पटना।एकता
परिषद के सदस्य
प्रार्थना गीत जाते
है। न यह
है मेरा , न
है यह तेरा ,
यह , ईश्वर का
ही वरदान है।
इससेे आगे बढ़कर
नारा बुलंद करते
हैं। जल , जंगल
और जमीन , यह
हो जनता के
अधीन। ऐसा प्रतीक
होता है कि
आप प्रार्थना करें
और नारा बुलंद
करें। कोई फर्क
नहीं पड़ता है।
धीरे - धीरे प्राकृतिक
संसाधन जल , जंगल
और जमीन पर
पूंजीपतियों का जोर
से जोर पकड़
होने लगा है।
लगभग सरकार की
विफलता के कारण
ही भगवान की
तीनों चीजों को
कब्जाने में सफल
हो रहे हैं।
गरीबों
से जमीन और
जंगल हथियाने के
बाद पेयजल को
भी व्यापारी रूप
देने लगे हैं।
पहले मिनिरल वाटर
के नाम पर
बोतलबंद पानी बेचा।
अब ' जार ' में
पेयजल भर - भर
के धंधा किया
जा रहा है।
राजधानी के दीघा
के बाद दानापुर
में प्लांट बैठाया
गया है। यहीं
से आपके पास
कूल - कूल , ठंडा - ठंडा पेयजल
पहुंचाया जाता है।
आप अपने मार्केट
में बैठकर ठंडा - ठंडा पेयजल
का लुफ्त उठा
सकते हैं।
स्वास्तिक
एक्वा नामक जार
में पेयजल भरकर
लाया जाता है।
आप आठ घंटे
तक ठंडा पानी
का मजा ले
सकते हैं। दो
तरह के जार
में पानी मुहैया
कराया जाता है। 2
रू . लीटर की
दर से 15 लीटर
वाले जार की
कीमत 30 रू . और
20 लीटर जार की
कीमत 40 रू . है।
पहले 15 लीटर वाले
और बाद में
20 लीटर वाले जार
को मार्केट में
उतारा जाता है।
मांग के अनुरूप
साधन नहीं रहने
के कारण उपभोक्ताओं
की मांग पूर्ण
नहीं हो पाती
है। दानापुर , राजाबाजार , बोरिंग रोड , खगौल
आदि क्षेत्र में
पेयजल उपलब्ध कराया
जाता है। कम्पनी
के पास 6 वाहन
है। एक वाहन
पर 70 जार लादा
जाता है। उपभोक्ताओं
को कार्ड इश्यू
किया जाता है।
जिसे पानी देने
के बाद अघतन
कर दिया जाता
है। एक महीने
के बाद सेल्समैन
कीमत वसूल करते
हैं। धीरे - धीरे
ही सही राजधानी
में पानी बिक
रहा है। इस
ओर सरकार मौनधारण
कर रखी है।
Alok
Kumar
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