Sunday 17 November 2013

आस्था की डुबकी





पटना। आज कार्तिक पूर्णिमा है। इस अवसर पर पवित्र गंगा नदी के किनारे काफी भीड़ देखी गयी। दूरदूर से चलकर लोग आएं। अपूण्य कार्य करने वालों को राहत मिली। गंगा नदी में स्नानकर पाक साफ हो गये। इसके साथ ही इनके व्याकुल मन शांत हो सका। गंगा मइया से श्रमा मांगकर फिर से पूण्य बटोरने में लग गये। स्नान करने के बाद गुड़ से बनायी गयी जलेबी और लाई को चटकार मारकर खाएं। लोगों ने खुले हाथ से दान किये। पवित्र स्नान करने का सिलसिला सुबह से शाम तक चला।

72 घंटे के भजन का समापन हो गयाः
गंगा किनारे 14 नवम्बर,2013 से भक्तों के द्वारा 72 घंटे का भजन शुरू किया गया। श्रद्धालुगण आकर मां गंगे के समक्ष आराधना किये। सिर झुकाएं और आशीर्वाद ग्रहण किये। और तो और खुले हाथ से दान भी किये। 14 नवम्बर से ही लगातार पंडाओं के द्वारा हवन किया जाता रहा। 14 नवम्बर को सुबह 5:45 बजे प्रारंभ हुआ। जो 14-15, 15-16 और 16-17 नवम्बर तक चला। 17 नवम्बर की शाम 5:45 बजे समाप्त हो गया। भजन चलता रहा।
पोंगा पंडितों और झारफुंक करने वालों की चांदी रहीः
पोंगा पंडितों और झारफुंक करने वालों की चांदी रही। कई जगहों पर प्रेत आत्माओं को खदेरने वाले भगत गद्दी लगाएं थे। इस गद्दी पर बैठकर प्रेतात्माओं से परेशान महिलाओं के जिस्म से भूत भगाते रहे। जिस पर प्रेतात्मा सवार था। उसे गंगा नदी में तीन बार डुबकी लगवाकर भूत निकाला जाता था। उसे गंगा मइया की कसम दी जाती थी। घर में अमन चैन रहा तो अगले साल बाजा बजाकर गंगा मइया की स्तुति करने की मन्नत ली गयी।

महज एक रू. की मांग को लेकर सिर फोड़ दियाः
कार्तिक पूर्णिमा के दिन गुड़ से बना जलेबी और लाई खाने की दस्तूर है। छोटे किस्म के दुकान गरमागरम जलेबी बनाकर श्रद्धालुओं को खिलाने की व्यवस्था कर रखी थी। इधर जलेबी बनी और उधर जलेबी बिक जाती थी। जी को तर करने वाली जलेबी 60 रू. किलोग्राम बेची जा रही थी। मगर दुकानदारों ने 250 ग्राम जलेबी की कीमत 16 रू. लगा रखी थी। एक ग्राहक ने 60 रू.में एक किलोग्राम तो ढाई सौ ग्राम की कीमत 15 रू. कहकर ढाई सौ जलेबी खरीदी। इसपर दुकानदार ने 16 रू. देने की मांग करने लगा। एक रू. की मांग को लेकर बहस हो गयी। तब दुकानदार ने एक किलोग्राम बाट से खरीददार के माथे पर मार दिया। खून बहने लगा। किसी तरह से हंगामा शांत करवाया गया। इसी व्यक्ति के माथे से खून गिर रहा था। तोलिया से बहते खून को रोका।


Alok Kumar