आखिरकार क्यों बुद्धिया देवी को पेंशन नहीं मिली
इस बुढ़िया को कौन दिलाएंगा इंसाफ
बोधगया। जिलाधिकारी महोदय को मालूम कि 80 साल की बुद्धिया देवी को पेंशन नहीं मिल रही है। एक बुजुर्ग और दूसरे में विधवा भी है। दो तरह के पात्र होने के बाद भी पेंशन नहीं मिलना स्वाभाविक बात नहीं है। कल्याणकारी सरकार और उनके नौकरशाह नीति निर्धारण करके वाजिब लोगों को पेंशन देने की व्यवस्था करते हैं। आखिर इस व्यवस्था में बुद्धिया देवी खरा नहीं उतरी तब ही जाकर उसे पेंशन से महरूम कर दिया गया है।

गया जिले के बोधगया प्रखंड के मोचारिम पंचायत में मोचारिम महादलित टोला है। यहां पर किसी की मौत भूख से हो जाने के बाद बीडीओ साहिबा आयी थीं। केवल भूख से फुलेश्वरी देवी की मौत पर मलहम लगाकर चलीं गयी। इस तरह एक बार फिर बुद्धिया देवी उपेक्षित छोड़ दी गयी। हालांकि आजतक माननीय संासद, विधायक, मुखिया, वार्ड सदस्य, विकास मित्र और सामाजिक कार्यकर्ताओं की आंखों से बुद्धिया देवी औझल ही रह गयी हैं। मोचारिम पंचायत के मुखिया पति अनुप सिंह जरूर ही गांवघर में चक्कर लगाते रहते हैं। परन्तु अपनी मुखिया पत्नी मुन्नी देवी से अनुशंषा करके लाचार बुढ़िया को पेंशन नहीं दिला सके हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि किसी ग्रामीण नागरिक के द्वारा बुद्धिया देवी की सुिध नहीं ली गयी है।
बीपीएल सूची में नाम रहने से इंदिरा आवास योजना से मिलती है राशिः

डी.एम. सर प्लीज-प्लीज कुछ तो कर दें:
डी.एम.सर प्लीज महादलित मोचारिम टोला में आकर स्थिति का जायजा लें। इस तरह के कार्य करने में खुद दिलचस्पी लेते हैं। आकर महादलितों की माली हालत देखें। किस तरह से समाज के किनारे रख दिये गये हैं। इन्हें हाषिए से बाहर निकालने की जरूरत है। सर, केन्द्रीय गा्रमीण विकास मंत्री जयराम रमेश के द्वारा इंदिरा आवास योजना में राषि जरूर बढ़ोतरी की गयी है। मगर इसमें बिचौलियों के द्वारा वीटो लगाकर 10 हजार रूपए गड़क लिया जाता है।
इस उम्र में भूखे रह जाती हैं बुद्धिया देवीः
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा पेंशन से महरूम बुद्धिया देवी को भूखे भी सो जाने को मजबूर हो जाना पड़ता है। बस किसी के द्वारा उठाकर हाथ से दी जाने वाली खुराक ही मिल पाती है। उसी से पेट भर लेती हैं। इसका क्रय शक्ति ही समाप्त हो गयी है। कई वर्षों से हाथ में नोट ही नहीं थामी है। वह घर में सोकर अथवा बैठकर टाइम पास कर रही है। कोई सहानुभूति के दो षब्द भी कहने वाला नहीं है। इस बुढ़ापा में जीवन साथी पति पहले ही स्वर्गवास कर गये हैं।
आलोक कुमार