गया।
मनरेगा के तहत
सामाजिक अंकेक्षण 10 से 14 जून
तक होगा। राज्य
के सामाजिक अंकेक्षणा
कोषांग के देख - रेख में
संपन्न कराया जाएगा। इसमें
कोषांग की ओर
से मिथिलेश कुमार
सिंह , अवर सचिव , ग्रामीण विकास विभाग
एवं शुभेन्द्र नाथ
सान्याल , सामाजिक अंकेक्षण पदाधिकारी
भाग लेंगे।
गया
जिले के मानपुर
प्रखंड के गेरे ,
सनौत और लखनपुर
पंचायत में 10 से 14 जून
तक 11 बजे पूर्वाहन
से संध्या 5 बजे
तक सामाजिक अंकेक्षण
होगा। इसी तरह
तनकुप्पा प्रखंड के उतालीबरा
और गजाधरपुर पंचायत
में , फतेहपुर प्रखंड
के फतेहपुर और
मोहरे पंचायत में
और बोधगया प्रखंड
के अतिया , शेखवारा
और बकरौर पंचायत
में होगा।
बिहार
सरकार के ग्रामीण
विकास विभाग के
प्रधान सचिव अमृत
लाल मीणा के
अनुसार जिला पदाधिकारी - सह - कार्यक्रम
समन्वयक सुनिश्चित करेंगे कि
निर्धारित तिथियों को संबंधित
पंचायतों में जिले
के उप विकास
आयुक्त या निदेशक
लेखा प्रशासक में
से कोई एक
पदाधिकारी को जिले
में सामाजिक अंकेक्षण
में भाग लेने के
लिए निदेशित करेंगे।
कैसे
होता है मनरेगा
का सामाजिक अंकेक्षण ? ः महात्मा
गांधी नरेगा के
तहत कृत कार्य
का सामाजिक अंकेक्षण
किया जाता है।
गांव के लोगों
के साथ ग्राम
सभा की जाती
है। ग्राम सभा
अनुमोदित करती है
कि मनोनीत किए
गए लोग सामाजिक
अंकेक्षण कार्यक्रम के तहत
प्रशिक्षित प्रशिक्षकों के द्वारा
प्रशिक्षण दिया जाता
है। प्रशिक्षकों के
द्वारा मनरेगा के बारे
में संपूर्ण जानकारी
दी जाती है।
इस अवसर पर
संपूर्ण दस्तावेजों के बारे
में भी जानकारी
दी जाती है।
मस्टर रोल देखा
जाता है। भौतिक
सत्यापन किया जाता
है। गांव में
मनरेगा के तहत
कराए गए कार्यों
को लेकर आम
सभा की जाती
है। खासकर महादलित
टोलों पर
विशेष फोकस रहता
है। जॉब कार्ड
बनवाने वालों से और
काम मांगने वालों
के आवेदन संग्रह
किया जाता है।
आवेदन संग्रह करके
परियोजना पदाधिकारी अथवा रोजगार
सेवक के हाथ
में लिखित प्राप्ति
पत्र के साथ
सौंप दिया जाता
है। ऐसा करने
से 15 दिनों के
अंदर कार्य नहीं
मिलने पर बेरोजगारी
भत्ता के लिए
आवेदन दिया जा
सकता है।
सामाजिक
अंकेक्षण कार्यक्रम के अंतिम
दिन जन सुनवाईः
सामाजिक अंकेक्षण कार्यक्रम के
अंतिम दिन जन
सुनवाई की जाती
है। इस अवसर
शामिल होने के
लिए पूर्व से
ही सभी गण
प्रतिनिधियों को न्योता
दे दिया जाता
है। सामाजिक अंकेक्षण
के दौरान अनुश्रवण
कार्य का पदाफार्श
किया जाता है।
मनरेगा श्रमिक आपबीती बयान
करते हैं। कोई
रोजगार नहीं मिलने
की शिकायत करता
है। काम करवा
लेने के बाद
दाम नहीं देने
पर परेशानी बयान
करता है। इसके
बाद जन प्रतिनिधि ,
अधिकारी समस्याओं के समाधान
करने की दिशा
में पहल करने
का आश्वासन देते
हैं। त्वरित कार्रवाई
भी की जाती
है।
अब
देखना है कि
सामाजिक अंकेक्षण कार्यक्रम में
शिरकत लेने वाले
प्रशिक्षण उपरांत कितना दक्ष
हो पा रहे
हैं ?
Alok
Kumar
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