Thursday, 30 January 2014

बिहार के प्रथम महाधर्माध्यक्ष नहीं रहे


पटना। बिहार के प्रथम महाधर्माध्यक्ष बी.जे.ओस्ता नहीं रहे। उनका निधन गुरूवार को स्थानीय कुर्जी होली फैमिली अस्पताल में हो गया। सुबह 5 बजे अंतिम सांस लिये। कुर्जी चर्च में शनिवार 1 फरवरी को 2 बजे से धार्मिक अनुष्ठान अर्पित किया जाएगा। अनुष्ठान समाप्त होने के बाद पार्थिव शव को एक्सटीटीआई,दीघा में स्थित कब्रिस्तान में दफना दिया जाएगा।
उस समय की बात है जब पटना धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष पद पर अंग्रेजों का कब्जा था। इस पद पर कई दशक तक अंग्रेज अगस्टीन विल्डरमूथ, येसु समाजी काबिज रहें। रोम में रहने वाले पोप धर्माध्यक्ष की खोज करने लगे। कारण कि अंग्रेज धर्माध्यक्ष बुजुर्ग हो गये थे। बिहार में धरती के लाल की खोज होने लगी। उस समय सशक्त दावेदार बीजे ओस्ता और जेबी ठाकुर थे। तब रोम के पोप ने पटना धर्माप्रांत को विभक्त कर मुजफ्फरपुर धर्मप्रांत बना दिया। इस तरह पटना धर्मप्रांत के बीजे ओस्ता और मुजफ्फरपुर धर्मप्रांत के जेबी ठाकुर को धर्माध्यक्ष बनाया गया।
इसके बाद पटना धर्मप्रांत को विभक्तकर बक्सर धर्मप्रांत और मुजफ्फरपुर धर्मप्रांत को विभक्त करके बेतिया धर्मप्रांत बना दिया गया। कुछ और धर्मप्रांतों को मिलाकर पटना धर्मप्रांत को पटना महाधर्मप्रांत बना दिया गया। पटना महाधर्मप्रांत के प्रथम महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष बीजे ओस्ता को बना दिया गया। इस तरह साधारण पुरोहित के बाद एक्सटीटीआई के नोविंश मास्टर से महाधर्माध्यक्ष पद को सुशोभित करने का गौरव प्राप्त किये।
बिहार प्रदेश कांग्रेज अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के संयोजक सिसिल साह ने कहा कि महाधर्माध्यक्ष बीजे ओस्ता हिन्दी भाषी क्षेत्र के जाने-माने धर्माध्यक्षों में एक थे। हिन्दी के प्रखर ज्ञाता थे। मधुरवाणी और प्रभावशाली वक्ता थे। महिला शिक्षा को अहमियत देने वाले महाधर्माध्यक्ष थे। पश्चिम चम्पारण के बेतिया के रहने वाले थे।

आलोक कुमार