आरा। इसको
आप क्या कहेंगे?
एक ही परिवार
के तीन भाई-बहन धृतराष्ट्र
बन गये हैं।
मगर तीनों ने
चुनौतीपूर्ण स्वीकार कर लिये।
मानसिक अवसाद से काफी
दूरी पर खड़े
हैं। अपने अग्रज
निर्मल कुमार राम को
देखकर सुनील कुमार
राम और सोनामुन्नी
कुमारी अनुशरण करते चले
गये। तीनों को
सफलता मिलती चली
गयी। जीवन में
सामने आने वाले
कांटों के बदले
राह में फूल
बिछना शुरू हो
गया। आज निर्मल
कुमार राम एम.ए.उर्त्तीण,
सुनील कुमार राम
बी.ए. और
सोनामुन्नी कुमारी दसवीं की
परीक्षा देने वाली
है।
भोजपुर जिले उद्दवंतनगर
थानान्तर्गत बेलाउर पंचायत के
चक्रधर टोला में
बादशाह राम और
उनकी पत्नी कमली
देवी रहती हैं।
दोनों के सात
संतान है। इसमें
चार लड़के और
तीन लड़की हैं।
सबसे पहले जब
निर्मल कुमार राम सात
साल के थे।
तब 1998 में उनकी
आंख की रोशनी
धीरे-धीरे लुफ्त
होने लगी। इसके
बाद 2003 में सुनील
कुमार राम और
उसके पहले 2002 में
सोनामुन्नी कुमारी की आंख
की रोशनी गायब
हो गयी। इसके
चलते खेतिहर मजदूर
के घर में
हड़कंप मच गया।
आखिर हो क्यों
नहीं? परिवार में
एक के बाद
एक तीन बच्चे
धृतराष्ट्र बन गये।
वहीं चार बच्चे
सामान्य है। मां-बाप की
नजर सात बच्चों
पर थीं। मगर
तीन बच्चों को
लेकर मां-बाप
अधिक परेशान हो
गए। तीनों को
कई जगहों पर
ले जाकर दिखाया
गया। मगर सुधार
नहीं हो सका।
इस ओर भोजपुर
जिले के सिविल
सर्जन भी सहायक
नहीं हुए। भोजपुर
के साहब के
सहायक नहीं बनने
के कारण स्वास्थ्य
विभाग भी बेफ्रिक
बनकर रह गया।
इतना तो जरूर
किया कि साहब
ने अपाहिज प्रमाण
पत्र निर्गत कर
दिये। निर्गत विकलांग
प्रमाण पत्र पेश
करने से निःशकता
सामाजिक सुरक्षा पेंशन मिल
पा रहा है।
नयी
दिल्ली में रामयश
कॉलेज से निर्मल
कुमार राम एम.ए. किये
हैं। उनके अनुज
सुनील कुमार राम
करोड़ीमल कॉलेज से बी.ए. कर
रहे हैं। मिलेनियम
स्टार अमिताभ बच्चन
करोड़ीमल कॉलेज में ही
अध्ययन किये थे।
दिल्ली में ही
सीबीएसई से सोनामुन्नी
कुमारी टेनर्थ कर रही
हैं। निर्मल कुमार
राम ने कहा
कि हम लोग
सहज ढंग से
अध्ययन कर रहे
हैं। परिवार के
आर्थिक और सामाजिक
स्थिति खराब होने
के बावजूद भी
हमलोग साधारण बच्चों
से पीछे नहीं
हैं। मस्ती में
पढ़ते और खाते
हैं। इसमें मां-बाप की
कड़ी मेहनत निहित
है।
अभी-अभी दिल्ली
से पटना आये
हैं। पटना से
दानापुर टेम्पों से उतरे
हैं। यहां से
दानापुर स्टेशन से आरा
चले जाएंगे। यहां
पर रेलवे की
परीक्षा में शामिल
होने के लिए
आए हैं। 8 दिसम्बर,2013
को परीक्षा होने
वाली है। परीक्षा
स्थल दरभंगा दी
गयी है। उसे
बदलने का प्रयास
चल रहा है।
4 दिसम्बर को बुलाया
गया है। उम्मीद
है कि पटना
में ही सेन्टर
मिल जाएगा। इस
सेदर्भ में बादशाह
राम कहते हैं
कि भगवान की
लीला परम अपार
है। मेरे घर
में सात बच्चे
दिये। इनमें तीन
धृतराष्ट्र हो गए।
फिर भी इन बच्चों
का इलाज करवाएं।
तब भी बच्चों
की आंख की
रोशनी लौटा पाने
में असमर्थ रहा।
मगर धृतराष्ट्र बच्चे
होते हुए भी
साधारण बच्चों को काफी
पीछे छोड़कर आगे
बढ़ गये हैं।
इन बच्चों को
नमस्कार हैं।
आलोक कुमार