पटना।
राजधानी के बगल
में ही एल.सी.टी.घाट मुसहरी
है। मुसहरी के
सामने गंगा अपार्टमेंट
है। उसी के
बगल में बिहार
वोलेन्ट्री हेल्थ एसोसिएशन है।
जहां पर अधिकांश
एनजीओ को पंजीकृत
करके स्वास्थ्य क्षेत्र
में काम करने
के लिए सहायता
दी जाती है।
इससे आगे बढ़ते
हैं तो महावीर
वात्सलय हॉस्पिटल है। इससे
कुछ दूरी पर
ईसाई मिशनरी कुर्जी
होली फैमिली हॉस्पिटल
है। कहने का
मतलब है कि
सारी स्वास्थ्य सुविधाओं
को उपलब्ध कराने
के संसाधन उपलब्ध
रहने के बावजूद
भी महादलित मुसहर
समुदाय के लोग
टी.बी.बीमारी
से मरने को
बाध्य हैं। यह
शकुन देने वाली
बात है कि
कांति देवी को
ग्लैंड टी.बी.
ही हो जाती
है। जो विकराल
रूप धारण नहीं
करता है।
कांति
देवी के गर्भ
से बेटी पैदा
हुई। बेटी जवान
होकर शादी की।
शादी करने के
बाद गर्भधारण करके
बेटी को पैदा
की है। तब
से कांति देवी
ग्लैंड टी.बी.से हलकान
है। कहने का
मलतब यह है
कि गर्दन में
गिल्टी होकर सूजन
हो जाता है।
इससे परेशान होकर
कांति चिकित्सक के
पास जाती है।
चिकित्सक जांचोपरांत ग्लैंड टी.बी. की
दवा लिख देते
हैं। लिखित दवाई
के अनुसार कांति
देवी दवा खरीदकर
खाती है। जबतक
चिकित्सक बंद करने
को नहीं कहते
हैं। वैसे तो
लगातार नौ महीने
दवा खाने से
ग्लैंड टी.बी.
खत्म हो जाता
है। इसके कुछ
साल ठहराव हो
जाने के बाद
फिर ग्लैंड टी.बी. हो
जाता है। वह
डाट्स कार्यक्रम के
तहत भी दवा
खा चुकी है।
एक बार फिर
कांति देवी को
ग्लैंड टी.बी.
हो गया है।
अब देखना है
कि दवा खाने
के बाद ठीक
होकर कितने दिनों
के बाद फिर
आक्रांत हो जाती
है।
आलोक
कुमार