गया।
ईसा मसीह के
आगमन की उल्टी
गिनती शुरू हो
गयी है। ईसा
मसीह का जन्म
24 दिसम्बर की मध्यरात्रि
में हुआ था।
जन्मोत्सव मनाने के लिए
चर्च में मध्यरात्रि
में समारोही धार्मिक
अनुष्ठान का आयोजन
किया जाता है।
क्रिसमस को यादगार
बनाने के लिए
चर्च और घरों
को भी सजाया
जा रहा है।
वहीं कारोबारी भी
लोगों को आकृष्ट
करने के लिए
होटलों को सजाया
रहे हैं। लाल-लाल कपड़े
पहने सांता क्लॉस
को अपने होटलों
में अतिथियों का
स्वागत करने के
लिए रख रहे
हैं। क्रिसमस और
न्यू ईयर को
देखते हुए बाजार
में शुभकामनाएं (ग्रिटिग्स)
कार्ड उतारा गया
है। हालांकि कार्ड
खरीददारी में लोग
रूचि न लेकर
इंटरनेट और मोबाइल
से बधाई और
शुभकामना दे रहे
हैं। सोसल मीडिया
का भी उपयोग
कर रहे हैं।
ईसाई
बहुल्य क्षेत्रों में क्रिसमस
कैरोल सॉग की
प्रस्तुतिः टोली बनाकर
क्रिसमस कैरोल सॉग प्रस्तुत
किया जा रहा
है। कुछ सयानों
के अलावे छोटे-छोटे बच्चे
भी शामिल हो
रहे हैं। ऐसा
करने से क्रिसमस
माहौल बनना शुरू
हो गया है।
ईसा मसीह के
जन्मदिन के असवर
पर भक्ति संगीत
पेश किया जा
रहा है। साथ
ही न्यू ईयर
की शुभकामनाएं भी
दी जा रही
है।
मध्यरात्रि
और सुबह में
धार्मिक अनुष्ठानः 24 दिसम्बर को मध्यरात्रि
में धार्मिक समारोही
अनुष्ठान होगा। इसमें ईसाई
धर्मावलम्बी शामिल होंगे। इसी
तरह सुबह में
भी धार्मिक अनुष्ठान
होगा। शाम को
धार्मिक अनुष्ठान नहीं होगा।
चर्च में धार्मिक
अनुष्ठान के बाद
धर्मावलम्बी एकदूसरे से हैप्पी
क्रिसमस कहकर अनुवादन
करेंगे। इसके बाद
25 दिसंबर के दिन
हैप्पी केक काटकर
नन्हा ईसा मसीह
का जन्मदिन मनाएंगे।
वहीं ठेंकुआ,पुआ,निमकी,पूरी आदि
बनाकर खाते हैं।
विशेष तौर पर
बेजुबान मुर्गा और खस्सी
पर आफत आने
वाले हैं। इनका
मीट और पुलाव
बनाया जाएगा और
खाया जाएगा।
अन्य
लोगों को भी
आमंत्रित किया जाता
हैः क्रिसमस यानी
बड़ा दिन के
अवसर पर ईसाई
धर्मावलम्बी अपने साथियों
को आमंत्रित करते
हैं। आमंत्रित सज्जन
के साथ दिल
खोलकर नन्हा बालक
के आने पर
जश्न मनाते हैं।
इस अवसर पर
बच्चे काफी खुश
नजर आते हैं।
राजा येसु आया,
सब मिलकर गाओं
खुशिया मनाओं जगत का
राज दुलारा आया....। यह
गीत गाकर थिरकते
रहते हैं। कहींकहीं
क्रिसमस मिलन समारोह
भी आयोजित किया
जाता है।
आलोक
कुमार