राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति के मसौदे पर अंतिम रूप में
दिल्ली। जन संगठन एकता परिषद
के द्वारा जनादेश 2007 और जन सत्याग्रह 2012 में ग्वालियर से सत्याग्रह पदयात्रा निकाली
गयी थी। जनादेश 2007 में ग्वालियर से दिल्ली तक 25 हजार की संख्या में वंचित समुदाय
पांव-पांव चलकर दिल्ली गये थे। जन सत्याग्रह 2012 में ग्वालियर से 75 हजार की संख्या
में वंचित समुदाय कूच किये थे। इनको दिल्ली जाने के पहले ही आगरा में रोक दिया गया।
मोहब्बत की नगरी आगरा में जन संगठन एकता परिषद के महानायक पी0व्ही0राजगोपाल और केन्द्र
सरकार की ओर से केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश जी के संग में समझौता करके
हस्ताक्षर किया गया। इसमें भूमिहीन व बेघर लोगों को 10 डिसमिल जमीन देने का प्रावधान
किया गया है। इसको लेकर राष्ट्रीय भूमि सुधार समिति के द्वारा 17 जुलाई,2013 को राष्ट्रीय
भूमि सुधार नीति के मसौदे पर अंतिम रूप दे दिया गया।
रोजगार की गारंटी और भोजन का हक देने के बाद अब
सरकार बेघर लोगों को मकान की गारंटी देने वाला विधेयक लाने की तैयारी में है।
विधेयक का मसौदा लगभग तैयार है। राष्ट्रीय भूमि सुधार समिति की बुधवार को हुई बैठक
में राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति के मसौदे पर अंतिम रूप दे दिया गया।
भूमि सुधार नीति के मसौदे
को गुरुवार को सभी राज्य सरकारों को भेज दिया जाएगा। उनकी टिप्पणी और सुझाव आने के
बाद अगस्त के आखिरी सप्ताह में दिल्ली अथवा हैदराबाद में राज्यों के राजस्व
मंत्रियों का सम्मेलन बुलाया जाएगा। राज्यों की राय के साथ नीति के मसौदे के
संशोधित स्वरूप के आधार पर कैबिनेट नोट तैयार किया जाएगा। इस बारे में केंद्रीय
ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि शीतकालीन सत्र में इसे संसद में पेश
किया जा सकता है।
एकता परिषद के संयोजक
राजगोपाल ने कहा कि प्रस्तावित विधेयक में प्रत्येक भूमिहीन व बेघर लोगों को 10
डिसमिल जमीन देने का प्रावधान है। इसे मानसून सत्र में पेश करने की कोशिश की
जाएगी, लेकिन शीतकालीन सत्र में पारित हो जाना चाहिए। भूमि सुधार नीति के बारे में
राजगोपाल ने कहा कि राज्य सरकारों के पास पर्याप्त अधिकार है, जिसके बूते इसे लागू
किया जा सकता है। लेकिन जिन लोगों ने गरीबों व आदिवासियों की जमीन पर खुद कब्जा कर
रखा है, भला वे लोग ऐसा कब करना चाहेंगे? इसीलिए केंद्रीय नीति बन जाने के बाद
राज्यों पर दबाव डालना आसान हो जाएगा।
भूमि सुधार नीति के मसौदे
को चार हिस्सों में बांटा जा सकता है। पहले हिस्से में गरीबों की खोई जमीन को
उन्हें दिलाना है। इन जमीनों पर दबंगों ने कब्जा जमा रखा है। दूसरे हिस्से में उन
बसावटों अथवा घरों को सुरक्षित करना है, जो सार्वजनिक जमीन पर बन गए हैं। तीसरे
हिस्से में देश के प्रत्येक भूमिहीन को जमीन दिलाने का प्रावधान है। चौथे हिस्से
में भूमिहीन व बेघर लोगों को मकान और किचन गार्डेन बनाने भर की जमीन देने का
प्रावधान है। एकल महिलाओं को जमीन को पंट्टा देने का प्रावधान भी शामिल कर लिया
गया है।
Alok Kumar