जब
मानव सेवा करने
वाले ही पटरी
से उतर जाएं
तो...........
शिक्षा
जगत के गलियारे
से निकलकर उद्दंडता
चिकित्सा जगत में
धड़ल्ले से प्रवेश
कर गया। इसका
नजारा राजधानी में
स्थित इंदिरा गांधी
आयुर्विज्ञान संस्थान में देखने
को मिला।उद्दंडत छात्रों
ने कैशियर पर
दबंगई दिखाना शुरू
कर दिए। आदत
से मजबूर छात्रों
ने जल्द से
जल्द काम निपटारा
करने पर बल
देने लगे।कुछ नोंकझोंक
होने पर संगठित
छात्रों ने मारपीटाई
करने पर उतारू
हो गए। मारपीटाई
की बात चिंगारी
की तरह उड़कर
ब्यॉज हॉस्टल तक
जा पहुंची। रॉड
और हॉकी स्टिक
से कैशियर को
रूई की तरह
धुनाई कर दी
गयी। स्थिति गंभीर
होने पर मेडिकल
छात्र नौ दो
ग्यारह हो गए।
पेश है आलोक
कुमार की विशेष
रिपोर्ट
महानगर
पटना में इंदिरा
आयुर्विज्ञान संस्थान है। वर्ष
1984 में भारत के
पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी
जैल सिंह ने
इंदिरा आयुर्विज्ञान संस्थान का उद्घाटन
किया था। यहां
पर 500 से अधिक
बेड है। यहां
पर अधिकांश मानव
सेवा करने वाली
कुर्जी होली फैमिली
हॉस्पिटल से नर्सिंग
उर्त्तीण नर्सेज कार्यशील हैं।
इनके अलावे अन्य
लोग भी आकर
शानदार कार्य करते हैं।
इनलोगों की समर्पित
सेवा भावना के
चलते संस्थान में
भर्त्ती मरीजों और तीमारदारी
में लगे लोग
खुश रहते हैं।
30 साल में संस्थान
ने अनेकों विभाग
खोले। अभी-अभी
गर्भवती महिलाओं को शिशु
जन्म देने के
लिए प्रसव कक्ष
भी खोला गया
है।
बिहार
सरकार एवं इंदिरा
गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान
के पूर्व निदेशक
अरूण कुमार के
अथक प्रयास से
मेडिकल कॉलेज खुल पाया
है। कॉलेज खुले
तीन साल हो
गया है। प्रथम
वर्ष में 100 छात्रों
का नामांकन हुआ।
द्वितीय वर्ष में
100 और तृतीय वर्ष में
100 छात्र अध्ययनरत हैं। संस्थान
में पर्याप्त जगह
रहने के कारण
ही छात्रों ब्यॉज
हॉस्टल में रखा
जाता है।
बस इसका बेजा
फायदा छात्र उठाने
लगते हैं। यहां
पर रहकर छात्र
दबंग हो गए
हैं। संस्थान में
कार्यरत कर्मियों को दबाकर
रखने को बहादुरी
समझते हैं। इस
तरह के व्यवहार
करने के कारण
वाहन स्टैंड के
लोगों से टकरा
गए। काफी हंगामा
हुआ था। इस
तरह के व्यवहार
को देखकर पूर्व
निदेशक अरूण कुमार
ने मेडिकल कॉलेज
की बंद कर
देने की धमकी
दिए थे।
पूर्व
निदेशक अरूण कुमार
के धमकी को
ठेंगा दिखाया गया।
शिक्षा जगत के
गलियारे से निकलकर
उद्दंडता चिकित्सा जगत में
धड़ल्ले से प्रवेश
कर गया। इसका
नजारा राजधानी में
स्थित इंदिरा गांधी
आयुर्विज्ञान संस्थान में देखने
को मिला।उद्दंडत छात्रों
ने कैशियर पर
दबंगई दिखाना शुरू
कर दिए। आदत
से मजबूर छात्रों
ने जल्द से
जल्द काम निपटारा
करने पर बल
देने लगे।कुछ नोंकझोंक
होने पर संगठित
छात्रों ने मारपीटाई
