पटना।
ईसाई धर्मावलम्बी प्रेरितों
की रानी ईश
मंदिर में धार्मिक
अनुष्ठान में शिरकत
करने जाते हैं।
वहीं कुर्जी पल्ली
में रहने वालों
को कुर्जी कब्रिस्तान
में दफनाया जाता
है। इस कब्रिस्तान
में अंग्रेज लोग
भी दफनाएं गए
हैं। यहां पर
दफनाएं गए येसु
समाज के सदस्यों
को एक्सटीटीआई में
स्थित कब्रिस्तान में
दफना दिया गया।
ऐसा करने से
कुछ जगह खाली
हो गयी। लगातार
शव को गाढ़ने
से तीलभर भी
जगह खाली न
रह गयी। इसका
नतीजा यह है
कि एक ही
कब्र वाली जगहर
पर 6 शव को
दफनाया गया। आपको
नेम प्लेट से
ही पता चल
रहा है। सबसे
पहले बिलासियुस भाजू
7 अप्रैल 1975 को दफनाएं
गए। 10 साल के
बाद स्व . बिलासियुस
की पत्नी अनोरा
बिलासियुस 15 जनवरी ,1985 को दफनायी
गयी। 7 साल के
बाद बिलासियुस भाजू
के के पोता
विन्सेंट पीटर 28 दिसम्बर , 1992 को
निधन हो जाने
के बाद दफनाया
गया। , इसके 5 साल
के बाद बिलासियुस
भाजू के पुत्र
जोन भाजू की
मौत 6 नवम्बर ,1997 को
हो गयी। यहां
पर दफनाएं गए।
इसके 9 साल के
बाद बिलासियुस भाजू
के पुत्र पीटर
भाजू 15 मार्च ,2006 को मर
गए। 8 माह के
बाद बिलासियुस भाजू
के पुत्र मारकुस
भाजू 3 नवम्बर ,2006 को मर
गए। इन 31 साल
में 6 लोगों की
मौत हो गयी।
एक ही कब्र
में सभी को
दफनाया गया। उसमें
आज 1 और इजाफा
हो गया। आज
बिलासियुस भाजू के
पुत्रवधू सिसिलिया पीटर को
दफनाया गया। जो
आठ साल के
बाद दफनाया गया।
इस तरह 39 साल
के अंदर 1 ही
कब्र में 7 लोगों
को दफनाया गया।
इस परिवार के
अंदर अगर कल
किसी की मौत
हो जाती है।
तो आप अंदाज
लगा लीजिए , क्या
माजरा हो जाएगा।
तब उस अवस्था
में किसी और
व्यक्ति की सहायता
लेने की जरूरत
पड़ जाएगी।
Alok
Kumar
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