राज्य के मुख्यमंत्री
और सिविल सोसायटी
ने चर्चा कर
टिप्पणी सेन्ड किया
अब गेन्द
केन्द्रीय मंत्री परिषद के
पाले में
गया। केन्द्रीय
ग्रामीण विकास मंत्री जयराम
रमेश के द्वारा
राष्ट्रीय भूमि सुधार
पर गठित टास्क
फोर्स ने राष्ट्रीय
भूमि सुधार नीति
का मसौदा तैयार
करके राज्य के
मुख्यमंत्रियों और सिविल
सोसायटी के पाले
में गेन्द बढ़ा
दी थी ताकि
इस पर गहन
मंथन करके टिप्पणी
और चर्चा करने
के बाद केन्द्रीय
गा्रमीण विकास मंत्रालय के
ऑनलाइन पर सेन्ड
कर देना था।
एक माह तक
ऑनलाइन चालू रखने
के बाद 26 अगस्त,2013
को ऑनलाइन सेवा
बंद कर दी
गयी। अब सभी
सुझावों को समेटकर
बेहतर राष्ट्रीय भूमि
सुधार नीति को
केन्द्रीय मंत्री परिषद के
पाले में गेन्द
आ गयी है।
अब देशवासियों की
निगाहे केन्द्र पर जाकर
टिक गयी है।
देशवासियों
को आजादी के
66 साल के बाद
राष्ट्रीय भूमि सुधार
नीतिः
राष्ट्रीय
भूमि सुधार नीति
के मसौदे पर
टिप्पणी करके केन्द्र
सरकार के समक्ष
सुझाव प्रेषित कर
दिया गया है।
यह कयास लगाया
जा रहा है
कि केन्द्रीय मंत्री
समूह की बैठक
अगले माह सितम्बर
में होगी। उसी
बैठक में राष्ट्रीय
भूमि सुधार नीति
को बाजाप्ता स्वीकृति
मिल जाएगी। इस
तरह सिविल सोसायटी
के द्वारा लम्बे
संघर्ष के बाद
केन्द्र सरकार के द्वारा
नागरिकों को राष्ट्रीय
भूमि सुधार नीति
के रूप में
तोहफा मिल रहा
है। इसमें 2 हजार
सिविल सोसायटी का
सहयोग है। 350 जिलों
में 1500 सभा की
गयी। प्रस्तावित राष्ट्रीय
भूमि सुधार नीति
के तहत जो
सुझाव आए ऑनलाइन
कर दिया गया।
आज 26 अगस्त,2013 को
अंतिम दिन है।
टास्क फोर्स के
सदस्य रमेश शर्मा
ने कहाः
पड़ोसी प्रदेश झारखंड
से बिहार में
आकर केन्द्र सरकार
के द्वारा राष्ट्रीय
भूमि सुधार पर
गठित टास्क फोर्स
के सदस्य रमेश
शर्मा ने जानकारी
दी है। इसके
पहले सिविल सोसायटी
के द्वारा गहन
मंथन के बाद
निकले सुझावों को
उक्त नीति में
समावेश कर दिया
जाएगा। उनका स्पष्ट
कहना है कि
देश भर में
जमीन के बारे
में अघतन जानकारी
को सार्वजनिक करना
होगा। देश भर
में भूमिहीनों के
बारे में जानकारी
को सार्वजनिक करना
होगा। आवासीय भूमिहीनों
और खेतीहर भूमिहीनों
को कब और
कैसे जमीन दी
जाएगी खुलाशा करना
होगा। यह जमीन
कहां पर उपलब्ध
है उसे स्पष्ट
करना होगा। उन्होंने
आगे कहा कि
गांवघर में ही
जमीन है। जो
त्रिस्तरीय ग्राम पंचायत के
अधीन में है।
ग्राम पंचायत के
मुखिया के द्वारा
आवासीय भूमिहीनों और खेतीहर
मजदूरों की जमीन
संबंधी समस्याओं को दूर
किया जा सकता
है। वार्ड सभा
और ग्राम सभा
को सशक्त बनाने
की जरूरत होगी।
उसे 66 साल के
प्रजातंत्र के लोग
ठीक कर देंगे।
जनादेश 2007 और जन
सत्याग्रह 2012 सत्याग्रह पदयात्रा का
दबावः
सर्वविदित है कि
देश के करीब
2 हजार सिविल सोसायटी के
सहयोग से जनादेश
2007 और जन सत्याग्रह
2012 सत्याग्रह पदयात्रा की गयी।
इस दौरान 350 जिलों
में 1500 सभा की
गयी। वहां से
निकली समस्याओं और
अनुभवों को मिलाकर
प्रस्तावित राष्ट्रीय भूमि सुधार
नीति बनायी गयी
है। सिविल सोसायटी
के दबाव में
केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री
जयराम रमेश रफ्तार
में कार्य अंजाम
दे रहे हैं।
आलोक कुमार