Monday 13 January 2014

बिहार के गांवों में प्रगति ग्रामीण विकास समिति पहचान की मोहताज नहीं



गांधीवादी विचारधारा से प्रेरित और विनोबा,जयप्रकाश मार्ग पर चलकर कार्यरत है प्रगति ग्रामीण विकास समिति। लघु पैमाने पर 1985 में प्रगति ग्रामीण विकास समिति ने आगाज किया। बिहार के राजधानी पटना से कुछ ही दूरी पर स्थित नौबतपुर प्रखंड है। इस प्रखंड के आसपास रहने वाले मुसहर समुदाय के बीच में कार्य शुरू किया गया। तब से आजतक महादलित मुसहर समुदाय के सर्वागीण विकास की दिशा में अग्रसर है। अभी 32 जिले के 1850 गांव में सक्रिय रूप से क्रियाशील है।
बिहार के गांवों में पहचान की मोहताज नहीं: प्रगति ग्रामीण विकास समिति के सचिव प्रदीप प्रियदर्शी का कहना है कि गांधी,विनोबा,जयप्रकाश के बताये मार्ग पर चलकर प्राकृतिक संसाधनों को समान ढंग से वितरण करवाने के आग्रह के साथ समाज के किनारे ठहर गये लोगों के बीच में कार्य किया जाता है। आम आदमी की मांग पर तीन साल तक कार्य करने के पश्चात बिहार सरकार के द्वारा प्रगति ग्रामीण विकास समिति को मान्यता दिलवाने के लिए पहल की गयी। सोसाइटी रजिस्ट्रशन एक्ट 21/1860 के तहत निबंधित की गयी। निबंधित संख्या संख्य-394/198-89 है। इसके बाद विदेशी अभिदान अधिनियम के तहत पंजीकृत संख्या-031170056/1991-92 है।
 32 जिले के 1950 गांवों में जल,जंगल, जमीन को लेकर कार्यः समाज के गरीबों, उपेक्षितों एवं वंचितों के अभावों आकांक्षाओं और अधिकारों के प्रति अपेक्षाकृत अधिक सचेत रहा है। तथा उनके खोये हुए स्वाभिमान को संगटित कर समता एवं न्याय पर आधारित शोषणविहीन समाज की रचना के लिए शांतिमयता के सिद्वांत के साथ संवैधानिक तरीके से प्रयासरत है। मानव संसाधन विसा, आय उत्पादन वाले कार्यक्रम, पर्यावरण मानवाधिकार, महिला अधिकार, स्वास्थ्य, षिक्षा, स्वच्छता, जल एवं बाल अधिकार के मुददे पर विभिन्न कार्यक्रमों का क्रियान्वयन कर रहा है।
लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आंदोलन के नेता प्रदीप प्रियदर्शीः प्रारंभ से ही गरीब वंचित एवं उपेक्षित समुदाय के अधिकार सम्मान, पहचान, बराबरी एवं न्याय के लिए कटिबंद्ध रहने वाले श्री प्रियदर्शी का कहना है कि संस्था और मेरी दृष्टि साफ है। हम अपने उद्देश्य के पटरी पर से उतरने वाले नहीं है। सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़े हुए लोगों को अवसर प्रदान करना ताकि वे समाज में उपर उठ सकें कि दान दया जीवन बिताये। उपलब्ध अवसरों की जानकारी देना ताकि उनका उपयोग कर रोजमर्रा की जिन्दगी में आत्मानिर्भर हो सके। ग्रामीण बच्चों एवं महिलाओं के विकास के लिए शिक्षा एवं संगठन पर बल देना। सरकारी एवं गैर सरकारी योजनाओं को वंचित वर्ग तक सही तरीके से  पहुंचाने में सतत प्रत्यनशील  रहना विकास संबंधी योजनाओं के संबंध में सरकारी एवं अन्य संस्थओं को सुझाव सहयोग देना। भूख, गरीबी,अशिक्षा,शोषण,लिंगभेद,बाल मजदूरी आदि के विरूद् अभियान चलाना।
इनोवेशन करने में अव्वलः
पटना जिले के पालीगंज और विक्रम प्रखंडों में दाता संस्था एक्शन एड के सहयोग प्राप्त करके 2004 से गैर सरकारी संस्था प्रगति ग्रामीण विकास समिति के द्वारा परस्पर सहायता समूह, पट्टा पर खेत लेकर महिला किसानों के द्वारा खेती करवाना, अनाज बैंक, बकरी पालन,नक्सल प्रभावित क्षेत्र पालीगंज और विक्रम प्रखंडों में इनोवेशन कार्य किया गया। 2004 से 2013 तक एक्शन एड के सहयोग से विभिन्न प्रकार के कार्य किये गये।
अनाज बैंकःवर्ष 2012- 13 गांवों में अनाज बैंक चलाया जा रहा है। जिसमें 4000 परिवार जुड़े हुए है। जब अनाज बैंक नहीं था तो ये किसानो से कर्ज लेते थें। और कई प्रकार की अब अनाज बैंक से इनके जीवन में एक बड़ा फर्क आया है वो है आत्मविष्वास एवं प्रबंधकीय क्षमता झलकता है।। जिन गांवों में अनाज प्रारम्भ में 200 किलो था वहां अब 300 से 450 किलो तक हो गया है। और समूह में सदस्यों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
बकरी पालनःआय उत्पादन के क्षेत्र बकरी पालन एक सहायक आर्थिक गतिविधि के रूप में सफलता पूर्वक चल रहा है। इस कार्यक्रम के तहत किसी प्रकार को एक बकरी दी जाती है। गर्भधारण करने के बाद धरती पर आने वाली बकरी को अन्य परिवार को दे दिया जाता है। बकरी देने और लेने का सिलसिला जारी है।
सामूहिक खेतीःकुटीर उघोगों को बढ़ावा दिया जाए। मुर्गी पालन,बकरी पालन,सुअर पालन,जानवर पालन आदि के लिए अनुदान दिया जाए। परस्पर बचत समूह को बढ़ावा देना। बचत समूह की राशि से पट्टा पर खेती जमीन लेकर खेती किया जाए। खेती से अनाज पैदा करके अनाज बैंक का सृजन करना। गांव के अंदर भूख से किसी की मौत हो, पूरी तरह से ग्रामीणों को गारंटी देना। सरकारी योजनाओं से ग्रामीणों को लाभान्वित करवाना। महात्मा गांधी नरेगा से लोगों को काम दिलवाना। आवासीय भूमिहीनों को आवास दिलवाने में सरकार पर दबाव डालना।
आलोक कुमार