गया। चार
प्रदेशों में शिकस्त
खाने के बाद
कांग्रेस बेसुध हो गयी
है। कुछ अलग-अलग बेढंगगे
वक्तव्य देने लगे
हैं। नवीनतम खबर
है। भूमिहीनों को
मुफ्त भूमि देने
के लिए दी
गयी लिखित गारंटी
से केन्द्र सरकार
मुकर गई है।
खुद मोहब्बत की
नगरी आगरा में
गारंटी देने वाले
केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री
जयराम रमेश ही
पल्ला झाड़ लिये
हैं कि भूमिहीनों
को मुफ्त भूमि
दिलाना अभी सरकार
की प्राथमिकता में
नहीं है। इसलिए
वह कुछ नहीं
कर सकते। मंत्री
जी 75 हजार वंचित
समुदाय के सामने
किस तरह
की कागजात पर
दस्तखस्त किये थे
? अगर समझौता नहीं
किये तो क्यों
प्रदेश के मुख्यमंत्रियों
के पास एडवाइजरी
भेजकर कार्य करने
का आग्रह करते
रहे।
जन
सत्याग्रह 2012 में शामिल
होने वाले सत्याग्रहियों
ने ग्वालियर में
ही आपके अनुरोध
को ठुकरा दिये
थे। इस बार
सत्याग्रही दूध से
जला मुंह मट्ठा
भी फूंकफूंक पीने
को तैयार दिखे
थे। साल 2007 में
जनादेश 2007 पदयात्रा सत्याग्रह में
शामिल वंचित समुदाय
को पूर्व केन्द्रीय
गा्रमीण विकास मंत्री रघुवंश
प्रसाद ने राष्ट्रीय
भूमि सुधार नीति
बनाने की बात
पर ठगा। इसी
लिए सत्याग्रही बिना
लिखित समझौता के
मानने वाले थे।
पूरी हिम्मत से
ग्वालियर से कूच
करके दिल्ली की
ओर बढ़ने लगे।
उल्टे पांव केन्द्रीय
मंत्रियों को दिल्ली
वापस होना पड़ा।
इस बीच
केन्द्रीय गा्रमीण विकास मंत्री
जयराम रमेश ने
प्रधानमंत्री को विश्वास
में लेकर समझौता
पत्र तैयार कर
लिये। देश-प्रदेश-विदेश से आये
सत्याग्रही आगरा पहुंचे।
यह पैगाम आया
कि आगरा में
ही जन सत्याग्रह
2012 के महानायक पी.व्ही.राजगोपाल और भारत
सरकार के प्रतिनिधि
केन्द्रीय गा्रमीण विकास मंत्री
जयराम रमेश के
बीच समझौता हुआ।
इसके बाद मंत्री
जी ने प्रदेश
के मुख्यमंत्रियों को
एडवाइजरी भेजकर कार्य करने
का आग्रह किया।
इस संदर्भ
में एकता परिषद
के संयोजक प्रदीप
प्रियदर्शी ने कहा
कि जन सत्याग्रह
2012 के दौरान आगरा में
भारत सरकार ने
11 अक्टूबर को
समझौता किया था
जिसमे एक समग्र
राष्ट्रीय भूमि नीति
निर्माण का एवं
आवासीय भूमिहीनों के लिए
10 डिसमिल
आवास भूमि हेतु
कानून बनाने की
बात कही थी।
भारत सरकार के
समक्ष समग्र भूमि
नीति का मसौदा
एवं आवास भूमि
अधिकार कानून का बिल
लंबित है।
भारत
सरकार ने बिहार
सरकार को अप्रैल
2013 में दो परामर्श
पत्र भेजा है,
जिसमे प्रथम परामर्श
में गरीबों को
को निःशुल्क कानूनी
सहायता उपलब्ध कराने के
उपाय की सूची
एवं दूसरे परामर्श
पत्र में गरीबों
को भूमि मुहैया
कराने सम्बन्धी
विशिष्ठ मुद्दे शामिल हैं।
राज्य में 5. 84 लाख
भूमिहीन परिवारों को 10 डिसमिल
आवास भूमि, भू
हदबंदी कानून में संशोधन
करना ,बिहार कास्तकारी
अधिनियम 1973 के अनुरूप
नामांतर मैनुअल तैयार करना
,खासमहल की भूमि
में भूमिहीनों को
वासस्थल का आवंटन
करना ,गैमजरुआ खास
भूमि पर से
अवैध कब्ज़ा हटा
कर भूमिहीनों में
वितरित करना , भूदान भूमि
का वितरण भूमिहीन
महिलाओं के बीच
करना इत्यादि
शामिल है।
कयास लगाया
जा रहा था
कि तैयार भूमि
सुधार नीति को
कैबिनेट की मंजूरी
दिलाकर सिर्फ अधिसूचना जारी
करानी है। वहीं
आवासहीनों को घर
का अधिकार भी
देने का विचार
भी हो रहा
था। अब मंत्री
जी के द्वारा
भूमिहीनों को दी
लिखित गारंटी से
मुकर रही है।
यह झूठ नहीं
बोलने वाली तस्वीर
से स्पष्ट होता
है कि आगरा
में समझौता का
स्वागत किया जा
रहा है।
आलोक कुमार