कोई कहता है कि 5 रूपए में तो कहता 12 रूपए में दाल-भात-सब्जी खिला देंगे
पहले तो मंहगाई डायन से निजात तो दिला दो
बोधगया। आजकल नेताओं के द्वारा राशन के बदले भाषण दिया जा रहा है। कोई कहता है कि 5 रूपए में तो कोई कहता 12 रूपए में दाल-भात-सब्जी खिला देंगे। आम जनता की मांग है कि पहले तो मंहगाई डायन से निजात दिला दें। सब्जी में टमाटर और प्याज आसमान छूने लगा है। दाल की कीमत में इजाफा है। चालव और गेहूं तो उछाल पर है। गरीबों के मुंह से पौष्टिक आहार छीना जा रहा है। भारत में भूख से 2000 बच्चे मर जा रहे हैं। भारत के हर चौथा व्यक्ति भूखा है। ऐसा न हो कि गरीबी रेखा से नीचे करते-करते गरीब को ही जमीन के नीचे कर दें।
आजकल योजना आयोग के द्वारा निर्धारित माफदंड-
आजकल योजना आयोग के द्वारा निर्धारित माफदंड को लेकर बवाल मचा हुआ। अब तो योजना आयोग के मुताबिक उसी व्यक्ति को गरीब माना जायेगा जिसका मासिक खर्च गांव में 816 रूपए व शहर में 1,000 रूपए से कम है। इसका मतलब है कि गांव में 27.20 रूपए और शहरों में 33.33 रूपए रोजना खर्च करने वाला व्यक्ति बीपीएल श्रेणी में नहीं आएगा। सरकार के इस फैसले के बाद एक ही झटके से देश में 13.78 करोड़ गरीब घट
गए हैं।
2009-10 में गरीबों की संख्या 40.7 करोड़ थी लेकिन नई गरीबी रेखा के बाद
2011-12 में यह घट
कर 26.9 करोड़ रह गई। इस तरह के बवाल के बीच में बोध गया प्रखंड के विभिन्न पंचायतों के 291 महादलित मुसहर समुदाय के गरीब बीपीएल श्रेणी में शामिल करने के लिए आवेदन पत्र दिये हैं।
योजना आयोग ने रेखा भी खींची-
योजना आयोग ने रेखा खींच दी है कि पांच व्यक्तियों के परिवार में खपत खर्च के हिसाब से अखिल भारतीय गरीबी रेखा ग्रामीण इलाकों के लिए 4080 रूपए मासिक और शहरों में 5000 रूपए मासिक होगी। आंकड़ों की बाजीगरी से गरीबों की संख्या तो कम दिखाई जा सकती है लेकिन इस प्रपंच और पाखंड से गरीबी मिटने वाली नहीं है। बेशक योजना आयोग भरोसेमंद संस्था है लेकिन पिछले कुछ वर्शों से वह जिस तरह गरीबी के संदर्भ में अविश्वसनीय रिपोर्ट पेश कर रहा है इससे उसकी विश्वनीयता घटी है।
गरीबी रेखा के मापदंड पर मचे बवाल के बीच आवेदन-
गरीबी रेखा के मापदंड पर मचे बवाल के बीच में गया जिले के बोधगया प्रखंड के विभिन्न पंचायतों में रहने वाले महादलितों ने प्रखंड विकास पदाधिकारी, बोधगया को सामूहिक आवेदन पत्र लिखकर आग्रह किया है कि गरीबी रेखा में नाम जोड़ दिया जाए। अभी गरीबी रेखा में नामदर्ज नहीं होने से सरकारी योजनाओं से महरूम हो रहे हैं। इस प्रखंड के धनावां पंचायत के भईया बिगहा गांव में रामरतिया देवी रहती हैं। यहीं पर 200 वर्षों से रहने वाले 120 महादलित मुसहर समुदाय के लोगों ने बीपीएल सूची में नामदर्ज करवाने के लिए आवेदन दिये हैं। उसी तरह शेखवारा पंचायत के द्वारिका चक में संजय मांझी रहते हैं। यहीं पर 250 वर्षों से रहने वाले 40 महादलितों ने, नावां पंचायत के नावां गांव में सविता देवी रहती हैं। यहां पर महादलित 200 वर्षों से रहने वाले 51 महादलितों ने, धनावां पंचायत के बगदाहा गांव में संजू देवी रहती हैं। यहीं पर 200 वर्षों से रहने वाले 32 महादलितों ने और धनावां पंचायत के मस्तपुरा गांव में अंजति देवी रहती हैं। यहीं पर 200 वर्षों से रहने वाले 48 महादलितों ने आवेदन दिये हैं।
तब सर्वेयर पर सवाल उठता है कि किस तरह से गरीबों की खोज किये? –
प्रायः यह होता है कि सर्वेयर गांव के किसी नुक्कड़ पर बैठकर सर्वे करता है। उसके बाद घर में आकर घर के मुखिया से हस्ताक्षर करवा लेता है। उसके बाद ग्राम पंचायत के मुखिया जी के शरण में चला जाता है। मुखिया जी मनमौजी से विरोधी खेमेबाजी करने वालों को बीपीएल श्रेणी से लुफ्त कर देता है। निरक्षर होने के कारण बीपीएल सूची में सुधार नहीं करवा पाता है। इसका नतीजा बीपीएल कार्ड से महरूम हो जाता है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना से स्मार्ट कार्ड के अधिकारी नहीं बन पाता है। इन्दिरा आवाज योजना के तहत मकान नहीं बनवा पाता है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि व्यक्ति का विकास अवरूद्ध हो जाता है।
अब नौकरशाहों को क्या करना चाहिए?-
जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दुलारे महादलित मुसहर समुदाय के लोगों ने प्रखंड विकास पदाधिकारी महोदय के समक्ष आवेदन दिये हैं। बीडीओ साहब गैर सरकारी संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ बैठक करके पारदर्शिता के साथ गांवघर में जाकर समुचित जांच करेंगे। जो बीपीएल श्रेणी में शामिल होने लायक उपयुक्त हैं उनको जल्दी से जल्दी बीपीएल श्रेणी में शामिल करके विकास के अवरूद्ध मार्ग को खोल दें।
आलोक कुमार