डंडा की बोली समझते हैं चालक
आखिरकार इस महाशय को कौन पकड़ेगा?
दानापुर। दानापुर अनुमंडल पदाधिकारी के स्थानान्तरण होते ही दानापुर बस पड़ाव में चालकों की मजमर्जी देखने को मिलने लगा है। जबतक दानापुर के एसडीओ थे तबतक चालकों में हड़कम्प व्याप्त था। उनके चले जाने से अनियमित ढंग से गाड़ी लगनी शुरू हो गयी है। उस समय खाकी वर्दीधारी सचेत रहा करते थे। कुछ सिक्कों के चलते यातायात नियम को धज्जियां उड़ाते खाकी वर्दीधारी को कौन सबक सीखाएंगा?
क्या था स्थानान्तरण एसडीओ का आदेशः
जो एसडीओ साहब थे। उनका आदेश था कि टेम्पों को दानापुर बस पड़ाव को रोके नहीं। उनको मुख्य मार्ग पर टेम्पों को खड़ा नहीं करना था। उनके लिए बाजाप्ता अलग से पड़ाव स्थल भी दिया गया। उनके आगमन होते ही टेम्पों चालकों के बीच में हड़कम्प मच जाता था। टेम्पों स्टार्ट करके भागते थे। अगर टेम्पों चालक पकड़ में आ जाते थे। तो उनको डंडा खाना निश्चित था। इस तरह के नियम बन जाने से आवाजाही करने वालों काफी सहुलियत मिलती थी। उनके चले जाने के बाद टेम्पों चालक एसडीओ साहब के आदेश को को ठेंगा दिखाने लगे हैं।
अब तो खाकी वर्दीधारियों पर से खौफ हटाः
अब तो एसडीओ साहब चले गये हैं। मनमौजी करने वाले खाकी वर्दीधारियों को चांदी हो गयी है। इन खाकी वर्दीधारियों के हाथ में एसडीओ साहब के समय के ही ‘डंडा’ है। डंडा का रौब बरकरार है। खाकी वर्दीधारी डंडा का बेहतर उपयोग करना शुरू कर दिये हैं। जो मुख्य मार्ग पर टेम्पों लगाते हैं उनके पास जाकर डंडा शरीर में घुसा देते हैं। इतना करने से चालक महोदय समझ जाते हैं। कुछ चालक तो आंखों से इशारा भी करने लगते हैं। इसका मतलब डंडा का इशारा चालक और खाकी वर्दीधारी समझ जाते हैं। यह सब कवायद मात्रः 5 रूपए के सिक्के के लिए किया जाता है। ड्यटी से ऑफ होकर जाते समय पॉलिथिन में सेब लेकर जाते हैं।
आलोक कुमार