Wednesday, 31 July 2013

आदर्श मान्दे बिगहा ग्राम पंचायत के मुखिया ने डीएम से मांग की



           
हुजूर, मान्दे बिगहा में बिजली लगा दें
और बिजली लाइन दौड़ाने का कार्य शुरू
जहानाबाद। आदर्श मान्दे बिगहा ग्राम पंचायत के मुखिया तेज प्रताप सिंह ने जहानाबाद जिले के डीएम साहब से आग्रह किये कि पंचायत में बिजली लगा दी जाए। 38 वर्षीय युवा मुखिया की मांग पूरी करके डीएम साहब ने बिजली लाइन दौड़ाने का कार्य शुरू कर दिया है। अब यहां के लोगों की बिजली संबंधी समस्याएं दूर हो जाएगी। मुखिया जी अपने पहल पर उपभोक्ताओं से राशि संग्रह करेंगे और बिजली विभाग में जमा करके टांसफार्मर लगवाएंगे।
जिनके पास खेती योग्य जमीन हैं वे खुद ही से खेती नहीं  करते हैं-


मेरे देश की धरती सोना उंगले, उंगले हीरे मोती मेरे देश की धरती। जी हां, इस फिल्मी गीत पर गर्व है। यह भी सही है कि आज भी हम लोग भारतीय कृषि पर निर्भर हैं। वहीं आज भी भारतीय कृषि भगवान भरोसे ही है। भगवान के द्वारा समयानुसार बरसा नहीं बरसाया गया तो सुखाड़ की स्थिति बन जाती है जो बाद में अकाल में तब्दील हो जाती है। जिनके पास खेती योग्य जमीन हैं वे खुद ही से खेती नहीं करते हैं। तब जिनके पास खेती योग्य जमीन नहीं है। जिनके पास जमीन है। उनसे 3 तरह से खेत लेकर खेती किया जा सकता है। प्रथम मनी पर खेती लेते हैं। द्वितीय बटाईदारी पर खेती करते हैं। तृतीय पट्टा पर खेती जमीन लेकर खेती करते हैं। खेती करने वाले श्रीकृष्णा साव प्रथम मनी पर खेती करने के बारे में बताते हैं कि  खेत के मालिक को एक बीघा जमीन के बदले में 10 मन चावल देना पड़ता है। यह एक साल के लिए होता है। एक बीघा खेत में 30 मन धान हो जाता है। चावल तैयार करके 20 मन बचता है। इसमें 10 मन खेत मालिक को दिया जाता है। 10 मन का फायदा होता है। इसमें खेत मालिक कुछ भी सुविधा नहीं देते हैं। मनी पर खेती करने वाले 2 फसल पैदा करते हैं। एक बार धान हो जाने के बाद रबी अथवा गेहूं पैदा करते हैं। इसमें कोई मायने नहीं रखता कि आपको फसल हुई है अथवा फसल नहीं हुई। हो अथवा नहीं  खेती करने के लिए देते हैं। द्वितीय बटाईदारी पर खेती के बारे में बताते हैं कि इसमें खेत मालिक बीज, पानी और खाद में आधा-आधा सहायक होता है। घास से लेकर पुआल और फसल में फिफ्टी-फिफ्टी की जाती है। तृतीय पट्टा पर खेती जमीन लेकर खेती की जाती है। अभी 6 से 8 हजार रूपए प्रति बीघा जमीन पट्टा पर ली जाती है। इसमें भी खेत के मालिक कुछ भी सहायता नहीं करते हैं। आजकल मजदूरी 4 से 5 किलोग्राम चावल दिया जाता है। नास्ते में रोटी और सब्जी दिया जाता है।
दो जून की रोटी का जुगाड़ करने वाले छोटे और सीमांत किसान-
