Saturday 16 November 2013

खजूर के पत्तों से चट्टाई बनाने में प्रमिला को निपूर्णता प्राप्त





आधुनिक युग के भौतिक साधनों से दूर होकर चट्टाई बनाने का कार्य को प्राथमिकता दी जाती है। घर के तमाम कार्य से फुर्सत होने के बाद ही चट्टाई में मन लगाया जाता है। दो माह के अंदर चट्टाई बनाने का कार्य समाप्त कर देने की योजना है। अगर एक बोरा पत्ता से चट्टाई नहीं बन पायेगा तो और मयके में जाकर लाएंगे। इस बार चट्टाई में डिजाइन और रंग भी भरने वाली हैं।

मनेर। आजकल महिलाएं नवाचार करने में जुटी हैं। अब सिर्फ महिलाएं खाना और बर्तनों की ही सफाई करने में समय जाया नहीं करती हैं। बल्कि समय का सदुपयोग करने लगी हैं। उसे सिद्ध करने में मनेर की प्रमिला देवी लगी हैं। आकल वह सुबह में उठकर घर-द्वार की सफाई शुरू कर देती हैं।  घर का खाना बना लेती हैं। बच्चों को तैयार करके स्कूल भेज देती हैं। इसके बाद खजूर के पत्तों से चट्टाई बनाने में जूट जाती हैं। प्रमिला देवी को चट्टाई बनाने में निपूर्णता प्राप्त है।

 दानापुर प्रखंड के अन्तर्गत नासरीगंज में प्रमिला देवी की मायके है। उनकी शादी मनेर प्रखंड के अन्तर्गत गांव में हुआ। कुछ दिनों के लिए प्रमिला देवी मायके आयी थीं। नासरीगंज स्थित मायके में खजूरबन्ना है। प्रमिला देवी के परिजन खजूर के पत्ते से झाड़ू बनाते हैं। उनको पत्तों से चट्टाई बनाने के लिए नहीं आता है। तो प्रमिला देवी ने अपने घर के बच्चों के सहयोग से खजूर के पत्तों का संग्रह  कराया। इसके बाद बोरा में डलवाया। खजूर के पत्तों को बोरा में रखकर सकून की सांस ली।

प्रमिला देवी ने कहा कि मन शांतचित करके चट्टाई बनाने में लगना पड़ता है। आधुनिक युग के भौतिक साधनों से दूर होकर चट्टाई बनाने का कार्य को प्राथमिकता दी जाती है। घर के तमाम कार्य से फुर्सत होने के बाद ही चट्टाई में मन लगाया जाता है। दो माह के अंदर चट्टाई बनाने का कार्य समाप्त कर देने की योजना है। अगर एक बोरा पत्ता से चट्टाई नहीं बन पायेगा तो और मयके में जाकर लाएंगे। इस बार चट्टाई में डिजाइन और रंग भी भरने वाली हैं।

आलोक कुमार