करने पर उतारू
हो गए। मारपीटाई
की बात चिंगारी
की तरह उड़कर
ब्यॉज हॉस्टल तक
जा पहुंची। रॉड
और हॉकी स्टिक
से कैशियर को
रूई की तरह
धुनाई कर दी
गयी।कैशियर को बेहरमी
से पीटाई करने
का नतीजा सामने
आ गया। नाक
और मुंह से
खून गिरने लगा।
मामाला गंभीर होते देख
मेडिकल छात्र भाग खड़े
हुए। घायल कैशियर
के दोस्तों ने
उठाकर आपातकालीन कक्ष
ले गए। वहां
पर प्रारंभिक उपचार
करने के बाद
सीसीयू-2 में भर्ती
कर दिया गया।
हालांकि पहले से
इंतजार करने वाले
मरीज के परिजन
भड़क गए कि
उनके मरीज को
सीसीयू में जगह
मिलने वाली थी।
उसके एवज में
संस्थान के कर्मी
होने के कारण
चिकित्सक ने कैशियर
को ही प्रमुखता
देकर सीसीयू-2 में
भर्त्ती कर दिया।
पाटलिपुत्र कॉलोनी में रहने
वाली नूरहज खातून
ने कहा कि
यहां पर नर्सेंज
लोगों की मनमर्जी
चलती है। चार
शौचालय है। तीन
में ताला बंद
कर दिया गया
है। एक शौचालय
चालू है। इनका
भाई भर्त्ती हैं।
उसी वार्ड की
स्थिति है। यहां
पर अनेकों वाटर
कुलर है। परन्तु
सभी वाटर कुलर
की मशीन क्रियाशील
नहीं है। लोग
पानी के लिए
तरशते नजर आएं।
सीसीयू-2
की सिस्टर सुशीला
ने बताया कि
मरीज का नाम
सुदामा लोहरा है। आयु
42 साल है। संस्थान
के कैशियर हैं।
8 मई, 2014 को 4 बजकर
41 मिनट पर भर्त्ती
किया गया। डाक्टर
एस.के. झा
देखरेख कर रहे
हैं। सुदामा के
नाक और मुंह
से रक्त गिर
रहा था। शरीर
में आंतरिक चोट
है। फिलवक्त चिकित्सक
और नर्सेज की
पैनी नजर में
रखे गए हैं।
वहीं छात्रों के
कोपभाजन बनने के
बाद सुदामा को
देखने वालों की
भीड़ उभड़ रही
है। संस्थानकर्मियों का
कहना है कि
मेडिकल छात्र के पक्ष
में कनीय चिकित्सक
उतर गए हैं।
वरीय चिकित्सकों ने
मुंह नहीं खोले
हैं। अगर संस्थान
के निदेशक महोदय
के द्वारा छात्रों
के प्रति दमनात्मक
कदम उठाया जाता
है। तो संस्थान
के साथ अन्य
जगहों के भी
छात्र और कनीय
चिकित्सक आंदोलन करने पर
उतारू हो जाएंगे।
वहीं आधुनिक नर्सिंग
की जननी फ्लोरेंस
नाइटेंगल के पथ
चिन्हों पर चलकर
नर्सिंग सेवा करने
वाली तथा अन्य
कर्मियों ने निदेशक
डा. एन.आर.विश्वास से निवेदन
किया है कि
मेडिकल छात्रों के दबंगई
पर नियत्रंण लगाएं।
संस्थान के परिसर
से मेडिकल छात्रों
के ब्यॉज हॉस्टल
हटा दें। इस
बीच संस्थान के
निदेशक ने छात्रों
को ब्यॉज हॉस्टल
छोड़ देने का
निर्देश जारी कर
दिया है।
जब
घटना वाली समाचार
संकलन किया जा
रहा था तो
आसपास के वार्डो
के वार्ड बॉय
भी आ गए।
आपबीती बताने लगे। मात्र
5 हजार रू. में
8 घंटा कार्य किया जाता
है। यह कार्य
निविदा पर हैं।
यहां के अधिकांश
कार्य निविदा पर
ही समापन किया
जाता है।अल्पराशि वाले
मानदेय देकर हमलोगों
को मान दिया
जाता है।
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