आधुनिक नर्सिंग की जननी फ्लोरेंस नाइटेंगल का जन्मदिन 12 मई पर विशेष

बहरहाल आधुनिक नर्सिंग की जननी फ्लोरेंस नाइटेंगल को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। इनका जन्मदिवस 12 मई, 1820 को है। इन्होंने ही नर्सिंग को सही मुकाम तक पहुंचाने में सफलता फतह किए। आज की नर्सेज उनके पदचिन्हों पर चलने को प्रयत्नशील हैं। आज तो भारत के गांवघर में और इंडिया के बहुराष्ट्रीय कम्पनियों में नर्सेज सेवा कार्य करती नजर आती हैं। यह नर्सिग सेवा तो लगभग सेवा कम पेशा के रूप में अधिक विकसिल हो गयी है।

बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड की निवासी और जनजातीय समुदाय से आने वाली मार्था ने कहा ‘मुझे खुशी है कि राष्ट्रपति मुझे पोलियो उन्मूलन अभियान में मेरे काम के लिए सम्मानित करेंगे।‘‘ वह अभी बिहार के दरभंगा जिले में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थापित हैं।
सुदूर और दुर्गम गांवों तक खास तौर से गरीब तबके के सैकड़ों बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाने के लिए कई किलोमीटर तक पैदल यात्रा करती। इसके अलावे नाव से भी गांव में जाकर बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाने में कसर नहीं छोड़ती। उन्हें अवार्ड के रूप में अंतर्राष्ट्रीय नर्सिग दिवस 12 मई के मौके पर 50,000 रुपये और एक प्रमाण पत्र दिया जाएगा। यह दिवस नर्स एवं नर्सिग पेशे से जुड़े लोगों की प्रतिभापूर्ण सेवा को सम्मान देने के लिए आयोजित किया जाता है। यह दिवस अंग्रेज समाज सुधारक और आधुनिक नर्सिग की जन्मदाता फ्लोरेंस नाइटेंगल की याद में मनाया जाता है।
बिहार सरकार में सेवारत स्वास्थ्यकर्मी बेहालः बिहार सरकार की सेवा में सेवारत स्वास्थ्यकर्मी बेहाल हैं। यहां पर पुरूषों से बदतर स्थिति महिला कर्मियों की है। कमोवेश ए.एन.एम.दीदी लोग परेशान हैं तो जेनरल नर्सेस हलकान हैं। इनको पुरूष सहकर्मियों के रहमों करमों पर जिंदा रहना पड़ता है। ए.एन.एम.दीदी और जेनरल नर्सेस को कदमकदम पर नजराना देना पड़ता हैं। तब जाकर इनका कार्य हो पाता है। यथा मासिक पगार, अंग्रिम भुगतान,बकाया भुगतान,भविष्य निधि बुक को अघतन, प्रतिनियुक्ति,
स्थानान्तरण,
स्थानान्तरण को रोकने, कोषागार के बाबू, बड़ा बाबू और कोषागार का कार्य करवाने वाले छोटा बाबू को भी खुश करना पड़ता है। बिना चढ़ावा के गण देवता कार्य करने के सुर में नहीं आ पाते हैं। सुर में आने के लिए चढ़ावा देना ही है। यह समझ ले कि ऐतिहासिक कथा और धर्म पुस्तक रमायण में मात्र एक रावण थे। उसी रावण के दस हाथ वाले सरकारी सेवक बन गए हैं। जो निःसंकोच अपने सहकर्मियों से रावण की तरह व्यवहार करते हैं। इनका सरकारी राशि में हिस्सेदारी जन्म सिद्ध अधिकार की तरह है।
अब मार्च लूट के बाद जून लूट की तैयारी जोरों परः पटना जिले के असैनिक शल्य सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी का जून माह में स्थानान्तरण करने का अभियान चलने वाला है। इसमें पटना सिविल सर्जन के अधीन कार्यरत कर्मचारियों की सूची मांगी गयी है। इसी सूची के आलोक में स्वास्थ्यकर्मियों को बड़े पैमाने पर इधर से उधर किया जाएगा। ओपन किया गया है कि अगर आप मनोवांछित जगह जाना चाहते हैं। तो एक हाथ से रकम व्यय करें और दूसरे हाथ से मनोवांछित जगह पाएं। आखिर इस तरह के ओपन डिमांड पर कौन लगाम लगाएंगा ? मार्च लूट के बाद जून लूट के अंजाम देने की तैयारी जोरों पर है। प्रदेश के सभी जिलों का हाल कमोवेश समान ही है। इसकी खुलेआम घोषणा कर दी गयी है। निगरानी विभाग के अधिकारियों को निगरानी करने की जरूरत है जिससे जून लूट करने वालों के हौसल्ले पस्त हो सके।
Alok Kumar
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