दो जून की रोटी का जुगाड़ करने वाले छोटे और सीमांत किसान सदैव खेती करने के लिए भगवान पर ही निर्भर रहते हैं। बरसा हुआ तो मेहतन करने से बहार जाती है। अगर बरसा नहीं हुआ तो मेहनत बेकार साबित होती है। एक तरह से छोटे और सीमांत किसान जुआ ही खेलते हैं। जलवायु परिवर्तन की मार खाने से मेहनतकश किसान परेशान हैं। इनको जून माह में धान का बीजारोपण कर देना चाहिए था। उसके बाद उसे खेत में लगाना था। जो कार्य जून माह में नहीं हो सका। उसे एक माह इंतजार करने के बाद जुलाई माह में बीजारोपण किया गया। आज भी अनेक जगहों पर पानी के अभाव में लोग आसमान की ओर ही निहारने को मजबूर हो रहे हैं। जब कभी आसमान में काले काले बदरा दिखायी देता है। तो इन किसानों के चेहरे पर खुशी का चादर पसर जाता है। जब काले बादल को पूर्वी हवा और पच्छिया हवा का मिलन होकर बरसा नहीं होता है। तो उनके चेहरे पर उदासी छा जाती है। छोटे और सीमांत किसानों ने भर जून और मध्य जुलाई तक सिर्फ आसमान की ओर टकटकी लगा बैठे रहे। ऐसा करने के बाद भी जुलाई माह में पानी नहीं बरस रहा है। इससे निराश होकर अब किसान जुलाई माह के अंतिम सप्ताह में बीजारोपण करना शुरू कर दिये हैं। कुछ किसानों को यहां तक कहना है कि अगस्त माह में भी इंतजार करेंगे। हां, जिन किसानों के पास कुछ पूंजी है। तो ऐसे लोग डीजल पम्प से धरती से पानी खींचकर धान रोपण कार्य शुरू कर दिये हैं। इनको 44 से लेकर 49 रूपए प्रति लीटर की दर से किरासन तेल खरीदना पड़ रहा है। तब जाकर धरती के गर्भ से पानी निकालने में कामयबाब हो रहे हैं। लगातार खेत डीजल पम्प चलने से गांवघर में असर पड़ना शुरू हो गया है। कुआं में लोटा डुबाने लायक ही पानी रह गया है। अभी तो गांवघर में लगाये गये चापाकल का पानी का स्त्रोत नीचे नहीं गया है। अगर डीजल पम्प से पानी दोहन जारी रहा तो समस्या दूर नहीं कि चापाकल से पानी निकलना बंद हो जाएगा। तब लोगों को अन्न के साथ जल के लाले पर जाएंगे।
पनिया बाबा की निरन्तर खोज जारी-
इस समय पनिया बाबा की निरंतर खोज जारी है। पनिया बाबा ने बिना किसी तरह की सरकारी योजनाओं की लॉलीपोप दिये ही जन समुदाय के खेत में पानी पहुंचा कर पनिया बाबा उस वक्त सुर्खियों में आये थे। आप पुनपुन नदी पर बांध बांधने में कामयाब हुए थे। इसके कारण पटना जिले के मसौढ़ी और जहानाबाद जिले कुछ हिस्से में पानी भरकर लोगों के चहेते बन गये। पनिया बाबा का नाम रघुवर पासवान है। रघुवर बाबू को आम लोग पनिया बाबा के रूप में सम्मान दिये हैं। उनको लोगों ने तोहफा  भी दिये हैं। उनको भारी मतों से विजयी बनाकर जिला परिषद के सदस्य बना दिये। आज जब किसान संकट में हैं। तो लोग एक बार फिर पनिया बाबा की कारामात चाहते हैं। किसी तरह से गंावघर में पानी ला दें। वहीं जब किसान आसमान की ओर टकटकी लगाकर बैठे हैं कि इन्द्र भगवान पानी देंगे। इन्द्र भगवान के साथ पनिया बाबा की ओर भी ध्यान केन्द्रित कर रखे हैं।

Alok Kumar