Sunday 1 February 2015

अनुसूचित जातियों का श्रेणीकरण होगाः मुख्यमंत्री



पटना। मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने बड़े बदलाव के संकेत दिए हैं। अब महादलित और दलित का भेद जल्द ही समाप्त कर दिया जाएगा। अभी भी महादलित आयोग में पासवानजाति के लोगों को दरकिनार करके रखा गया है। इसके आलोक में अनुसूचित जाति में शामिल सभी 23 जातियों में शिक्षा और साक्षरता के अनुपात में सरकारी सुविधा और सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। महादलित आयोग और राज्य अनुसूचित जाति आयोग के अधिकारियों से कहा कि सरकार के पास अनुसूचित जातियों का श्रेणीकरण करने के लिए प्रस्ताव प्रेषित करें। इसके अलावे आगत लोगों से हाथ भी उठवाकर समर्थन हासिल किया।

मुख्यमंत्री मुजफ्फरपुर विकास मंडल और मुसहर विकास मंच के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित राज्य स्तरीय मुसहर चेतना सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यदि अनुसूचित जातियों के बच्चों को समान शिक्षा व्यवस्था से जोड़ दिया जाए तो हमें आरक्षण की भी जरूरत नहीं है, क्योंकि सरकार के स्तर से मिलने वाला यह आरक्षण हमेशा के लिए नहीं है। 1952 से जारी आरक्षण एक न दिन तो इसे समाप्त करना ही होगा। इसका विरोध 1982 में बिहार विधान सभा में किए थे। उन्होंने मुसहर जाति के लोगों का आह्वान किया कि वे न केवल आर्थिक रूप से समृद्ध होने का प्रयास करें, बल्कि राजनीतिक रूप से भी खुद को मजबूत करें, ताकि सत्ता में आकर वे अपने विकास के लिए खुद योजनाएं बना सकें। साथ ही अपना वोट केवल उसी को दें जो उनके विकास के प्रति गंभीर है।

मुख्यमंत्री आज फिर अपने पुराने अंदाज में राज्य भर से आए मुसहर जाति के लोगों को संबोधित कर रहे थे। हॉल में महिलाओं की भी अच्छी-खासी संख्या थी। उन्होंने कहा कि जब तक हमारे समाज में शिक्षा का स्तर समान नहीं होगा, तब तक सभी लोगों को विकास के लिए समान अवसर उपलब्ध नहीं होंगे। उन्होंने सरकारी स्कूलों के शिक्षकों पर भी कड़ा प्रहार किया और कहा कि हमारी सभाओं में नियोजित शिक्षक अपनी नौकरी पक्की कराने की मांग करते हैं और नारेबाजी करते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि इनका उद्देश्य समाज में सभी को उच्च स्तर की शिक्षा देना नहीं है, बल्कि केवल अपनी नौकरी पक्की कराना है। उन्होंने स्वीकार किया कि सरकारी स्कूलों में बच्चों को साइकिल, पोशाक, छात्रवृत्ति और मिड-डे मिल योजना में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हो रही है। इन गड़बडिय़ों में न केवल स्कूलों के शिक्षक, बल्कि गांव में सक्रिय दलाल भी शामिल हैं, जो इन सरकारी सुविधाओं के लिए बच्चों के माता-पिता से घूस (रिश्वत) वसूल रहे हैं। उन्होंने गांवों में काम कर रहे विकास मित्रों व टोला सेवकों के साथ-साथ दलित जाति के बच्चों के माता-पिता को भी सलाह दी कि वे शिक्षकों की शिकायत सीधे सरकार से करें, क्योंकि स्कूलों में शिक्षक अब दो तरह के हाजिरी रजिस्टर रखते हैं। एक कच्चा और एक पक्का। इन्हीं दो रजिस्टर के माध्यम से घूस की वसूली की जाती है।

मुख्यमंत्री ने मुसहर व भुइयां जाति की जनसंख्या को लेकर भी सवाल उठाए और कहा कि जब वर्ष 1931 की जनगणना हुई थी तब राज्य में मुसहरों की आबादी नौ लाख और भुइयां की आबादी पांच लाख बताई गई थी। आज हमारी जनसंख्या महज 31 लाख बताई जाती है। यह सही नहीं है, क्योंकि मुसहर व भुइयां जाति के लोगों की जनगणना में भी गड़बड़ी की जाती है। उन्होंने कहा कि आज राज्य में मुसहर व भुइयां की आबादी करीब 56 लाख है, लेकिन इनमें अधिकतर लोगों के ना
म वोटर लिस्ट में भी शामिल नहीं हैं। उन्होंने मुसहर व भुइयां जाति को जागरूक बनने की सलाह देते हुए कहा कि अगर आप मिलकर वोट करेंगे तो आपकी समस्याओं से कोई भी मुंह मोड़ नहीं सकता। साथ ही यह भी कहा कि दारू के पाउच पर वोट देने की लत छोडें़। अगर ऐसा नहीं किया तो इस समाज का कभी भी उत्थान नहीं हो सकता।इस समय डेढ़ करोड़ की संख्या में दलित हैं। अगर वोटर सवा करोड़ हैं तो निश्चित तौर पर अगला मुख्यमंत्री कोई दलित ही बनेगा?

इस सम्मेलन को राज्य महादलित आयोग के पूर्व अध्यक्ष विश्वनाथ ऋषि, बिहार अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष विद्यानंद विकल, बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष सत्येंद्र गौतम मांझी, विधायक रत्नेश सदा, बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के पूर्व अध्यक्ष एकेपी यादव, ग्रामीण विकास विभाग के प्रधान सचिव एसएम राजू और कृषि उत्पादन आयुक्त विजय प्रकाश ने भी संबोधित किया।


आलोक कुमार

No comments: