Tuesday 13 May 2014

वर्ष 1999 से 2013 तक सर्वाधिक 2013 घरेलू हिंसा का मामला दर्ज


Women's Helpline at
वर्ष 1999 से 2013 तक सर्वाधिक 2013 घरेलू हिंसा का मामला दर्ज

महिलाओं के ऊपर होने वाले जुल्म थमने का नाम नहीं ले रहा है। वर्ष 2013 में जनवरी से अप्रैल माह के दौरान 268 मामला दर्ज हुआ। वहीं वर्ष 2014 में चार माह के दौरान बढ़कर 285 तक बढ़ गया। पेश है मुख्यमंत्री नारी शक्ति योजना के अन्तर्गत संचालित महिला हेल्पलाइन , पटना के नियत्रंणाधीन दर्ज मामले और समाधान करने का ब्यौरा।
Present there are the Alok Kumar.

महिला विकास निगम समाज कल्याण विभाग , बिहार सरकार द्वारा संपोषित महिला हेल्पलाइन , पटना में संचालित है। इसका कार्यालय आर . सी . सिंह पथ , इंदिरा भवन में स्थित है। पटना जिले में रहने वाले लोग फरियाद लेकर आते हैं।
घरेलू हिंसा महिला संरक्षण अधिनियम -2005 के तहत हेल्पलाइन संचालित है। हेल्पलाइन की परियोजना प्रबंधक संरक्षण पदाधिकारी प्रमिला कुमारी का कहना है कि घरेलू हिंसा से प्रभावित लोग आते हैं। प्रभावित लोग लिखित शिकायत दर्ज करते हैं। आवेदनों को सूचीबद्ध करते हैं। घरेलू हिंसा , दहेज प्रताड़ना , दहेज संबंधी मृत्यु , द्वितीय विवाह , संपति संबंधी , रेप और अन्य के रूप में वर्गीकरण करते हैं। जनवरी , 2014 से टेलिफोनिक्स शिकायत ( एमएमएस / एसएमएस / भद्दी वार्ता ) को शामिल कर लिया गया है। इन सब मामलों पर कार्रवाई की जाती है। हेल्पलाइन के द्वारा प्रताड़ित करने वालों को नोटिस भेजा जाता है। पीड़ित और प्रताड़ित करने वालों को हेल्पलाइन में बुलाया जाता है। दोनों के बीच में समझौता करवाने का प्रयास किया जाता है। अगर समझौता का आसार नहीं बन पाता तो स्थानीय थाना में मामला दर्ज किया जाता है। हेल्पलाइन के अधिवक्ता मामले को कोर्ट में ले जाते हैं।
संरक्षण पदाधिकारी प्रमिला कुमारी ने आगे कहा कि वर्ष 1999 में 11 मामले दर्ज किए गए। वहीं 2000 में 99 मामले दर्ज किए गए। इस तरह 1999-2000 में कुल 105 मामलों में से 55 मामले को निपटा दिया गया है। चालू वर्ष में संपन्न समझौता करवाने के बाद 50 मामले को अगले कार्य वर्ष में समझौता करवाने का प्रयास किया जाता है। वर्ष 2001 में दर्ज 68 मामले के विरूद्ध में 80 समझौता कर दिए गए। वर्ष 2002 में दर्ज 79 मामले के विरूद्ध में 65,  वर्ष 2003 में दर्ज 85 मामले के विरूद्ध में 70, वर्ष 2004 में दर्ज 189 मामले के विरूद्ध में 142, वर्ष 2005 में दर्ज 138 मामले के विरूद्ध में 95, वर्ष 2006 में दर्ज 174 मामले के विरूद्ध में 120, वर्ष 2007 में दर्ज 232 मामले के विरूद्ध में 274, वर्ष 2008 में दर्ज 245 मामले के विरूद्ध में 246, वर्ष 2009 में दर्ज 344 मामले के विरूद्ध में 230, वर्ष 2010 में दर्ज 356 मामले के विरूद्ध में 363, वर्ष 2011 में दर्ज 499 मामले के विरूद्ध में 374, वर्ष 2012 में दर्ज 537 मामले के विरूद्ध में 346 और वर्ष 2013 में दर्ज 537 मामले के विरूद्ध में 556 समझौता कर दिए गए। कुल 15 वर्षों के दरम्यान 3622 मामले दर्ज किए गए। घरेलू हिंसा के 2013, दहेज प्रताड़ना के 596, दहेज संबंधी मृत्यु के 65 , the second marriage of the 132 , संपति संबंधी के 152, रेप के 32 और 791 अन्य मामले दर्ज किए गए। कुल 3622 में 3016 समझौता करवाए गए। शेष 606 मामला विचाराधीन है।
वर्ष 2013 में जनवरी से अप्रैल तक 263 मामला दर्ज हुआ। वहीं चालू वर्ष 2014 में जनवरी से अप्रैल तक कुल 285 मामला दर्ज किया गया। जनवरी में दर्ज 84 के विरूद्ध 63, फरवरी 48 के विरूद्ध 57, मार्च 84 के विरूद्ध 57 और अप्रैल में 69 के विरूद्ध में 45 मामले सलटा दिया गया है। कुल 285 मामले के विरूद्ध के 222 मामला सलटा दिया गया। अभी 63 मामले सलटाना बाकी है। घरेलू हिंसा के 136,  दहेज प्रताड़ना के 45,  दहेज संबंधी मृत्यु 00, द्वितीय विवाह के 7, संपति संबंधी के 4 टेलिफोनिक्स शिकायत ( एमएमएस / एसएमएस / भद्दी वार्ता ) के 41 और 61 अन्य मामले दर्ज हुए है।
 पटना के जिलाधिकारी के द्वारा महिला हेल्पलाइन , पटना को प्रचुर मात्राः में प्रशासनिक सहयोग दिया जाता है। जब पटना के जिलाधिकारी बी . राजेन्द्रन थे। तब मासिक बैठक आयोजित कर महिला हेल्पलाइन के बारे में दिलचस्पी से जानकारी लेते थे। आज भी पटना के जिलाधिकारी का सहयोग महिला हेल्पलाइन को मिल रहा है।


Empty -handed No Returns Women Manju

एकता परिषद बिहार के संचालन समिति की सदस्य और जुझारू महिला नेत्री मंजू डुंगडुंग का कहना है कि लगातार 15 वर्षों से हेल्पलाइन के क्रियाकलापों से अवगत हूं। हेल्पलाइन से पीड़ित महिलाओं एवं उनके परिजनों को काफी लाभ मिलता है। इसी लिए दानापुर , नौबतपुर , बिहटा , विक्रम , पालीगंज आदि प्रखंडों के मामले को हेल्पलाइन को अग्रसारित किया गया। हेल्पलाइन के प्रभाव और कार्यशीलता के कारण स्थानीय थाना भी महिलाओं के प्रति संवेदनशील हो गए। अब पुरूष मानसिकता को परित्याग करके महिला सशक्तिकरण की दिशा में कार्यशील हो गए हैं। उन्होंने कहा कि नौबतपुर की कार्यकर्ता स्व . इन्द्रावती देवी काफी संवेदनशील महिला थीं। इनके प्रयास विघटित परिवारों को जोड़ने का प्रयास किया गया। दो माह के नवजात शिशु को ससुराल वालों ने कब्जा में लेकर नववधु को घर से बाहर कर दिए। स्तन से टप - टप दूध गिरता रहा। बीचबचाव करने से ससुराल वालों ने नववधु को घर में आश्रय दिए।
एक सवाल के जवाब में महिला नेत्री कहती हैं कि आज भी मानकर महिलाएं चलती हैं कि भोजन स्वादहीन है। इसके लिए पुरूष से पिटाई खा जाना। वह घरेलू हिंसा नहीं है। यह स्वाभाविक प्रक्रिया है। जबकि यह घरेलू हिंसा है।


A Single stroke at the Rina Devi 's Life Ruined

महज बंध्याकरण के ही बंधन से दानापुर , पटना की रीना देवी के सात फेरों के अटूट बंधन हो गयी धाराशाही। यह भी मामला महिला हेल्पलाइन के पास गया। इसके बाद रीना देवी ने जबर्दस्ती ससुराल में अंगज के पैर की तरह जमा ली।
एक ने तीन बार तलाक - तलाक कहकर जिंदगी में जहर घोल दी तो   दूसरे ने तीन बार लड़की बच्ची को जन्म देने के अपराध में घर से ही बेदखल कर दिये। जो भी हो पुरूष प्रधान देश में आखिरकार महिलाओं को ही अपमानित होनी पड़ती है। हो जाती है महिलाओं की जिल्लतभरी जिंदगी और फजीयतभरी राहें।
 अगर कोई महिला लगातार तीन बार लड़की बच्चियों को जन्म दे देती हैं , तो वह परिवार के अंदर बहुत ही बड़ा जुल्म कर देती हैं। इसके कारण महिला को सामाजिक और पारिवारिक ताना सुनने को मिलता हैं। इसके अलावे उसको शारीरिक और मानसिक यातनाएं भी दी जाती है। इन हालातों को झेलने के लिए मजबूर कर दिया जाता है। कुल मिलाकर पुरूष मानसिकता और वंशज के नाम को आगे बढ़ाने बीड़ा उठाने वाले तथाकथित शख्स सिर्फ - सिर्फ महिला को ही लड़की बच्ची को पैदा करने का कसूरवार ठहराकर घर से ही बाहर निकाल दिया करते हैं। इस तरह के क्रूरतम कदम से प्रत्यक्ष रूप से मासूम लड़की बच्ची भी चपेट में जाती हैं। आखिर अभी अभी इस धरती पर पर्दापण होने वाली नन्हीं बच्ची का क्या कसूर है ?


























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