Monday 6 January 2014

प्रखंड विकास पदाधिकारी सरकारी योजनाओं से लाभ दिलवाने की प्रक्रिया शुरू करें


दानापुर। कल्याणकारी राज्य की सरकार ने नागरिकों के विकास और कल्याण के लिए अनेक योजना बना रखी हैं। सरकार ने मां के गर्भ में शिशु के पैर रखने के साथ से शुरू करके मृत्यु के बाद भी योजना बना रखी है। मगर नौकरशाहों की उदासीनता के कारण गांव तक योजना नहीं पहुंच पा रही है। इसके कारण नागरिक योजनाओं से महरूम हो जा रहे हैं। महरूम होने वालों में महादलित मुसहर समुदाय के अधिकांश लोग हो जाते हैं। उसमें करीमन मांझी की विधवा लीला देवी शामिल हैं।

सनद रहे कि भारत पुरूष प्रधान देश है। यहां के परिवारिक सत्ता पुरूषों के नाम से ही चलता है। इसके कारण पुरूष के पास ही सारे अधिकार सीमित हो जाता है। इस लहजे यह स्वाभाविक है कि अबला नारी पुरूष पर ही आश्रित हो जाती हैं। उनका पीड़ा उस समय देखा जाता है,जब उनके पति का निधन हो जाता है। उस समय खुद को असहाय महसूस करने लगती हैं। उस पीड़ा को कम करने के लिए सरकार ने योजना बना रखी है। मगर योजना का लाभ लीला देवी को नहीं मिला।

दानापुर प्रखंड के कौथवां ग्राम पंचायत के कौथवां मुसहरी में करीमन मांझी रहते थे। वे ट्रेक्टर चालक थे। उनकी शादी लीला देवी के संग हुई। दोनों के सहयोग से सात बच्चे हुए। 5 लड़के 2 लड़कियां थीं। जब के एक साल के अंदर झुनिया कुमारी और प्रमोद कुमार की मौत हो गयी। दांत निकलते वक्त कै-दस्त होने केे कारण मर गये। मनोज मांझी,पूनम देवी और लव-कुश मांझी की शादी हो चुकी है। बच्चों की शादी करके निश्चित हो जाने के बाद करीबन मांझी शराब की बुरी तल के शिकार हो गये। इसी हाल में सूरज कुमार और पवन कुमार को जिदंगी बनाने की कोशिश भी करते रहे। समय के अन्तराल में शराब ने करीमन मांझी को लील लिया। उनकी असायमिक मौत हो गयी। रकम नहीं रहने के कारण पति को मिट्ठी में गाढ़ दिया गया। हिन्दु होने के बाद भी मिट्टी के हवाले कर दिये।

विधवा लीला देवी ने आपबीती बयान में कहा कि सरकार के द्वारा घर बनाया गया है। वह टूटने लगा है।भदभद गि हई, नीमन से छतवा के ढलइया ना हई करल यह मामला शाम की है। एक चट्टान गिरने के बाद लकड़ी से खोंदकर अन्य गिरने वाले चट्टान को गिराया गया। ऐसा नहीं करने से कोई अप्रिय हादसा हो सकता है। उनका कहना है कि कौथवां ग्राम पंचायत के मुखिया के द्वारा पति परमेश्वर के मर जाने के बाद कबीर अत्येष्टि योजना से 15 सौ रू. की राशि नहीं दी गयी। इसके बाद परिवार लाभ योजना से 10 हजार रू. से भी लाभ नहीं दिलवाया गया। अब तो 4 साल के बाद भी लक्ष्मीबाई सामाजिक सुरक्षा पेंशन से महरूम करके रखा गया है। यह विधवाओं को दिया जाता है।
अभी परिवार की गाड़ी खींचने के लिए बकरी पालन करती हैं। 5 बकरी है, उसमें 1 खस्सी है। इसके अलावे जानवरों के गोबर चुनती हैं। गोबर चुनने के बाद गोईंठा बनाती हैं। खुद गोईंठा को जलावन के रूप में इस्तेमाल करती हैं। अधिक होने पर एक रू. के चार गोईंठा बेच देती हैं।
गरीबी रेखा के अंदर रहने से पीला कार्ड मिला है। 20 किलोग्राम चावल और 14 किलोगा्रम गेहूं मिलता है। 105 रू. में अनाज मिलता है। अनियमित आपूर्ति होने पर एक पहर खाना बनाते हैं। रात में खाना नहीं बनाते हैं। जो कुछ सुबह में शेष रहता है। बच्चे खाकर रात में सो जाते है। खुद लीला देवी भूखी ही सो जाती है।
 विधवा लीला देवी ने प्रखंड विकास पदाधिकारी डा.शोभा अग्रवाल से आग्रह की है कि सरकारी योजनाओं से लाभ दिलवाने की प्रक्रिया शुरू करें। अव्वल कबीर अत्येष्टि योजना से 15 सौ रू. की राशि दी जाए। परिवार लाभ योजना से 10 हजार रू. से लाभ दिलवाया जाए। पति के मौत के 4 साल के बाद भी लक्ष्मीबाई सामाजिक सुरक्षा पेंशन से महरूम करके रखा गया है। 4 साल की राशि जोड़कर भुगतान किया जाए। जर्जर मकान को तोड़कर इन्दिरा आवास योजना की राशि से मकान निर्माण कराया जाए। अन्त में कौथवां मुसहरी के लोगों को वासगीत पर्चा निर्गत किया जाए।
आलोक कुमार
पटना,बिहार।