Tuesday 10 June 2014

एक घर में चार टी.बी.रोग के मरीज


पटना। एक घर में चार टी . बी . रोग के मरीज। पिता से पुत्र - पुत्री को लग रोग लग गया।पिता सुरता मांझी , पुत्र संतोष कुमार और पुत्री काजल कुमारी और संजू कुमारी हैं। इनका इलाज कुर्जी होली फैमिली अस्पताल में हुआ। फिलवक्त बच्चों के पिताश्री सुरता मांझी की मौत 10 मई 2014 को हो गई। सुरता मांझी की विधवा सुशीला देवी को कबीर अंत्येष्ठि योजना से लाभ नहीं मिलने के कारण शव को गंगा किनारे बालूघाट में ही दफन कर दिया गया। अभी सुशीला देवी के माथे पर 7 हजार रू . का कर्ज है। दसवी करने के लिए दुकानदार से उधार अनाज खरीदकर लायी थीं। अभी सुनीता देवी 10 हजार रू . का जुगाड़ करने में लग गयी है। वह भगत और भक्तिनी की बैठक बुलाना चाह रही है ताकि उड़ते पक्षी सुरता मांझी को घर के कोने में आसन दे सके। महादलित मुसहर समुदाय की सोच है कि अगर देवी - देवताओं के साथ मनुष्यदेवा को पूजा देने से बाल - बच्चा पर आफत सकती है। सबसे पहले मनुष्या देवा बन गए सुरता मांझी बाल - बच्चों पर ही आक्रमण कर देगा। उसके बाद बाहर के लोगों को चपेट में ले लेगा। इससे बचने के लिए पूजा करना अनिवार्य ही है।
महादलित मुसहर समुदाय के रामाशीष मांझी और मुन्नी देवी के पुत्र सुरता मांझी हैं। शहर के निकट एल . सी . टी . घाट , गंगस्थली में रहते हैं। 40-45 घर के मुसहरी उत्तरी मैनपुरा ग्राम पंचायत में रहता है। इस पंचायत के मुखिया सुधीर सिंह हैं। सुरता मांझी की पत्नी सुशीला देवी है। दोनों के 4 संतान हैं। लड्डू कुमार , संतोष कुमार , काजल कुमारी और संजू कुमारी है। सुरता और सुशीला रद्दी कागज आदि चुनकर जीविकोपार्जन करते हैं। इस बीच सुरता मांझी बीमार पड़े। कुर्जी होली फैमिली अस्पताल के सामुदायिक स्वास्थ्य एवं ग्रामीण विकास केन्द्र में इलाज कराया गया। यहां के चिकित्सक यक्ष्मा बीमारी करार दिए। दवा के साथ - साथ ही कड़ी मेहनत का बहाना बनाकर शराब को शरीर में सुरता मांझी उतारता रहा। इसके बाद ठीक हुआ। फिर उसके तीन बच्चे यक्ष्मा के शिकार हो गए। एक के बाद एक संतोष कुमार , काजल कुमारी और संजू कुमारी टी . बी . की चपेट में गए। सभी का इलाज सामुदायिक स्वास्थ्य एवं ग्रामीण विकास केन्द्र में किया गया। अभी सभी बच्चे ठीक हैं।
इस बीच सुरता मांझी को टी . बी . रोग ने शिकंजा में ले लिया। सामुदायिक स्वास्थ्य एवं ग्रामीण विकास केन्द्र की सिस्टरों से झिड़की खाने के बाद मुलायम दिल वाली सिस्टरों ने टी . बी . की दवा डॉट्स कार्यक्रम के तहत देने लगे। इस बार 1 माह की दवा बुधवार को दी जाती है। कुछ माह दवा सेवन किए। परन्तु बच नहीं पाए। 10 मई 2014 को परलोक सिधार गए।
प्रायः मुसहर समुदाय को सरकारी योजना से लाभ नहीं मिल पाती है। अगर कबीर अंत्येष्टि योजना से 1500 सौ रू . की राशि मिल जाती है। तो मुख्यमंत्री परिवार लाभ योजना से 20 हजार रू . की राशि से लाभान्वित नहीं हो पाते है। इसके बाद लक्ष्मीबाई सामाजिक सुरक्षा पेंशन से 200 सौ रू . की राशि नहीं देते हैं कि जवानी में पति के मर जाने के बाद महिला द्वितीय विवाह रचा ले ? इसी उधेड़बुन में विधवा को लक्ष्मीबाई सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना से महरूम कर दिया जाता है। असंगठित कामगार एवं  शिल्पकार शताब्दी योजना के तहत भी लाभान्वित नहीं कराया जाता है।
मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी से आग्रह है कि अगर किसी महादलित की मौत हो जाती है , तो उसकी जिम्मेवारी बी . डी . . साहब के कंधे पर डाल दें। जो सरकारी प्रक्रिया पूर्ण कराकर कबीर अंत्येष्टि योजना से 1500 सौ रू . की राशि , मुख्यमंत्री परिवार लाभ योजना से 20 हजार रू . की राशि , लक्ष्मीबाई सामाजिक सुरक्षा पेंशन से 200 सौ रू . की राशि और असंगठित कामगार एवं शिल्पकार शताब्दी योजना की राशि से लाभान्वित कराए।
Alok Kumar

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