती है। और उन कृत्यों से भी बढ़कर पुलिसिया जुल्म है।
वहीं बगहा के एसडीपीओ शैलेश कुमार सिन्हा और पांच थानों के थाना प्रभारी सहित दो दर्जन पुलिसकर्मी गंभीर रुप से घायल हो गये। पुलिस का बारम्बार यह कहना है कि उसे आत्मरक्षार्थ ही गोलियां चलानी पड़ी।
  जदयू और भाजपा में तलाक होने के बाद बगहा में पुलिसिया गोलीकांड को लेकर भाजपा को जदयू को जमकर कोसने का मौका मिल गया है। वहीं जब जदयू और भाजपा की सरकार शासक थी। तो हर छोटे-बड़े मसले पर पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी पर्दा डालने में तत्पर रहते थे। गठबंधन टूटने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने जदयू सरकार को थप्पड़ मारना शुरू कर दिया है।
 इस बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच का आदेश दिया है। श्री कुमार के आदेश के बाद एडीजी (पुलिस मुख्यालय) एस के भारद्वाज और जेल आईजी आनंद किशोर को जांच के लिए भेजा गया है। इनके रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी। अभी भोला महतो के द्वारा प्राथमिकी दर्ज करवाने पर डीएसपी के साथ तीन दरोगा पर 302 धारा लगाया गया है। सभी मृतकों को चार लाख रू0 का चेक दिया गया। एक गंभीर व्यक्ति को पचास और घायलों को पच्चीस हजार रू0 दिया गया है। सभी घायलों को सरकारी खर्च पर इलाज किया जाएगा।
   सत्ता में रहकर मुंह बंद करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि 28 जून को कारगिल चौक के पास धरना दिया जाएगा। 1 जुलाई को बगहा में महाधरना दिया जाएगा। 7 दिनों के अंदर सरकार मृतकों को 10 लाख रूपए और सरकारी नौकरी नहीं देती है तो पटना में 24 घंटे का अनशन करेंगे। उन्होंने पुलिस पर आरोप लगाया है कि मृतकों के चेहरे पर ब्लेड से चीरा लगाकर स्टीच किया गया है ताकि सत्यापित किया जा सके। भीड़ के द्वारा हंगामा किया जा रहा था।
वामदलों के द्वारा संयुक्त रूप से बुलाया गया बिहार बंद आंशिक रूप से सफल रहा था। कई जगहों में रेलखंड को जाम कर दिया गया। माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य को पटना में हिरासत में लिया गया। सैकड़ों कार्यकर्ताओं को भी गिरफ्तार किया गया। लाल झंडे से पटना पट गया था।
Alok Kumar