पटना।
पराधीन 15
अगस्त,1931
को बेनेदिक्त
जोन ओस्ता का
जन्म हुआ। 16
साल
के बाद भारत
स्वतंत्र हो गया।
स्वतंत्रता की लड़ाई
में महात्मा गांधी
की महत्वपूर्ण भूमिका
रही। उन्होंने अंग्रेजों
को भारत से
खदेड़ने में योगदान
किया। उसी तरह
फादर बेनेदिक्त जोन
ओस्ता ने अंगे्रज
को धर्माध्यक्ष पद
से हटाने के
बाद धर्माध्यक्ष बनने
का गौरव प्राप्त
किये। जिंदगी के
82
साल में 63
साल तक
येसु समाजी रहे।
50
साल फादर रहें।
33
साल बिशप रहें।
इसमें 14
साल आर्चबिशप
रहे। 9
दिसंबर,2007
में अवकाश
ग्रहण करने के
बाद दीघा स्थित
एक्सटीटीआई में रहने
चले गये।
बिहार
के प्रथम महाधर्माध्यक्ष
बेनेदिक्त जोन ओस्ता
के निधन के
बाद पार्थिव शरीर
को जनता के
दर्शनार्थ रखा गया
है। 30 जनवरी,2014 को कुर्जी
होली फैमिली अस्पताल
में निधन हो
गया। इसके बाद
एक विशेष रूम
में रखे गये
हैं। यहां पर
आकर लोग हमदर्दी
जताने के लिए
पुष्प अर्पित कर
रहे हैं। कुछ
मिनट ठहरकर प्रार्थना
करते और चले
जाते हैं। आज
दिन भर भी
यही सिलसिला जारी
रहा। महाधर्माध्यक्ष की
ममेरी बहन सेक्रेट
हार्ट सोसायटी की
पूर्व मदर सुपेरियर
जेनरल सिस्टर एनसेल्मा
बगल में बैठी
रहीं। पटना महाधर्मप्रांतीय
महिला संघ की
पूर्व अघ्यक्ष स्टेला
साह ने पुष्पांजलि
अर्पित की।
प्राप्त
जानकारी के अनुसार
फादर बीजे ओस्ता
का पिता जोन
ओस्ता और मां
अन्ना ओस्ता हैं।
इनके 4
भाई और
4
बहन हैं। इनका
जन्म 15
अगस्त,1931
को हुआ।
येसु समाज में
20
जून,1950
में प्रवेश
किये। इनका पुरोहिताभिषेक
9
जून,1963
को हुआ।
अंतिम मन्नत 15
अगस्त,1976
में हुआ। पटना
धर्मप्रांत के प्रथम
बिहारी धर्माध्यक्ष बनने का
गौरव 21
जून,1980
को प्राप्त
किया। मुजफ्फरपुर,
बेतिया,
बक्सर,
पूर्णिया और
भागलपुर धर्मप्रांतों को मिलाकर
पटना को महाधर्मप्रांत
घोषित किया गया।
11
जुलाई,1999
को प्रथम
बिहारी आर्क बिशप
बने।
आलोक
कुमार