पटना।
सरकारी जमीन
पर आशियाना बनाकर रहने
वालों को
खुशखबरी है।
सरकार ने
मन बना
लिया है
कि ऐसे
लोगों को
‘वासगीत पर्चा’
बनाकर दिया
जाए। इस
ओर गया
जिले के
जिलाधिकारी बालामुरूगन डी. ने पहल
शुरू कर
दी है।
वहीं देशकाल
सोसायटी ने
सरकारी जमीन
पर ठौर
जमाकर रहने
वाले लोगों
की सूची
बनाकर कार्यालय
को सौंप
दिया है।
जिलाधिकारी के आदेश पर कार्रवाही
शुरू कर
दी गयी
है।
हाल
में राजधानी
में पूअरेस्ट
एरिया सिविल
सोसायटी के
नेशनल प्रोग्राम
मैंनेजर राजपाल
पनवार आए
थे। उनका
कहना है
कि हमलोगों
ने सरकार
और गैर
सरकारी संस्थाओं
को योजनानुसार
राशि निर्गत
किया है।
योजनानुसार कार्य की उपलब्धि को
झांकना भी
है। मनरेगा,
भूमि अधिकार
और वनाधिकार
पर अनुश्रवण
किए हैं।
कार्य में
कमी है।
इस कमी
को पाटने
के लिए
अधिकारियों के साथ संबंध प्रगाढ़
करना है।
उनका
कहना है
कि यू.के. सरकार
के द्वारा
संपोषित है
अन्तर्राष्ट्रीय विकास योजना, डी. एफ.
आई. डी.। डी.एफ.आई.डी. के
द्वारा विकास
कार्य करने
के लिए
केन्द्र और
राज्य सरकार
को मोटी
राशि दी
जाती है।
इसी तरह
गैर सरकारी
संस्थाओं को
निर्धनतम क्षेत्र
नागरिक समाज
के कल्याण
और विकास
करने के
लिए धनराशि
उपलब्ध करवायी
जाती है।
इसका मतलब
सरकार और
गैर सरकारी
संस्था मिलकर
पूअरेस्ट एरिया
सिविल सोसायटी
पैक्स क्षेत्र
में कार्य
करें। गरीबों
के हित
में इन
दोनों के
बीच में
तालमेल बैठाकर
कार्य करने
का भी
प्रयास किया
जाता है।
अभी
हमलोगों ने
जहानाबाद जिले
के जिलाधिकारी
के संग
मनरेगा मेट
को लेकर
एमओयू पर
हस्ताक्षर किए हैं। एक हजार
महिला मेट
का चयन
और प्रशिक्षण
देना है।
यहां पर
सरकार और
संस्था के
बीच बेहतर
ढंग से
तालमेल करके
कार्य हो
रहा है।
राजस्व एवं
भूमि सुधार
विभाग के
प्रधान सचिव
व्यास जी
के नेतृत्व
में कोर
टीम बनायी
गयी है।
जो भूमि
सुधार के
मसले पर
त्वरित और
गहन रूप
से कार्य
कर रहे
हैं। राष्ट्रीय
स्वास्थ्य बीमा योजना को लेकर
गंभीर हैं।
वर्ष 2011 से श्रम विभाग
के सचिव
से बातचीत
कर रहे
हैं। व्यापक
सहमति बनने
के बाद
भी मामला
अधर में
लटक हुआ
है।
उन्होंने
चिन्ता व्यक्त
किए कि
अब बहुत
ही कम
अधिकारी है।
जो जनोपयोगी
कार्य करने
में दिलचस्पी
लेते हैं।
कुछ नाम
ऐसे है
जो एनजीओ
सेक्टर वालों
के लिए
प्रोत्साहित भी किया करते हैं।
एनजीओ वाले
इन अधिकारियों
से होप
रखते हैं।
वहीं अधिकारी
निराश भी
नहीं करते
हैं। यह
अलग बात
है कि
कोर टीम
बनाकर मामले
को उलझाकर
रखा जाता
है। मगर
हमलोग सचेत
हैं। उनको
आगत मुद्दे
को हल
करने उपाय
सुझाते हैं।
अब हमलोग
घर के
अधिकार को
लेकर कानून
बनवाने की
पहल कर
रहे हैं।
मसौदा तैयार
किया जा
रहा है।
चूंकि, मुख्यमंत्री
जीतन राम
मांझी भी
भूमि सुधार
को प्राथमिकता
देने की
बात कर
चुके हैं।
इसके आलोक
में अधिकार
भी भूमि
सुधार की
दिशा में
पहल करने
लगे हैं।
ऐसे अधिकारी
नहीं मिल
रहे हैं
जो गरीबों
के मामले
में संवेदनशील
हो और
उदारता से
कार्य कर
सके। अभी
कुछ अधिकारी
ही हैं
जो सीमा
से बाहर
आकर भी
कार्य करने
को तत्पर
रहते हैं।
इनमें व्याज
जी, बालामुरूगन
डी दीपक
कुमार , डा.
एन. सरवन
कुमार, हुकूम
सिंह मीणा,
एन. विजय
लक्ष्मी, अमृत
लाल मीणा,
विजय प्रकाश,
बालाकृष्णन, के.पी. रमैया, संतोष
मैथ्यू आदि
है।
आलोक
कुमार
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