हुजूर, मान्दे बिगहा में बिजली लगा दें
और बिजली लाइन दौड़ाने का कार्य शुरू
जिनके
पास खेती योग्य
जमीन हैं वे
खुद ही से
खेती नहीं करते हैं-
मेरे देश की धरती सोना उंगले, उंगले हीरे मोती मेरे देश की धरती। जी हां, इस फिल्मी गीत पर गर्व है। यह भी सही है कि आज भी हम लोग भारतीय कृषि पर निर्भर हैं। वहीं आज भी भारतीय कृषि भगवान भरोसे ही है। भगवान के द्वारा समयानुसार बरसा नहीं बरसाया गया तो सुखाड़ की स्थिति बन जाती है जो बाद में अकाल में तब्दील हो जाती है। जिनके पास खेती योग्य जमीन हैं वे खुद ही से खेती नहीं करते हैं। तब जिनके पास खेती योग्य जमीन नहीं है। जिनके पास जमीन है। उनसे 3 तरह से खेत लेकर खेती किया जा सकता है। प्रथम मनी पर खेती लेते हैं। द्वितीय बटाईदारी पर खेती करते हैं। तृतीय पट्टा पर खेती जमीन लेकर खेती करते हैं। खेती करने वाले श्रीकृष्णा साव प्रथम मनी पर खेती करने के बारे में बताते हैं कि खेत के मालिक को एक बीघा जमीन के बदले में 10 मन चावल देना पड़ता है। यह एक साल के लिए होता है। एक बीघा खेत में 30 मन धान हो जाता है। चावल तैयार करके 20 मन बचता है। इसमें 10 मन खेत मालिक को दिया जाता है। 10 मन का फायदा होता है। इसमें खेत मालिक कुछ भी सुविधा नहीं देते हैं। मनी पर खेती करने वाले 2 फसल पैदा करते हैं। एक बार धान हो जाने के बाद रबी अथवा गेहूं पैदा करते हैं। इसमें कोई मायने नहीं रखता कि आपको फसल हुई है अथवा फसल नहीं हुई। हो अथवा नहीं खेती करने के लिए देते हैं। द्वितीय बटाईदारी पर खेती के बारे में बताते हैं कि इसमें खेत मालिक बीज, पानी और खाद में आधा-आधा सहायक होता है। घास से लेकर पुआल और फसल में फिफ्टी-फिफ्टी की जाती है। तृतीय पट्टा पर खेती जमीन लेकर खेती की जाती है। अभी 6 से 8 हजार रूपए प्रति बीघा जमीन पट्टा पर ली जाती है। इसमें भी खेत के मालिक कुछ भी सहायता नहीं करते हैं। आजकल मजदूरी 4 से 5 किलोग्राम चावल दिया जाता है। नास्ते में रोटी और सब्जी दिया जाता है।
दो
जून की रोटी
का जुगाड़ करने
वाले छोटे और
सीमांत किसान-
इस
समय पनिया बाबा
की निरंतर खोज
जारी है। पनिया
बाबा ने बिना
किसी तरह की
सरकारी योजनाओं की लॉलीपोप
दिये ही जन
समुदाय के खेत
में पानी पहुंचा
कर पनिया बाबा
उस वक्त सुर्खियों
में आये थे।
आप पुनपुन नदी
पर बांध बांधने
में कामयाब हुए
थे। इसके कारण
पटना जिले के
मसौढ़ी और जहानाबाद
जिले कुछ हिस्से
में पानी भरकर
लोगों के चहेते
बन गये। पनिया
बाबा का नाम
रघुवर पासवान है।
रघुवर बाबू को
आम लोग पनिया
बाबा के रूप
में सम्मान दिये
हैं। उनको लोगों
ने तोहफा भी दिये
हैं। उनको भारी
मतों से विजयी
बनाकर जिला परिषद
के सदस्य बना
दिये। आज जब
किसान संकट में
हैं। तो लोग
एक बार फिर
पनिया बाबा की
कारामात चाहते हैं। किसी
तरह से गंावघर
में पानी ला
दें। वहीं जब
किसान आसमान की
ओर टकटकी लगाकर
बैठे हैं कि
इन्द्र भगवान पानी देंगे।
इन्द्र भगवान के साथ
पनिया बाबा की
ओर भी ध्यान
केन्द्रित कर रखे
हैं।
Alok
Kumar