आतंकवादियों की काली करतूत से बोधगया के लोगों की हरेक रात काली

अब मंदिर के आसपास विरान का साम्राज्य स्थापितः
तथाकथित
आतंकवादियों के निशाने
पर आ गये
महाबोधि मंदिर के आसपास
चहलपहल समाप्त हो गया
है। जिस स्थान
पर बड़े-छोटे-मझौले दुकान सजायी
जाती थी। आज
अवारा कुर्त्तो का
जागीर बन गया
है। मंदिर के
परिसर को किलानुमा
दीवार से घेर
दिया गया है।
अब प्रयास हो
रहा है कि
उस दीवार के
बीच में दो
जगहों पर गेट
लगा दिया जा
जाए। इस गेट
पर द्वारपाल रखा
जाएगा। नियमित समय पर
गेट को खोला
और बंद कर
दिया जाएगा। इस
दिशा में कार्य
प्रगति पर है।
बंद जुबान से
कहते हैं कि
आतंकवादियों की धमकी
और उसकी आड़
में दबंग लोगों
की चाल सफल
हो गयी है। वे
नहीं चाहते थे
कि मंदिर की
कमाई से लोग
मालामाल बन जाए।
यहां
पर रहने वाले
कम पूंजी लगाकर
अपने प्रयास से
रकम कमा लेते
थे। रूक का
बत्ती बनाकर, पीपड़
का पत्ता बेचकर,
कमल का फूल
बेचकर, सिक्का संग्रह करके,
विभिन्न प्रकार के फूलों
को बिक्री करके
अच्छीखासी रकम कमा
लेते थे। बच्चे
तड़के उठकर धंधा
में लग जाते
थे। स्कूल के
समय होने पर
धंधा को बंद
करके स्कूल बैंग
उठाकर स्कूल चले
जाते थे। स्कूल
से लौटने के
बाद पुनः धंधा
में जूट जाते
थे। इस धंधे
से उत्पन्न रकम
को परिजन को
देते और अपने
स्कूली जरूरतों को पूर्ण
कर लेते थे।
अब बच्चों को
मां-बाप पर
आश्रित होना पड़
रहा है। अब
तो कमल के
फूल और पीपड़
का पत्ता बेचने
वाले ही मुरझा
गये हैं।
कैसे मासूम बच्चे धंधा करते थे?

आलोक कुमार