महिला किसानों को
खेती करने के
लिए पांच एकड़
जमीन उपलब्ध कराए
पितृसत्तात्मक राज्य में महिलाओं
को भूमि एवं
सम्पति पर समान
अधिकार मिले
पटना। ऑक्सफैम के
सहयोग से गैर
सरकारी संस्था प्रगति ग्रामीण
विकास समिति के
तत्वावधान में एक
दिवसीय महिला नेतृत्व प्रशिक्षण
शिविर का आयोजन
किया गया है।
एक शिविर में
45 महिला किसानों को प्रशिक्षण
दिया जाएगा। इनको
सामुदायिक विकास हेतु भूमि
अधिकार एवं आजीविका
सुरक्षा अधिकार से जोड़ने
का प्रयास होगा।
इस
समिति की ओर
से बहाल कृषि
एवं आजीविका कार्यक्रम
समन्वयक मंजू डुंगडुंग
ने आज यहां
कहा कि जमुई
जिले के सिकन्दरा
प्रखंड में 13 जून, 2013 को
कृषि भवन, पुरानी
चौक में, अरवल
जिले के कुर्था
प्रखंड में 17 जून, 2013 को
प्रखंड परिसर में,पश्चिमी
चम्पारण जिले के
बगहा 2 प्रखंड में 24 जून,
2013 को पंचायत भवन, नौरंगीया
में और पूर्वी
चम्पारण जिले के
रामगढ़वा प्रखंड में 25 जून,
2013 को धनहरडीहरी में एक
दिवसीय महिला नेतृत्व प्रशिक्षण
शिविर का आयोजन
किया गया है।
उन्होंने
कहा कि फिलवक्त
हम लोग ग्रामीण
क्षेत्र में गठित
कृषि आजीविका एवं
कौशल विकास हेतु
छोटे एवं सीमान्त
महिला किसान समूहों
को मजबूतीकरण करने
का प्रयास कर
रहे हैं। सरकार
जबतक महिला भूमि
अधिकार एवं आजीविका
अधिकार देने की
बात नहीं करती
है। तबतक हम
लोग महिलाओं का
क्षमता विकास करने हेतु
प्रशिक्षण आदि कार्यक्रम
चलाते रहेंगे। कार्यक्रम
चलाने से ही
महिलाओं का संशक्तिकरण
होगा। जागृति आने
के बाद संगठित
हो सकेंगे। इस
समय जो महिला
किसान खेती कार्य
में जुड़ी हैं।
उनको सरकार महिला
किसान होने का
प्रमाण-पत्र देना
नहीं चाहती है।
इन महिला किसानों
को खेती करने
के लिए पांच
एकड़ जमीन उपलब्ध
कराए। जो आवासहीनों
की सूची में
और लायक हैं,
उनको 10 डिसमिल आवासीय भूमि
उपलब्ध कराए। पितृसत्तात्मक राज्य
में महिलाओं को
भूमि एवं सम्पति
पर समान अधिकार
मिले। इसके संवाद
और संघर्ष करने
के लिए ग्रामीणों
को संगठित करके
लगातार कार्य करना है।
इन महिला किसान
को आजीविका सुरक्षा
से जुड़े राष्ट्रीय
कृषि विकास योजना
के बारे में
समझाया जाता है।
उल्लेखनीय
है कि प्रगति
ग्रामीण विकास समिति के
द्वारा महिला किसान समूहों
को जोड़कर परस्पर
स्वावलम्बन समूह बनाने
हेतु प्रेरित किया
जा रहा है।
उनके बीच में
बचत करने की
आदत डाली जा
रही है। इसके
अलावे बटाईया पर
खेती लेकर सामूहिक
कृषि करने हेतु
प्रोत्साहित किया जा
रहा है। सामूहिक
खेती के आड़े
आने वाले समस्याओं
का निपटारा करने
एवं कृषि से
संबंधित तकनीकी कौशल को
भी विकसित किया
जा रहा है।
खेती के माध्यम
से पारिवारों को
आजीविका सुरक्षा मिल सके
उसके लिए काम
और कार्य में
बढ़ाया दिया जा
रहा है।
सामाजिक
जागरूकता की ओर
भी महिला किसानों
का ध्यान आकृष्ट
किया जाता है।
महिला एवं बच्चियों
से सम्बधित घरेलू
हिंसा एवं स्वास्थ्य
पर फोकस डाला
जाता है। इसके
अलावे गांवघर में
शराब बंन्दी अभियान
भी चलाने के
लिए प्रोत्साहित किया
जाता है। लब्बोलुआब
यह है कि
सभी आवासहीनों को
आवासीय भूमि एवं
संम्पति का अधिकार
मिले। इन दोनों
का अधिकार प्रत्येक
महिला को प्राप्त
हो। इसके संवाद
और संघर्ष करने
के लिए ग्रामीणों
को संगठित करके
लगातार कार्य करना है।
इन महिला किसान
को आजीविका सुरक्षा
से जुड़े राष्ट्रीय
कृषि विकास योजना
के बारे में
समझाया जाता है।
मंजू
डुंगडुंग
पटना।